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Last Modified: बुधवार, 24 मार्च 2021 (15:49 IST)

राज्यसभा में कांग्रेस का आरोप, Corona के पहले ही पटरी से उतर चुकी थी अर्थव्यवस्था

राज्यसभा में कांग्रेस का आरोप, Corona के पहले ही पटरी से उतर चुकी थी अर्थव्यवस्था - Congress's charge in Rajya Sabha regarding economy
नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस ने सरकार की आर्थिक नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी आने के पहले ही देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी थी और केंद्र अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए कोरोना की आड़ ले रही है।

कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने उच्च सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए आरोप लगाया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था महामारी के पहले ही खराब दौर से गुजर रही थी, लेकिन स्थिति में सुधार के लिए बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया।

हुड्डा ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण फैलने से पहले की आठ तिमाहियों में वृद्धि दर आठ प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत पर आ गई थी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के 10 साल के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि अगर गणना की पुरानी पद्धति से उसका आकलन किया जाए तो वह दर 11-12 प्रतिशत होगी।

हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में जीडीपी की औसत दर 6.8 प्रतिशत रही। उन्होंने दावा किया कि निवेश की दर जो पिछली सरकार के समय 14 प्रतिशत थी वह घटकर दो प्रतिशत रह गई वहीं बैंकों से ऋण की दर 13 प्रतिशत से घटकर नौ प्रतिशत रह गई। उन्होंने कहा कि निर्यात के लिहाज से इस सरकार का प्रदर्शन काफी खराब रहा और यह दर 21 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत हो गई।

उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला दिया वहीं जल्दबाजी में लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने इसकी कमर ही तोड़ दी। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना के दौरान सरकार के कुप्रबंधन ने अर्थव्यवस्था को आईसीयू में पहुंचा दिया।

हुड्डा ने कहा कि कोरोना के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में करीब 23 प्रतिशत की गिरावट आई जो पूरी दुनिया में सर्वाधिक रही। उन्होंने कहा कि इस दौरान अमीर और गरीब के बीच के अंतर में भारी वृद्धि हुई वहीं देश के 100 सबसे धनी लोगों की आय में 35 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के कोरोना राहत पैकेज की घोषणा की, जो जीडीपी का सिर्फ 3.2 प्रतिशत है। उन्होंने दावा किया कि कई प्रमुख देशों ने अपनी जीडीपी के 20 प्रतिशत के बराबर का पैकेज दिया।

हुड्डा ने आरोप लगाया कि सरकार पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस पर सबसे ज्यादा कर ले रही है, जिससे आम लोगों पर भारी बोझ पड़ा है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सिलेंडर रिफिल नहीं करा रहे हैं और चूल्हे में लकड़ी जलाकर भोजन बनाने की ओर लौट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार कॉर्पोरेट कर में कमी लाई है और उसका कहना है कि वह इसे अन्य देशों के बराबर ला रही है। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर कर के मामले में भी सरकार को अन्य देशों का अनुसरण करना चाहिए और करों में कमी लानी चाहिए। हुड्डा ने कहा कि पेट्रोल की कीमत अगर 100 रुपए है तो 63 रुपए सरकार की जेब में जाता है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर जोर दिया गया है, जबकि उससे मांग बढ़ाने के लिए आम लोगों की जेब में पैसा देना चाहिए था। हुड्डा ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया है, लेकिन जीडीपी और कर के अनुपात में कमी आई है। इस मामले में हम पाकिस्तान जैसे देश से भी पीछे हैं।

उन्होंने कहा कि एक रुपए में 23 पैसा ब्याज में चला जाता है, ऐसे में मांग में वृद्धि करने पर जोर दिया जाना चाहिए था,लेकिन सरकार कैपेक्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का जिक्र करते हुए कांग्रेस सदस्य ने कहा कि इस आंदोलन कोचार महीने होने वाले हैं और इस दौरान 300 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है लेकिन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) ‘छीनने’का प्रयास कर रही है। उन्होंने मांग की कि आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए सरकार को राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के बारे में सहानुभूतिपूर्वक और संवेदना के साथ विचार करना चाहिए ताकि आंदोलन कर रहे किसान खुशी के साथ अपने घरों को लौट सकें।(भाषा)
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