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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 1 नवंबर 2019 (14:18 IST)

दिल्ली -NCR में दमघोंटू जहरीली हवा से मचा हाहाकार, अस्पताल में बढी मरीजों की संख्या

दिल्ली -NCR में दमघोंटू जहरीली हवा से मचा हाहाकार, अस्पताल में बढी मरीजों की संख्या - Delhi-NCR air quality drops to emergency category
दिल्ली में दीवाली के बाद हवा अब जहरीली हो चुकी है। शुक्रवार को दिल्ली -NCR में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार सुबह दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 425 दर्ज हुआ है जिसके चलते लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पडा।

देश की राजनधानी में सर्दियों की आमद जैसे जैसे दर्ज होने लगी है वैसे वैसे राजधानी दिल्ली एक बड़े खतरे की ओर बढ़ने लगी हैं। दिल्ली में हवा के दम घोंटू होने से अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है जिनको सांस लेने में परेशानी और चक्कर आना शामिल है। 
 
पराली पर गर्माई सियासत : दिल्ली से सटे हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान हर साल इस समय पराली जलाते है जिससे पूरे उत्तर भारत की हवा इस स्तर तक जहरीली हो जाती है कि लोगों का दम घुटने लगता है। धान की फसल कटने के बाद खेत में बचे अवशेष को पराली कहा जाता है जिसको रोकने के लिए सरकार हर साल लाख दावे करती है लेकिन हर साल नतीजा वहीं शून्य होता है।

पराली जलाने पर कोई हल निकालने की बजाय इस पर अब सियासत होने लगी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की हवा के जहरीली होने के लिए पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने और वहां की सरकार के लचर रवैये को जिम्मेदार ठहराया है।   
 
प्रदूषण से मौत में सबसे आगे : दिल्ली में प्रदूषण फैलाने के लिए न तो अकेले पराली जिम्मेदार है, न ही ये चुनौती देश के किसी खास हिस्से में सिमटी हुई है। पर्यावरण से छेड़छाड़ और हमारी लापरवाहियों से प्रदूषण आज कई रुप में पूरे देश के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व के लिए खतरा बन गया है ।

बोस्टन के हेल्थ इफेक्ट इस्टिट्यूट की स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019 बताती है कि जहरीली हवा भारत में होने वाली कुल मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में हवा में घुले ज़हर ने 12 लाख लोगों की जान ले ली। दुर्भाग्य से दुनिया में प्रदूषण से होने वाली मौत के मामले में भारत और चीन सबसे आगे है। रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण 2017 में भारत में 12 लाख लोगों की मौत हुई जिसके लिए आउटडोर और हाउसहोल्ड प्रदूषण जिम्मेदार है। 
 
प्रदूषण पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट का सर्वे भी हमारे देश में प्रदूषण के इस भयावह आंकड़े की तस्दीक करता है । ये सर्वे बताता है कि अकेले वायु प्रदूषण ही भारत में 12.5 फीसदी मौतों के लिए ज़िम्मेदार है । इसके असर से हर साल दस हजार में से औसतन 8.5 लड़के और 9.6 लड़कियां पांच साल का होने से पहले ही जान गंवा देते हैं । आज चीन, अमरीका और यूरोपीय संघ के बाद भारत सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 60 फीसदी आबादी प्रदूषण की चपेट में है। 
 
अब प्रदूषण जिस तेजी से दुनिया भर में लोगों की जान लील रहा है, उससे वो भूख-आतंक और युद्ध से भी बड़ा हत्यारा बन गया है। इतना ही नहीं, प्रदूषण दुनिया को हर साल 293 लाख करोड़ का आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहा है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था का 6.2 फीसदी होता है।

प्रदूषण से इतने बड़े पैमाने पर हो रहे नकारात्मक असर ने साफ कर दिया है कि इस खतरे से निपटना किसी एक देश के लिए संभव नहीं रह गया। एकजुट होना अब दुनिया के लिए जरुरी भी है और मजबूरी भी । हालांकि अंतर्राष्ट्रीय होड़ और कुछ नेताओं की हठधर्मिता अभी भी इसके आड़े आ रही है । 
 
कैसे कम होगा खतरा : प्रदूषण किसी भी तरह का हो, जनस्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण तीनों के लिहाज से एक गंभीर समस्या है और इससे अकेले सरकार नहीं निपट सकती । सरकार केवल एक अत्प्रेरक हो सकती है लेकिन अच्छी नीयत को बेहतर नतीजों तक ले जाने के लिए जन भागीदारी भी जरुरी है।

देश के नागरिक के तौर पर हमे ये मान लेना चाहिए कि प्रदूषण से निपटने के लिए हमारी चिंता नीतियों पर ज्यादा और नीयत को लेकर कम रही है । सरकार के बनाए कानून तंत्रगत भ्रष्टाचार के कारण लागू ही नहीं हो पाते है। 
 
प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को सहेजने के लिए कानून के नाम पर  हम जितना श्रम, साधन, धन और समय खर्च करते हैं, वो प्रयास हमारे व्यक्तिगत या सामूहिक व्यवहार में नहीं दिखाई देते। सरकार को जिन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करना होगा, वो नतीजे हम अपनी आदतों में कुछ बुनियादों बदलाव लाकर भी हासिल कर सकते हैं, जैसे देश का हर नागरिक पौधारोपण को व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझे, सिंगल यूज प्लास्टिक से दूरी बनाए, सोलर कूकर का इस्तेमाल बढ़ाएं, उद्योगों की चिमनियां ऊंची रखें, पुराने वाहनों का ठीक से रख-रखाव करें। 
 
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