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Last Updated : गुरुवार, 12 मई 2022 (14:01 IST)

Explainer: कितनी जरूरी है जाति आधारित जनगणना?

Explainer: कितनी जरूरी है जाति आधारित जनगणना? - Explainer on caste based census
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से सोमवार को मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही देश में जातीय जनगणना की मांग तेज हो गई है। भारत की जनगणना 15 बार की जा चुकी है। जातीय जनगणना की तेज होती मांग के बीच सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि 2021 की जनगणना जातियों के हिसाब से नहीं होगी। सिर्फ एससी, एसटी को ही गिना जाएगा। ओबीसी जातियों को गिनने का कोई प्लान नहीं है।
 
भाजपा जब विपक्ष में थी तब वो जोर-शोर से जातीय जनगणना की मांग करती थी पर सत्ता में आते ही उसके सुर बदल गए। बहरहाल यूपी और बिहार की राजनीति में जातियां बड़ा रोल प्ले करती है। इसी वजह से जातीय जनगणना की मांग को लेकर बिहार के 10 दलों के 11 बड़े नेता दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात से मुलाकात की। इस बीच, 2021 में होने वाली जनगणना की अप्रैल से शुरुआत होना थी, लेकिन यह कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के चलते इसकी शुरुआत नहीं हो सकी। 
 
इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, वीआईपी के मुकेश साहनी भी शामिल थे। कुल मिलाकर यह पूरा खेल वोट की राजनीति पर आधारित है।

कब से शुरू हुई जनगणना : 1872 में यह ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो ने पहली बार भारत में जनगणना कराई थी। तब से हर 10 वर्ष में उसके बाद यह हर 10 वर्ष बाद कराई गई। हालाकि भारत की पहली संपूर्ण जनगणना 1881 में हुई। 1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है। 1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी तथा आगामी जनगणना 2021 में कराई जाएगी। 
 
अंग्रेजों के जमाने में जनगणना जाती के आधार पर की जाती थी। 1931 में आखिरी बार देश में जातीय जनगणना हुई थी। 1941 में भी जनगणना जाति के आधार पर ही हुई थी, लेकिन उसके आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए। आजादी के बाद जनगणना का तरीका बदल दिया गया।
 
1951 में जाति के आधार पर अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति के लोगों की ही जनगणना की गई। संविधान लागू होने के बाद से देश में आरक्षण लागू हो गया। 1953 में पिछली जाति के लोगों को भी आरक्षण मिलने लगा। इस तरह समय के साथ देश में जातियों में गहराई बढ़ने लगी।
 
 
 
कैसे होगी 2021 में जनगणना : रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त ने 10 जनवरी 2020 को जारी अधिसूचना में कहा था कि जनगणना अधिकारियों को हर घर से जानकारी एकत्र करने के लिए 31 प्रश्न पूछने का निर्देश दिया गया है। हालांकि अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया है कि मोबाइल नंबर केवल जनगणना से संबंधित संचार के लिए मांगा जाएगा और किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं।
 
हर घर से मांगी जाने वाली अन्य जानकारी इस प्रकार है- क्या परिवार के पास टेलीफोन, मोबाइल फोन, स्मार्टफोन, साइकल, स्कूटर, मोटरसाइकल, मोपेड, कार, जीप या वैन, रेडियो या ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, लैपटॉप या कम्प्यूटर है या इंटरनेट तक पहुंच है।
 
2050 तक सबसे आगे होगा भारत : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की 17 जुलाई 2010 में जारी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि भारत 2050 में दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। आशंका यह भी है कि जनसंख्या विस्फोट के मामले में भारत चीन  को पीछे छोड़ देगा। बीते 100 साल में भारत की जनसंख्या 5 गुना बढ़ी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में  जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।
 
जनगणना से जुड़ी खास बातें : 
* जनगणना कार्य 'जनगणना अधिनियम 1948' और इसके तहत बनाए गए 'जनगणना नियम 1990' (संशोधित अधिनियम 1993) के तहत किया जाने वाला सबसे बड़ा शासकीय कार्य है। इस कार्य को करने वाला व्यक्ति सरकारी ड्यूटी पर माना जाता है।
* भारत की जनगणना का कार्य विश्व का सबसे बड़ा समयबद्ध रूप से किया जाने वाला प्रशासनिक कार्य है।
* जनगणना में पूछे जाने वाले सवालों को भारत सरकार एवं राज्य सरकार के राजपत्रों में भी प्रकाशित किया जाता है।
* जनगणना, युद्ध, महामारी, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक असंतोष जैसी विपत्तियों के बावजूद भी सतत रूप से की जाती रही है।
* जनगणना में लोगों की भागीदारी से देश की अनेकता में एकता की भावना की झलक मिलती है।