बाजारवादी इस वर्तमान समय में लोगों की जरूरतों के साथ वस्तुओं की सुविधाएं भी बढ़ गई हैं। बाजार में नई-नई कंपनियां, नई-नई वस्तुएं ला रही हैं। लेकिन नई वस्तुओं के साथ धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ गए हैं। वर्तमान समय में उपभोक्ताओं का शोषण भी किया जाता है। उपभोक्ताओं को भी सरकार की ओर से कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिन्हें जानना आवश्यक हैं। इन अधिकारों और नियमों को जानकर आप कभी धोखाधड़ी का शिकार नहीं हो सकते हैं।
घटिया किस्म का माल, बाजार से अधिक भाव पर माल, मिलावट जमाखोरी ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन ग्राहक की सुविधा और हितों की रक्षा के लिए सरकार ने उपभोक्ता अदालतें भी बनाई हैं, जिनमें ग्राहकों के अधिकारों के मुताबिक उन्हें इन मामलों में न्याय दिलाया जाता है और उत्पादनकर्ता, दुकानदार या वस्तु बेचने वाले से ग्राहकों को हर्जाना भी दिलाया जाता है।
क्या हैं उपभोक्ता अदालतें : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बनाया गया। इसके तहत कोई भी उपभोक्ता शोषण की स्थिति में शिकायत दर्ज करवा सकता है। आप ऑनलाइन भी इसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
अगले पन्ने पर, इनको है शिकायत का अधिकार...
उपभोक्ता अदालत/फोरम में शिकायत उपभोक्ता कर सकता है। ये सभी व्यक्ति उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। ये व्यक्ति उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं-
- व्यक्ति जिसने पैसों का भुगतान करके वस्तु खरीदी हो।
- अगर व्यक्ति ने स्वयं वस्तु नहीं है, परंतु यदि खरीदने वाले व्यक्ति की आज्ञा के मुताबिक उसका उपभोग किया हो। - वस्तु उपभोग करने के लिए खरीदा हो, न कि पुनर्विक्रय या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए।
ये भी करवा सकते हैं शिकायत दर्ज : व्यक्ति जो माल/ सेवाओं के लाभार्थी हैं। मृतक उपभोक्ता के कानूनी प्रतिनिधि।
- उपभोक्ता के रिश्तेदार। स्वयं उपभोक्ता या उपभोक्ता का कोई समूह।
अगले पन्ने पर, कहां करें शिकायतें...
- अगर शिकायत 20 लाख या उससे कम की है तो शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम में की जा सकती है।
- शिकायत यदि 20 लाख से 1 करोड़ रुपए से कम है तो शिकायत राज्य उपभोक्ता फोरम में की जा सकती है।
- 1 करोड़ से अधिक के मामले में शिकायत का निपटारा राष्ट्रीय उपभोक्ता फोन में किया जा सकता है।
अगले पन्ने पर, क्या आपको पता हैं ये अधिकार...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को ये शक्तियां दी गई हैं-
- उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार
- उपभोक्ता को सूचना प्राप्त करने का अधिकार
- उपभोक्ता को चुनाव का अधिकार
- उपभोक्ता को सुनवाई का अधिकार
- उपभोक्ता को शिक्षा का अधिकार
- उपभोक्ता को क्षति प्राप्त करने का अधिकार
अगले पन्ने पर, इन बातों का रखें ध्यान-
- संबंधित वस्तु खरीदने के दो वर्ष तक शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है
- शिकायत लिखित में होनी चाहिए तथा रजिस्टर्ड पोस्ट, ई-मेल, फैक्स के जरिए भेजी जा सकती है, लेकिन एक्नॉलेजमेंट नंबर लेना ना भूलें।
- शिकायत पर शिकायत दायर करने वाले व्यक्ति तथा जिसके खिलाफ शिकायत की गई है, दोनों के नाम और पता होना चाहिए।
- शिकायत से संबंधित सभी प्रकार के बिल, रसीद आदि संभालकर रखने चाहिए जो मांगे जाने पर फोरम में जमा करवाएं।
- शिकायत से संबंधित तथ्य का विवरण दिया जाना आवश्यक है।
- शिकायत दर्ज करवाने के लिए किसी वकील की आवश्यकता नहीं है।
अगले पन्ने पर, अदालतों से मिल सकती हैं ये राहतें...
उपभोक्ता फोरम से आपको ये राहतें मिल सकती हैं।
- सामान अथवा वस्तु की खराबी को दुरुस्त करवाना
- सामान को बदलना
- खरीद मूल्य की वापसी
- हानि की क्षतिपूर्ति
- इसके साथ ही न्यायलय में वाद से संबंधित व्यय का भुगतान भी किया जाता है।
ये शुल्क लगता है-
जिला उपभोक्ता अदालत में...
1 लाख से कम हो तो 100 रुपए
1 से 5 लाख तक 200 रुपए
5 से 10 लाख तक 400 रुपए
10 लाख से ऊपर 500 रुपए
राज्य उपभोक्ता अदालत में...
20 लाख से 50 लाख रुपए तक 2000 रुपए
50 लाख से 1 करोड़ तक 4000 रुपए
राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में
1 करोड़ से ऊपर 5000 रुपए
उपरोक्त फीस डिमांड ड्राफ्ट के जरिए दी जानी चाहिए