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Last Updated : शुक्रवार, 17 मई 2024 (20:08 IST)

क्या है 3F का संकट, ऐसा कहकर किस पर निशाना साधा विदेश मंत्री जयशंकर ने

क्या है 3F का संकट, ऐसा कहकर किस पर निशाना साधा विदेश मंत्री जयशंकर ने - Foreign Minister S Jaishankar told about the crisis of 3F
External Affairs Minister S Jaishankar News: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीन की सैन्य मौजूदगी और सीमापार आतंकवादी गतिविधियों को पाकिस्तान के समर्थन के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि समझौतों का अनादर और कानून के शासन की अवहेलना किए जाने के कारण एशिया में भूमि और समुद्र में नए तनाव पैदा हुए हैं।
जयशंकर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक कार्यक्रम में मुद्रा की ताकत पर भी बात की। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक कूटनीति के तौर पर ‘प्रतिबंधों की धमकी’ का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा रहा है। जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ ही दिन पहले भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर समझौता होने के बाद अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी। ALSO READ: चाबहार डील पर जयशंकर की अमेरिका को दोटूक, छोटी सोच नहीं रखना चाहिए
 
क्या हैं 3F : विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन युद्ध के परिणामों, पश्चिम एशिया में हिंसा में वृद्धि और जलवायु घटनाओं, ड्रोन हमलों की घटनाओं, भू-राजनीतिक तनाव एवं प्रतिबंधों के मद्देनजर साजो-सामान संबंधी व्यवधान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सीआईआई की वार्षिक आम बैठक में कहा कि दुनिया तीन ‘एफ’ यानी ‘फ्यूल, फूड, फर्टीलाइजर’ (ईंधन, भोजन और उर्वरक) के संकट से जूझ रही है। समझौतों का अनादर और कानून के शासन की अवहेलना किए जाने के कारण एशिया में भूमि और समुद्र में नए तनाव पैदा हुए हैं।
 
पाकिस्तान पर परोक्ष निशाना : जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद और अतिवाद ने उन्हें निगलना शुरू कर दिया है जो लंबे समय से इसका सहारा लेते आए हैं। कई मायनों में, हम वास्तव में एक तूफान से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लिए महत्वपूर्ण है कि वह खुद पर इसका कम से कम प्रभाव पड़ने दे और जहां तक संभव हो सके, दुनिया को स्थिर करने में योगदान दे। ‘भारत प्रथम’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का विवेकपूर्ण संयोजन हमारी छवि को ‘विश्व बंधु’ के रूप में परिभाषित करता है। ALSO READ: LAC पर बलों की तैनाती असामान्य, सुरक्षा की अनदेखी नहीं, चीन के साथ सीमा विवाद पर जयशंकर
 
परोक्ष तौर पर चीन के संदर्भ में जयशंकर ने आर्थिक गतिविधियों को 'हथियार बनाये जाने' और राजनीतिक दबाव डालने के लिए कच्चे माल तक पहुंच या यहां तक कि पर्यटन की स्थिरता का उपयोग राजनीतिक दबाव डालने के लिए किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमारी चिंताओं का एक अलग आयाम अत्यधिक बाजार हिस्सेदारी, वित्तीय प्रभुत्व और प्रौद्योगिकी ट्रैकिंग के संयोजन से उत्पन्न हुआ है।
 
चीन पर निशाना : उन्होंने कहा कि उनके बीच, उन्होंने वास्तव में किसी भी प्रकार की आर्थिक गतिविधि को हथियार बनने दिया है। हमने देखा है कि कैसे निर्यात और आयात, कच्चे माल तक पहुंच या यहां तक कि पर्यटन की स्थिरता का उपयोग राजनीतिक दबाव डालने के लिए किया गया है उन्होंने कहा कि साथ ही मुद्रा की शक्ति और प्रतिबंधों के खतरे को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के ‘टूलबॉक्स’ में लगाया गया है।
 
विदेश मंत्री जयशंकर ने अनिश्चित रसद और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन सचेत प्रयासों के अलावा, मुद्रा की भारी कमी और अनिश्चित साजोसामान के परिणाम भी सामने आए हैं। ये सभी देशों को वैश्वीकरण के कामकाज पर फिर से विचार करने और अपने स्वयं के समाधान तैयार करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि इसमें नए साझेदारों की खोज शामिल है, इसमें छोटी आपूर्ति श्रृंखला बनाना, इन्वेंट्री बनाना और यहां तक कि नई भुगतान व्यवस्था तैयार करना भी शामिल है। इनमें से प्रत्येक का हमारे लिए कुछ परिणाम है। ALSO READ: अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ अलगाववाद के समर्थन की स्वतंत्रता नहीं : विदेश मंत्री जयशंकर
 
विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार अपेक्षित पूंजी, प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रवाह में तेजी लाने के प्रयासों के अलावा आर्थिक विकास और मजबूत विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे निर्यात प्रोत्साहन प्रयास, जो पहले से ही परिणाम दे रहे हैं, दुनिया भर में तेज होंगे। दुनिया को हमारे उत्पादों और क्षमताओं से परिचित कराने के लिए ऋण सुविधा और अनुदान का उपयोग भी गहरा होगा।
 
जयशंकर ने कहा कि आज के भारत के आकर्षणों की व्यापक ब्रांडिंग का प्रयास है जो साझेदारी के लाभों को दुनिया के सामने पेश करेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सामान्य व्यवसाय से कुछ अधिक की आवश्यकता है क्योंकि विश्वास और विश्वसनीयता बहुत महत्वपूर्ण हो गई है।
 
उन्होंने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि हमारी आर्थिक प्राथमिकताओं को हमारे रणनीतिक हितों के अनुरूप करना होगा, चाहे हम बाजार पहुंच, निवेश, प्रौद्योगिकियों या यहां तक कि शिक्षा और पर्यटन की बात कर रहे हों। यह और भी अधिक होगा क्योंकि 'मेक इन इंडिया' रक्षा, सेमीकंडक्टर और डिजिटल जैसे क्षेत्रों में अधिक जोर पकड़ रहा है।
 
जयशंकर ने कहा कि यदि हमें अपनी वृद्धि को बढ़ावा देना है तो भारत की संभावनाओं वाली अर्थव्यवस्था को वैश्विक संसाधनों तक पहुंच को अधिक गंभीरता से लेना होगा। उन्होंने कहा कि लंबे समय से, हमने रूस को राजनीतिक या सुरक्षा दृष्टिकोण से देखा है। जैसे-जैसे वह देश पूर्व की ओर मुड़ता है, नए आर्थिक अवसर खुद को प्रस्तुत कर रहे हैं।
 
जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज खुद का विरोधाभासी रूप से पुनर्निर्माण कर रही है, भले ही वह बाधित हो रही हो। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में जैसे-जैसे नए उत्पादन और उपभोग केंद्र उभरे हैं, उनके अनुरूप लॉजिस्टिक कॉरिडोर बनाने की बाध्यता भी बढ़ गई है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala