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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 9 जुलाई 2022 (14:19 IST)

ट्विटर, टकराव और टेंशन: दुनिया के साथ भारत में ट्विटर के विवादों की पूरी पड़ताल

ट्विटर, टकराव और टेंशन: दुनिया के साथ भारत में ट्विटर के विवादों की पूरी पड़ताल - Full investigation of Twitter deal cancellation and controversies
माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर बीते सप्ताह भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में है। भारत में ट्वीटर पर आरोप लगा है कि सांप्रदायिक और धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और हेट कंटेट को बढावा देने के लिए ट्विटर का एक टूल में उपयोग हो रहा है। तो सप्ताह के आखिरी दिन टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क ने ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीदने का सौदा अपनी तरफ से रद्द कर दिया है। ऐसे में आज चर्चित मुद्दे में ट्विटर, टकराव और टेंशन की पूरी पड़ताल करेंगे। 
 
फर्जी एकाउंट्स से रद्द हुई ट्विटर की डील-दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने से अपने कदम पीछे करने की मुख्य वजह ट्विटर के फर्जी एकाउंट्स को बताया है। एलन मस्क ने ट्विटर पर अपने फर्जी (Bot) एकाउंट्स की सही संख्या छिपाने और इस बारे में मांगी गई पूरी जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया है। मस्क ने डील रद्द करते हुए ट्विटर पर भड़कते हुए कहा था कि वह स्वतंत्र अभिव्यक्ति के मंच के तौर पर अपनी क्षमता पर खरा उतरने में नाकाम रहा है।
फर्जी एकाउंट्स पर ट्विटर की सफाई-एलन मस्क ने ट्विटर पर अपने फर्जी एकाउंट्स की संख्या छिपाने का आरोप लगाया है। वहीं फर्जी एकाउंट्स पर ट्विटर ने अपनी सफाई में कहा कि वह हर दिन 1 मिलियन यानी दस लाख फर्जी एकाउंट्स को बंद कर रही है। कंपनी ने यह भी दावा किया था कि उसके एक्टिव यूजर बेस में फर्जी एकाउंट्स का हिस्सा 5 फीसदी से काफी कम है। ट्विटर ने अपने स्पष्टीकऱण में कहा कि स्पैम या फर्जी एकाउंट्स की पहचान करने के लिए टीम हजारों एकाउंट्स के रैंडम सैंपल की जांच करती है। कोई एकाउंट सही है या फर्जी इसका फैसला करने के लिए आईपी एड्रेस, फोन नंबर, लोकेशन और एकाउंट बिहेवियर जैसी बातों का इस्तेमाल किया जाता है। मस्क के ट्विटर डील को रद्द करने के फैसले को ट्विटर ने कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
 
भारत में क्यों विवादों में ट्विटर?-एक ओर फर्जी एकाउंट्स के चलते ट्विटर की डील खतरे में है तो दूसरी ओर भारत में भी ट्विटर बीते सप्ताह खूब विवादों में रहा। भारत में ट्विटर के विवाद में रहने की मुख्य वजह डाक्यूमेंटी फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई की ट्विटर की गई विवादित पोस्टर रही। लीना मणिमेकलई ने पहले मां काली और उसके बाद भगवान शिव और पार्वती को लेकर विवादित पोस्ट ट्विटर पर पोस्ट की। लीना मणिमेकलई की विवादित पोस्ट के बाद ट्विटर फिर विवादों में आ गया है। 
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आरोप लगाया कि लीना मणिमेकलाई जैसे विकृत मानसिकता वाले लोग धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए ट्वीटर को एक टूल के रूप में उपयोग कर रहे है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को पत्र लिखकर कहा कि शरारती तत्व धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए ट्वीटर को एक टूल के रूप में उपयोग कर रहे है। ऐसी टीका टिप्पणी ‌या चित्रण सामाजिक समरसता बिगाड़ने और धर्म विशेष की भावनाओं को आहत करने का काम करती है। ट्विटर अपने स्तर पर स्क्रीनिंग करके ऐसे कंटेट को ट्विटर पर पोस्ट होने से रोके और ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके एकाउंट्स पर बैन लगाए।
 
ट्विटर की जवाबदेही तय हो-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने की मांग भी अब तेज हो गई है। देश के जाने-माने साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कहते हैं कि अब जरूरी हो गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ओनर और सर्विस प्रोवाइडर की जवाबदेही और जिम्मेदारी तय की जाए। इसके साथ ही उन पर यह जिम्मेदारी भी डाली जाए कि इस तरह के अनावश्यक कंटेट चाहे वह हेट हो या मानहानि से जुड़ा हो उनके प्लेटफॉर्म पर नहीं हो। 
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में पवन दुग्गल कहते हैं कि केंद्र सरकार पिछले साल सूचना प्रौद्योगिक नियम-2021 लेकर आई थी जिन्होंने 2011 के आईटी नियमों का स्थान लिया था। इसमें कानूनी कार्रवाई की बात भी कही गई थी लेकिन 2021 में कानून तो बन गए थे लेकिन उनका पालन नहीं हो पाया। शुरु में ट्वीटर के खिलाफ चार केस हुए लेकिन उसके बाद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई। अधिकांश सर्विस प्रोवाइडर ने इन नियमों का पालन नहीं किया। 

सोशल मीडिया पर कैसे लगेगी लगाम?-भारत में पिछले कुछ समय से ट्विटर सहति अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म विवादों में है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया को जवाबदेही बनाने की बात कही है। ऐसे में अब सरकार सोशल मीडिया पर नकेल कसने के लिए कड़े कानून को बनाने के पूरी तैयारी में है। चर्चा इस बात की भी है कि सरकार ने सोशल मीडिया पर मनमानी पोस्ट पर नकेल कसने के लिए कानून का मसौदा तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे लागू कर सकती है।
 
सुप्रीम कोर्ट के वकील औऱ साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कहते हैं कि अब समय आ गया है कि सोशल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए कड़े कानून बने।
1-सोशल मीडिया पर फेक कंटेट रोकने के लिए भारत को तुरंत डेडिकेटेड फेक न्यूज लॉ बनाने होंगे।
2-डेडिकेटेड ऑनलाइन हेट स्पीच लॉ लेकर आए, जिससे ऐसे कंटेट से समुदाय के बीच टकराव को रोका जा सके। 
3-सूचना प्रौद्योगिकी कानून को संशोधित कर कड़े कानून बनाए जाए।
4-आईटी रूल्स-2021 में सरकार और ज्यादा सख्ती लेकर आए। आईटी रूल- 2021 के मुताबिक अगर कोई कंटेट अश्लील है तो वह 24 घंटे में रिमूव होता है, वहीं अगर कोई कंटेट कम्युनल है तो उसे हटाने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। अब समय आ गया है कि 6 घंटे में रिमूव करने के सख्त प्रावधान करना होगा जिसमें ऐसा करने वाले शख्स को जेल भेजने का भी प्रावधान हो। 
5-भारतीय दंड संहिता के प्रावधान में संशोधन करने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया क्राइम को भारतीय दंड संहिता में लाएंगे तो पुलिस जल्द प्रभावी कार्रवाई कर सकेगी।