Foreign portfolio investor News : विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में करीब 8500 करोड़ रुपए डाले हैं। इस माह की शुरुआत में एफपीआई ने घरेलू बाजार में बिकवाली की थी। इसके बाद वैश्विक व्यापार मोर्चे पर कुछ राहत की उम्मीद और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। इससे पहले मार्च में एफपीआई ने शेयरों से 3,973 करोड़ रुपए निकाले थे। फरवरी में उनकी निकासी 34,574 करोड़ रुपए रही थी। वहीं जनवरी में उन्होंने कहीं अधिक 78,027 करोड़ रुपए की निकासी की थी।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, कम कारोबारी सत्रों वाले 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 8,472 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें 15 अप्रैल को 2,352 करोड़ रुपए की निकासी भी शामिल है। हालांकि इसके अगले दो सत्रों में उन्होंने 10,824 करोड़ रुपए का निवेश किया।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई गतिविधियों में हालिया तेजी से धारणा में संभावित बदलाव का संकेत मिलता है, लेकिन इस प्रवाह की स्थिरता वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति, अमेरिकी व्यापार नीति में स्थिरता और भारत की घरेलू वृद्धि के परिदृश्य पर निर्भर करेगी।
सप्ताह के दौरान, 15 से 17 अप्रैल तक सिर्फ तीन दिन- मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को कारोबार हुआ। आंबेडकर जयंती और गुड फ्राइडे के कारण सोमवार और शुक्रवार को शेयर बाजार बंद रहे। कुल मिलाकर, एफपीआई ने अप्रैल में अब तक शेयरों से 23,103 करोड़ रुपए निकाले हैं। इससे 2025 की शुरुआत से उनकी कुल निकासी 1.4 लाख करोड़ रुपए हो गई है।
श्रीवास्तव ने कहा कि महीने के शुरुआती हिस्से में एफपीआई ने आक्रामक तरीके से बिकवाली की थी। यह मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों पर लगाए गए जवाबी शुल्क की वजह से थी। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार व्यवधानों से कुछ राहत और भारतीय शेयर बाजारों में हालिया करेक्शन की वजह से आकर्षक मूल्यांकन के चलते एफपीआई की धारणा में सुधार हुआ है।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि सबसे पहले डॉलर इंडेक्स में 100 के स्तर तक की गिरावट और डॉलर में और कमजोरी की वजह से एफपीआई अमेरिका से हटकर भारत जैसे उभरते बाजारों का रुख कर रहे हैं।
इसके अलावा अमेरिका और चीन दोनों देशों में इस साल धीमी वृद्धि दर्ज होने की संभावना है, जबकि भारत में प्रतिकूल वैश्विक माहौल के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वृद्धि के मोर्चे पर भारत का बेहतर प्रदर्शन शेयर बाजारों के लिए भी अच्छा रहेगा।
इससे पहले मार्च में एफपीआई ने शेयरों से 3,973 करोड़ रुपए निकाले थे। फरवरी में उनकी निकासी 34,574 करोड़ रुपए रही थी। वहीं जनवरी में उन्होंने कहीं अधिक 78,027 करोड़ रुपए की निकासी की थी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour