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Last Modified: सोमवार, 12 अगस्त 2019 (19:56 IST)

चोरी की चौंकाने वाली घटना, FCI के अधिकारियों ने लगाया 85 लाख रुपए का चूना, अब CBI करेगी जांच

FCI rice embezzlement। चोरी की चौंकाने वाली घटना, FCI के अधिकारियों ने लगाया 85 लाख रुपए का चूना, अब CBI करेगी जांच - FCI rice embezzlement
नई दिल्ली। चोरी की आश्चर्यजनक घटना में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के कुछ अधिकारियों और एक निजी कंपनी ने स्कूटरों और मोटरसाइकलों का इस्तेमाल कर लगभग 85 लाख रुपए मूल्य के 2.60 लाख किलोग्राम से ज्यादा चावल की कथित तौर पर 'चोरी' कर ली।
 
इतना ही नहीं, इन लोगों ने आंखों में धूल झोंकने के लिए कहा कि चावल की खेप ट्रकों में भेजी गई, लेकिन इन्होंने जो पंजीकरण नंबर दिए थे, वे स्कूटर और मोटरसाइकल के निकले। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच अपने हाथों में ले ली है और एफसीआई से मिली शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
 
यह आरोप लगाया गया है कि 7 मार्च 2016 से 22 मार्च 2016 के बीच असम के सल्चप्रा रेल टर्मिनल से 9.191 क्विंटल (9,19,100 किलोग्राम) चावल निजी ट्रांसपोर्टर जेनिथ एंटरप्राइजेज के 57 ट्रकों के जरिए मणिपुर के कोइरेंगेई भेजा गया।
 
2 महीने बाद खेप 275.5 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने गंतव्य पर पहुंची जबकि इतनी दूरी तय करने में लगभग 9 ही घंटे लगते हैं। जांच-पड़ताल में पता चला कि 16 वाहनों के जरिए भेजे गए 2601.63 क्विंटल (2,60,163 किलोग्राम) चावल की खेप के मामले में गबन किया गया जिसकी कीमत 84.98 लाख रुपए थी।
 
चावलों की यह खेप कोइरेंगेई डिपो नहीं पहुंची, लेकिन कागजों में यह पहुंची हुई दिखा दी गई। ट्रांसपोर्टर ने शपथ पत्र में कहा कि विलंब ट्रकों में खराबी की वजह से हुआ जिसकी वजह से खेप दूसरे ट्रकों में चढ़ानी पड़ी।
 
आगे की जांच में पता चला कि खराब ट्रकों के जो पंजीकरण नंबर दिए गए थे, वे ट्रकों के नहीं, बल्कि एलएमएल और होंडा एक्टिवा स्कूटरों, मोटरसाइकलों, पानी के टैंकरों, बस, मारुति वैन, कारों और काल्पनिक वाहनों (जिनका कोई पंजीकरण था ही नहीं) के थे।
 
पंजीकरण नंबरों के रिकॉर्ड से पता चला कि लापता चावलों की 16,300 और 10,000 किलोग्राम की खेप स्कूटरों के जरिए भेजी गईं और चुराए गए 16,300 किलोग्राम चावल की एक अन्य खेप एक मोटरसाइकल के जरिए भेजी गई।
 
प्राथमिकी का ब्योरा देते हुए एक अधिकारी ने कहा कि उक्त 2601.63 क्विंटल चावल कोइरेंगेई भेजा ही नहीं गया और इसका गबन किया गया। यह बात इस तथ्य से भी साबित होती है कि रिकॉर्ड में दर्ज वाहन नंबर और खेप भेजने में शामिल उक्त 16 सड़क परिवहन परमिटों वाले वाहनों ने लींगांगपोक्पी पुलिस नाके और कीथेलमान्बी पुलिस नाका क्षेत्र में प्रवेश किया ही नहीं।
 
प्राथमिकी में कहा गया है कि सल्चप्रा स्थित एफसीआई शाखा के अधिकारियों आशीष कुमार पॉल और रजनीश कुमार ने चावल लोड किए बिना ही फर्जीवाड़ा कर ए 16 परमिट जारी कर दिए तथा ट्रांसपोर्टर जेनिथ एंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि एल. जॉनसन ने इन परमिटों पर फर्जी हस्ताक्षर किए।
 
इसमें कहा गया है कि ट्रांसपोर्टर कंपनी के सोइबम सुरजीत ने ट्रकों के खराब होने और चावल दूसरे वाहनों में चढ़ाने के बारे में फर्जी हलफनामे पेश किए। अधिकारियों ने कहा कि कोइरेंगेई में पदस्थ अधिकारियों ने कथित तौर पर रसीद संबंधी फर्जी प्रविष्टियां कीं। ट्रांसपोर्ट कंपनी ने भी 16 ट्रकों के फर्जी बिल तैयार किए।
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