नई दिल्ली। Indian Railways : राष्ट्रीय राजधानी में 2 मस्जिदों को भेजे गए नोटिस पर विवाद के बीच रेलवे ने शनिवार को कहा कि अतिक्रमित रेलवे भूमि पर बनी संरचनाओं को हटाना एक नियमित प्रक्रिया है क्योंकि इससे संभावित सुरक्षा खतरे पैदा होते हैं। वक्फ बोर्ड ने इसे चौंकाने वाला फैसला बताया है।
रेलवे ने हाल में बंगाली मार्केट इलाके में स्थित एक मस्जिद और प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के पास एक मस्जिद को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने को कहा है। उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि संरचनाएं नयी दिल्ली और गाजियाबाद के बीच मुख्य मार्ग पर रेलवे की भूमि पर हैं।
हालांकि, दिल्ली वक्फ बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि तिलक ब्रिज के पास तकिया बाबर शाह मस्जिद और बंगाली मार्केट के पास की मस्जिद बोर्ड की संपत्ति हैं। उन्होंने रेलवे के नोटिस को "आश्चर्यजनक" बताया।
महफूज मोहम्मद ने कहा कि 1973 में, रेलवे ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से जमीन के एक टुकड़े के लिए अनुरोध किया था, जिस पर मस्जिद तकिया बाबर शाह स्थित है और उसे 94 वर्ग गज जमीन दी गई थी। मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और यह आश्चर्य की बात है कि रेलवे इसे ध्वस्त करने के लिए नोटिस दे रहा है।
उन्होंने कहा कि दोनों मस्जिदें अंग्रेजों द्वारा दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपी गईं संपत्तियों का हिस्सा हैं। केंद्र ने वक्फ बोर्ड की जिन 123 संपत्तियों का अधिग्रहण करना चाहा है, उनमें ये भी शामिल हैं। मोहम्मद ने कहा कि वक्फ बोर्ड पहले ही इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दे चुका है।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी करने से शुरू होती है, जिसमें उन्हें स्वयं अतिक्रमण हटाने के लिए उचित समय, आम तौर पर 15 दिन का समय दिया जाता है।
उत्तर रेलवे (एनआर) के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा कि एनआर, रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने को बहुत गंभीरता से लेता है। अतिक्रमण रेलवे कर्मचारियों और यात्रियों के लिए सुरक्षा खतरा पैदा कर सकता है, और इससे रेलवे संपत्ति को भी नुकसान हो सकता है। एनआर यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि रेलवे भूमि का उपयोग अपने इच्छित उद्देश्य के लिए किया जाए, और अतिक्रमण हटाना इस प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मस्जिदों को जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि रेलवे संपत्ति पर अवैध कब्जा किया गया है। आपको यह चेतावनी मिलने के 15 दिन के भीतर स्वेच्छा से मंदिर, मस्जिद या धार्मिक स्थलों सहित बिना लाइसेंस वाली किसी भी संरचना को नष्ट करना होगा, अन्यथा रेलवे प्रशासन कानूनी कार्रवाई करेगा।
इसमें कहा गया कि रेलवे अधिनियम के अनुपालन में जिन अतिक्रमण की अनुमति नहीं है, उन्हें हटा दिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया के दौरान होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी आपकी होगी। रेलवे प्रशासन को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि यदि अतिक्रमणकारी अनुपालन नहीं करते हैं, तो एनआर अतिक्रमण हटाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाएगा। उन्होंने कहा कि टास्क फोर्स में आरपीएफ और स्थानीय पुलिस शामिल होगी, तथा यह कर्मियों, मशीनरी की उपलब्धता और स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन के समर्थन पर निर्भर करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि एनआर में यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि जब भी अतिक्रमण की बात प्रकाश में आती है तो अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया जाता है। भाषा Edited By : Sudhir Sharma