Dattatreya Hosabale Statements: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने कहा है कि संघ अपने स्वयंसेवकों को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) से जुड़े प्रयासों में भाग लेने से नहीं रोकेगा। साथ ही उन्होंने मस्जिदों के नीचे से मंदिरों को खोजने की 'निरर्थकता' को भी रेखांकित किया।
होसबाले ने यह भी कहा कि अतीत का पता लगाने में लगे रहने से समाज अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनों पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगा, जैसे अस्पृश्यता को समाप्त करना, युवाओं में मूल्यों का संचार करना तथा संस्कृति और भाषाओं को संरक्षित करना। दक्षिणपंथी कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका 'विक्रम' के साथ एक साक्षात्कार में होसबाले ने कहा कि आज समाज 'धर्मांतरण, गोहत्या, लव जिहाद' और कई अन्य चुनौतियों का सामना कर रहा है जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
विश्व हिन्दू परिषद और धर्मगुरुओं ने 3 मंदिरों के बारे में बात की : होसबाले ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद और धर्मगुरुओं ने 3 मंदिरों के बारे में बात की। अगर कुछ स्वयंसेवक इन 3 मंदिरों से संबंधित प्रयासों में शामिल हैं तो संघ उन्हें रोक नहीं रहा है। हिन्दूवादी समूहों का दावा है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया और उनके ऊपर मस्जिदें बना दीं।
होसबाले ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ ने राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू नहीं किया था। उन्होंने बताया कि कई साधुओं, संतों और मठाधिपतियों ने बैठक की, चर्चा की और राम जन्मभूमि को पुन: प्राप्त करने का निर्णय लिया। उन्होंने समर्थन के लिए संघ से संपर्क किया और हम इस बात पर सहमत हुए कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से राम जन्मभूमि को पुन: प्राप्त करना और मंदिर का निर्माण आवश्यक था। आरएसएस के दूसरे सबसे बड़े पदाधिकारी ने मस्जिदों के नीचे से मंदिर खोदने की 'निरर्थकता' को भी रेखांकित किया।
होसबाले ने सवाल किया कि यदि हम अन्य सभी मस्जिदों और संरचनाओं के बारे में बात करते हैं तो क्या हमें 30,000 मस्जिदों को खोदना शुरू कर देना चाहिए और इतिहास को पलटने का प्रयास करना चाहिए? क्या इससे समाज में और अधिक शत्रुता और आक्रोश पैदा नहीं होगा? क्या हमें एक समाज के रूप में आगे बढ़ना चाहिए या अतीत में ही अटके रहना चाहिए? हम इतिहास में कितनी दूर तक पीछे जाएंगे?
उन्होंने कहा कि अतीत को खंगालने से समाज अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनों पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगा, जैसे अस्पृश्यता को समाप्त करना, युवाओं में मूल्यों को स्थापित करना तथा संस्कृति और भाषाओं को संरक्षित करना। होसबाले के अनुसार आज का समाज धर्मांतरण, गोहत्या, लव जिहाद जैसी समस्याओं और कई अन्य चुनौतियों का सामना कर रहा है जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने सवाल किया कि क्या एक मंदिर जिसे मस्जिद में बदल दिया गया है, वह अभी भी एक दैवीय स्थान है।
होसबाले ने कहा कि क्या हमें पत्थर की इमारतों के अवशेषों में हिन्दुत्व खोजने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या फिर उन लोगों के भीतर हिन्दुत्व को जगाना चाहिए, जो इससे दूर हो गए हैं? पत्थर की इमारतों में हिन्दू विरासत के निशान खोजने के बजाय, अगर हम उनके और उनके समुदायों के भीतर हिन्दू जड़ों को पुनर्जीवित करे तो मस्जिद का मुद्दा अपने आप हल हो जाएगा।
जातिवाद के एक सवाल के जवाब में होसबाले ने कहा कि यह कहना गलत है कि विविधता को बनाए रखने के लिए केवल जाति ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि जाति का इस्तेमाल भेदभाव करने या राजनीतिक सत्ता निर्धारण के लिए किया जाता है तो यह समाज के लिए एक समस्या बन जाती है।
'अखंड भारत' का विचार केवल भौगोलिक एकता के बारे में नहीं : आरएसएस नेता ने कहा कि 'अखंड भारत' का विचार केवल भौगोलिक एकता के बारे में नहीं है। उन्होंने कहा कि भौगोलिक एकता के लिए, हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि आज भी अखंड भारत संकल्प दिवस मनाया जाता है। होसबाले ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि वैश्विक भूराजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि भारत के भीतर हिन्दू समाज मजबूत और संगठित नहीं है तो केवल 'अखंड भारत' के बारे में बात करने से परिणाम नहीं मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि अखंड भारत हमारे जीवन का सपना और संकल्प है। हमारी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं है लेकिन अगर एक बार विभाजित क्षेत्र को फिर से एकीकृत करना है तो क्या भारतीय समाज इसे आत्मसात करने के लिए तैयार है? यदि नहीं तो केवल इस सपने के बारे में बात करने से कोई परिणाम नहीं निकलेगा।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta