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Last Updated :लखनऊ , रविवार, 16 जुलाई 2023 (16:25 IST)

धन की कमी से जूझ रहा अयोध्या मस्जिद निर्माण ट्रस्‍ट, अब इस रणनीति पर करेगा काम...

धन की कमी से जूझ रहा अयोध्या मस्जिद निर्माण ट्रस्‍ट, अब इस रणनीति पर करेगा काम... - Ayodhya Mosque Construction Trust changed strategy
Ayodhya Mosque Construction Trust changed strategy : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या के धन्नीपुर में मिली जमीन पर मस्जिद, अस्पताल और सामुदायिक रसोई समेत एक वृहद परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे 'इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट' ने धन के अभाव के चलते अपनी रणनीति में बदलाव किया है।
 
ट्रस्ट अब मस्जिद समेत इस परियोजना से संबंधित अन्य इमारतों का निर्माण टुकड़ों में कराएगा। उसने पूर्व में इस परियोजना की शुरुआत मस्जिद के बजाय अस्पताल के निर्माण से करने का फैसला किया था, लेकिन इस पूरी परियोजना को एकसाथ शुरू करने के वास्ते डेवलपमेंट चार्ज समेत करोड़ों रुपए बतौर शुल्क चुकाने पड़ेंगे, जिसके लिए ट्रस्ट के पास धन नहीं है। यही कारण है कि ट्रस्ट ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए टुकड़ों में काम कराने का निर्णय लिया है।
 
‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ के सचिव एवं प्रवक्ता अतहर हुसैन ने रविवार को बताया, धन की कमी की वजह से अभी हमने परियोजना को रोक रखा है। इस मुश्किल के बावजूद हम इस परियोजना को बंद नहीं करेंगे, बल्कि रणनीति में बदलाव करते हुए उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर काम करेंगे।
 
हुसैन ने कहा, अब हम अस्पताल के बजाय सबसे पहले नए सिरे से मस्जिद का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण में जमा करेंगे। मस्जिद के निर्माण में अपेक्षाकृत काफी कम धन खर्च होगा, जिसका इंतजाम करना आसान रहेगा। उन्होंने कहा, हम पहले मस्जिद बनाएंगे, क्योंकि मस्जिद बहुत छोटी है और हर आदमी इस परियोजना को मस्जिद के नाम से ही जानता है, इसलिए ट्रस्ट अब मस्जिद के निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है।
 
हुसैन ने बताया, मस्जिद निर्माण की लागत इस पूरी परियोजना की कुल लागत का पांच फीसदी हिस्सा भी नहीं है। करीब 15000 वर्गफुट क्षेत्र में बनने वाली इस मस्जिद के निर्माण पर आठ से 10 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मस्जिद की बिजली संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति सौर पैनल से होगी, जो इसके गुंबद पर लगाए जाएंगे।
 
उन्होंने कहा, हमारी कोशिश थी कि मस्जिद से पहले अस्पताल का निर्माण कराया जाए, लेकिन यह 300 करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी परियोजना है। जहां मस्जिद का निर्माण प्रस्तावित है, वहां पहले से ही कई मस्जिदें हैं। ऐसे में हमारी सोच थी कि पहले एक चैरिटी अस्पताल और सामुदायिक रसोईघर बनाया जाए, लेकिन इन परियोजनाओं के लिए बहुत बड़ी रकम की जरूरत है, जो फिलहाल ट्रस्ट के पास नहीं है।
 
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ के मुख्य न्यासी जुफर फारूकी ने बताया, इस परियोजना के वास्ते चंदा इकट्ठा करने के लिए अभी व्यक्तिगत स्तर पर ही प्रयास किए गए हैं। जनता से चंदा जुटाने के लिए ट्रस्ट के लोग अगले महीने से देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर बैठकें करेंगे।
 
उन्होंने कहा कि धन्नीपुर में पूरी परियोजना को मुकम्मल करने के लिए अरबों रुपए की जरूरत पड़ेगी और इस रकम को इकट्ठा करने के लिए बोर्ड इसी महीने के अंत में बैठक कर रणनीति बनाएगा। नौ नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए देने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।
 
आदेश के अनुपालन में अयोध्या जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या की सोहावल तहसील स्थित धन्नीपुर गांव में जमीन उपलब्ध कराई थी। मस्जिद निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2020 में ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ का गठन किया था। ट्रस्ट ने दी गई जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक चैरिटी अस्पताल, सामुदायिक रसोईघर, एक पुस्तकालय और एक शोध संस्थान के निर्माण का फैसला किया था।
 
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अयोध्या में जहां राम मंदिर का निर्माण बहुत तेजी से हो रहा है और अगले साल 24 जनवरी को उसे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की तैयारियां जोरों पर हैं। वहीं धन्नीपुर में मस्जिद का निर्माण अभी शुरू भी नहीं हो सका है।
 
ट्रस्ट के सचिव हुसैन ने बताया, अयोध्या विकास प्राधिकरण में इस पूरी परियोजना का नक्शा जमा किया गया था। अगर निर्माण क्षेत्र के हिसाब से डेवलपमेंट चार्ज और अन्य खर्च जोड़ें, तो यह करोड़ों रुपए में आएगा। हालांकि, अभी प्राधिकरण ने इस संबंध में कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं दिया है।
 
‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ की इस परियोजना में समय-समय पर बाधाएं आती रही हैं। इससे पहले भू-उपयोग परिवर्तन को लेकर भी पेच फंसा था। मार्च में प्रशासनिक प्रक्रिया के बाद यह बाधा दूर कर दी गई थी, लेकिन अब वित्तीय बाधाओं की वजह से मस्जिद परियोजना अटक गई है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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