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Last Updated : बुधवार, 6 जनवरी 2021 (11:00 IST)

देश में पहली बार 'गौ विज्ञान' पर होगी ऑनलाइन नेशनल एग्जाम, कामधेनु आयोग का दावा 'पंचगव्य' से ठीक हुए 800 कोरोना मरीज

rashtriya kamdhenu aayog | देश में पहली बार 'गौ विज्ञान' पर होगी ऑनलाइन नेशनल एग्जाम, कामधेनु आयोग का दावा 'पंचगव्य' से ठीक हुए 800 कोरोना मरीज
नई दिल्ली। देशी गायों और इसके फायदे के बारे में छात्रों और आम लोगों के बीच रुचि पैदा करने के उद्देश्य से एक नेशनल लेवल की स्वैच्छिक ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाएगी। परीक्षा का आयोजन 25 फरवरी को किया जाएगा। इस ऑनलाइन परीक्षा का नाम 'गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा' होगा। ऑनलाइन परीक्षा को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर निशाना भी साधा है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार गाय के नाम पर ढकोसला कर रही है और इसके पीछे भ्रष्टाचार कर रही है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog) ने इसकी जानकारी दी है। इसके साथ ही राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने दावा किया कि देशभर के 4 शहरों में किए गए क्लीनिकल परीक्षण में ‘पंचगव्य और आयुर्वेद’ उपचार के माध्यम से कोविड-19 के 800 मरीजों को ठीक किया गया।
 
कथीरिया ने ‘गऊ विज्ञान’ पर अगले महीने आयोजित की जाने वाली पहली राष्ट्रीय परीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि जून और अक्टूबर 2020 के बीच राज्य सरकारों और कुछ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की साझेदारी में राजकोट और बड़ौदा (गुजरात), वाराणसी (उत्तरप्रदेश) और कल्याण (महाराष्ट्र) में 200-200 मरीजों पर ‘क्लीनिकल ट्रायल’ किए गए थे। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत आने वाले आरकेए का गठन केन्द्र द्वारा फरवरी, 2019 किया गया था।
 
ऐसी होगी परीक्षा : कथीरिया ने बताया कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अब गौ विज्ञान पर अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवाने की तैयारी भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि परीक्षा में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाएंगे और आयोग की वेबसाइट पर पाठ्यक्रम के बारे में ब्यौरा उपलब्ध कराया जाएगा। परीक्षा परिणामों की घोषणा तुरंत कर दी जाएगी और सर्टिफिकेट दिए जाएंगे, साथ ही होनहार उम्मीदवारों को इनाम दिया जाएगा।
 
कथीरिया ने पत्रकारों से कहा कि कामधेनु आयोग क्लीनिकल ट्रायल में भागीदार था। जल्द ही हम आयुष मंत्रालय को इन परीक्षणों के डाटा सौंपने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपचार की खुराक में ‘पंचगव्य’ (गोमूत्र, गाय का गोबर, दूध, घी और दही का मिश्रण), जड़ी-बूटी ‘संजीवनी बूटी’ और हर्बल मिश्रण ‘काढ़ा’ शामिल हैं। 
 
उन्होंने कहा कि परीक्षण आयुष मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार किए गए थे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से संक्रमित लोग अपनी इच्छा से परीक्षणों में शामिल हुए थे और आवश्यक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। उन्हें संबंधित स्थानों पर मेडिकल कॉलेजों में भर्ती कराया गया, जहां परीक्षण किए गए।

कथीरिया ने कहा कि उदाहरण के लिए वाराणसी में चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस-बीएचयू) और राजकोट में आयुर्वेद क्योर कोविड केंद्र में भर्ती कोविड-19 रोगियों पर परीक्षण किए गए। यह पूछे जाने पर कि क्या आयुर्वेदिक उपचार एक निवारक उपाय था, उन्होंने कहा कि यह रोगनिवारक था। उन्हें कोई एलोपैथी दवा नहीं दी गई थी। (इनपुट भाषा)
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