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  4. Finance Minister Nirmala Sitharaman said that India has become the fastest growing economy and will continue to do so
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Last Modified: शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023 (18:56 IST)

भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना, आगे भी रहेगा : निर्मला सीतारमण

Nirmala Sitharaman
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार के कई एहतियाती कदमों और आरबीआई की मौद्रिक नीति के कारण महामारी एवं रूस-यूक्रेन संघर्ष के दबाव से उबरते हुए भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और आगे भी रहेगा।

लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्तमंत्री सीतारमण ने खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने के विपक्षी दलों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इसमें पूंजी डालने का रास्ता चुना क्योंकि इसका बहुआयामी असर है।

उन्होंने कहा कि लोकोन्मुखी परियोजनाओं में खर्च को बढ़ाया गया जिससे रोजगार के अवसर बढ़े। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया गया जिससे घरेलू मांग बढ़ी है साथ ही सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र पर ध्यान दिया गया। सीतारमण ने कहा, इन चार कदमों से अर्थव्यवस्था सतत विकास के पथ पर बढ़ चली है।

उन्होंने कहा कि सरकार के कई एहतियाती कदमों और आरबीआई की मौद्रिक नीति के कारण नवंबर-दिसंबर 2022 तक मुद्रास्फीति नीचे आई। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद चुनौतीपूर्ण स्थिति रही, इसके बाद रूस-यूक्रेन संघर्ष भी सामने आया, लेकिन सरकार की अच्छी नीतियों जिनमें पीएम गति शक्ति, पीएलआई योजना, सहकारी संघवाद जैसे कदमों से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिली।

वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने इस बात पर ध्यान दिया कि लोगों के हाथों में पैसा रहे। उन्होंने कहा कि जहां तक राज्यों को धन के हस्तांतरण की बात है, उसमें कर में केंद्रीय हिस्से के रूप में केंद्र पोषित योजनाओं सहित अन्य मद में वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान में 17.98 लाख करोड़ रुपए की राशि का प्रस्ताव है जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 1.55 लाख करोड़ रुपए अधिक है।

उन्होंने बताया कि पूंजीगत व्यय मद में 10 लाख करोड़ रूपए का प्रस्ताव है जो पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान वर्ष 2013-14 में 2.91 लाख करोड़ रूपए था। सीतारमण ने बताया कि इसके अलावा राज्यों को 15 वर्ष के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने की व्यवस्था की गई है।

उन्होंने बताया कि अगले वित्त वर्ष का बजट मध्यम वर्ग, रोजगार सृजन, लघु उद्यमों, कृषि क्षेत्र, ग्रामीण आबादी, स्वास्थ्य एवं हरित विकास पर केंद्रित है। सीतारमण ने कहा कि नई कर प्रणाली बेहद आकर्षक है जिसमें इस बार के बजट में सात लाख रुपए तक की आय पर कर छूट देने का प्रस्ताव किया गया। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अधिक धन रहेगा।

उन्होंने कहा कि नई कर प्रणाली से अधिकतर मध्यम वर्गीय करदाताओं को लाभ होगा और छूट की सीमा बिना शर्त वाली होने के कारण उनके हाथों में खर्च के लिए अधिक पैसा रहेगा। उन्होंने कहा कि इस बजट में विकास अनिवार्यताओं को राजकोषीय आयामों के दायरे में संतुलित करने का पूरा प्रयास किया गया है।

सीतारमण ने खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने के विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि खाद आयात पर अतिरिक्त खर्च पहले भी किसान पर नहीं डाला गया और इस साल भी किसानों पर नहीं डाला जा रहा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक उर्वरक सब्सिडी 65 हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ रूपए के दायरे में रही और वर्ष 2023-24 के बजट प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर 2.25 लाख करोड़ रूपए करने का प्रस्ताव है।उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं लेकिन हमने किसानों पर उसका भार नहीं पड़ने दिया।

वित्तमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से खाद्य सब्सिडी में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान खाद्य सब्सिडी 1 लाख करोड़ रुपए से 1.2 लाख करोड़ रुपए थी लेकिन वर्ष 2023-24 के बजट में यह 1.97 लाख रुपए प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी के लिए प्रावधान सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर नवंबर 2021 और जून 2022 में दो बार उत्पाद शुल्क कम करके लोगों को राहत दी जबकि अंतरराष्ट्रीय दर कम नहीं हो रहीं थीं। उन्होंने कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों के नाम भी गिनाए जिन्होंने पेट्रोल-डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) बढ़ाया।

उन्होंने कहा कि मनरेगा में आवंटन कम का दावा सही नहीं है। मंत्री ने कहा कि बजट में पीएम आवास योजना ग्रामीण में 34 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा और जल जीवन मिशन में 10 हजार करोड़ रूपए की राशि दी गई है।उन्होंने कहा कि इनमें समान कार्य हैं और लाभार्थी भी मनरेगा की तरह समान हैं।

वित्तमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा पर कम आवंटन का दावा गलत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले बजट में 89,253 करोड़ रुपए आवंटन था, इस बार 92 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रस्तावित है। इसी प्रकार से शिक्षा पर पिछले साल 1.04 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जो इस बजट में 1.13 लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया गया है।

सीतारमण ने कहा, हमारा न्यू इंडिया का सपना है और प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान सबका साथ, सबका विकास पर है। समावेशी विकास पर है। जो भी पात्र है, उसे लाभ मिलेगा।उन्होंने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के एक योजना में तरफदारी के आरोपों पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में तरफदारी नहीं की जाती, ऐसे बयान गलत हैं और सभी को पात्रता के आधार पर आवंटन किए जाते हैं।

उन्होंने कहा, रिश्तेदारों को फोन पर आवंटन की संस्कृति कांग्रेस की है, हमारी नहीं। उन्होंने कहा कि बजट में किसी विभाग का आवंटन कम नहीं किया गया, यह बात वह आंकड़ें रखकर बता रही हैं और यह बजट किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है।

वित्तमंत्री ने 1983 की नेल्ली हिंसा और 1984 के सिख विरोधी दंगों का उल्लेख करते हुए तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि उस समय इन घटनाओं में पीड़ित समुदायों के लिए बजट आवंटन क्या कम था, लेकिन फिर भी वे हिंसा का शिकार हो गए।

उन्होंने कहा कि किसी विभाग के लिए बजट आवंटन कम होने का यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि हम किसी समुदाय के खिलाफ हैं। केंद्र पर राज्यों के बकाए को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के आरोपों को निराधार बताते हुए सीतारमण ने कहा कि केंद्र की कई योजनाओं को लेकर पश्चिम बंगाल में अनियमितताओं की शिकायतें आईं।

उन्होंने कहा कि ऐसे में महापंजीयक के प्रमाण पत्र के बिना धन कैसे जारी किया जा सकता है। उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार ने महापंजीयक का प्रमाण पत्र नहीं दिया, तो मैं क्या करूं। सीतारमण ने कहा कि हम पैसे देने को तैयार हैं, लेकिन उचित प्रक्रिया का पालन होना जरूरी है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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