Lockdown: कैदियों पर निगाह रखने के लिए लोकेशन व वीडियो कॉल्स की शर्तें लगा रहीं अदालतें
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय कोरोना वायरस महामारी के दौरान जेलों में भीड़ कम करने के इरादे से रिहा किए जा रहे कैदियों के लिए गूगल मैप के जरिए अपने ठिकाने को साझा करना और वीडियो कॉल पर हाजिरी दर्ज कराने जैसी जमानत की शर्तें लगा रहा है।
न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी ने 3 अलग-अलग मामलों में अंतरिम रूप से सजा निलंबित करने के आदेशों में दोषियों को निर्देश दिया कि वे हर शुक्रवार को संबंधित पुलिस अधिकारी के पास वीडियो कॉल के जरिए अपनी हाजिरी लगाएं और गूगल मैप पर 'ड्रॉप ए पिन' इंगित करें ताकि अधिकारी कैदी की उपस्थिति और स्थान की पुष्टि कर सकें।
अदालत ने देश में लॉकडाउन के दौरान जन स्वास्थ्य के कारण उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों और कैदियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए जेलों में भीड़ कम करने के लिए ये आदेश दिए।
इन आदेशों के तहत रिहा किए गए कैदियों में नाबालिग से बलात्कार का दोषी 73 वर्षीय सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक, लापरवाही से वाहन चलाने का दोषी 21 वर्षीय युवक और एक एटीएम वाहन का चालक शामिल है।
अदालत ने कहा कि दोषी व्यक्ति हर शुक्रवार को सवेरे 11 से 11.30 बजे के बीच जांच अधिकारी और अगर जांच अधिकारी सेवा में नहीं हो या अनुपलब्ध हो तो थाना प्रभारी को वीडियो कॉल करेगा और गूगल मैप में 'ड्रॉप ए पिन' इंगित करेगा।
अदालत ने दोषियों को निर्देश दिया कि वे अपने मोबाइल फोन के नंबरों का विवरण जेल अधीक्षक को दें और यह सुनिश्चित करें कि उनके फोन हमेशा चालू रहे। (भाषा)