लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के इंडिया गठबंधन से पिछड़ने के बाद हार की ठीकरा सरकार और संगठन पर फोड़ने की सियासी अदावत के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आमने-सामने आ गए है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार में शामिल होते हुए भी सरकार से दूरी बनाने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।
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बताया जा रहा है कि एक घंटे चली मुलाकात में केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को सरकार और संगठन की वस्तुस्थिति से अवगत कराने के साथ राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई। इसके साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को योगी सरकार के ऐसे फैसलों की जानकारी दी जिसको लेकर जनता में सरकार के प्रति नाराजगी है। इसके साथ केशव प्रसाद मौर्य ने नड्डा को सरकार पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद अब दिल्ली उत्तरप्रदेश में सरकार और संगठन में बड़ा बदलाव कर उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरु करना चाह रही है।
भाजपा में टकराव से किसका नुकसान-किसका फायदा?- लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद राज्य के बड़े नेताओं के बीच सीधे टकराव से अब सवाल यह है कि इससे किसका फायदा होगा किसका नुकसान होगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच टकराव कोई नया नहीं है। 2017 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी तब संगठन की कमान केशव प्रसाद मौर्य के पास थी लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ ने अपना कब्जा जमा लिया था।
इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी कई मौकों पर खुलकर सामने आई थी। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में केशव प्रसाद मौर्य जब अपनी ही सीट सिराथू हार गए तो उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि मौर्य को जानबूझकर हराया गया है। हलांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक कद में कोई कमी नहीं आई और उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया।
वहीं लोकसभा चुनाव में 10 साल में भाजपा के सबसे खराब प्रदर्शन और 29 सीटों के नुकसान के बाद पहली बार योगी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। मंगलवार को योगी सरकार ने उन दो फैसलों पर रोक लगा दिया जिसमें टीचरों की डिजिटल अटेंडेंट और राजधानी लखनऊ में कुकरैल इलाके में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाना शामिल है। योगी सरकार ने अपने फैसलों पर ऐसे समय रोक लगाई है जब सरकार में शामिल मंत्री और पार्टी के विधायक लगातार सरकार के फैसलों पर सवाल उठा रहे थे।
वहीं भाजपा कार्यसमिति की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने योगी सरकार को आईना दिखाते हुए कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। इतना ही नहीं पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद फिर आज केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा कि संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है। संगठन से बड़ा कोई नहीं है, कार्यकर्ता ही गौरव है।
ऐसे में सवाल यही है कि उत्तरप्रदेश भाजपा में मचे घमासान के बीच दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकत के बाद जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य अक्रामक रूख अख्तियार किए हुए है, उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन को लेकर दिल्ली में कोई खिचड़ी पक रही है। वहीं जिस तरह से सरकार में शामिल मंत्री, विधायक और सीनियर नेता अपनी ही सरकार पर अक्रामक है, वह किसी राजनीतिक सपोर्ट और संरक्षण के बिना नहीं हो सकता है।
योगी ने बुलाई प्रभारी मंत्रियों की बैठक-वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज उपचुनाव की तैयारियों को लेकर प्रभारी मंत्रियों की बैठक मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर हर सीट पर तीन मंत्रियों की नियुक्ति की गई। बताया जा रहा है कि आज की बैठक में उपचुनाव को लेकर रणनीति तैयार करने के साथ सोशल मीडिया पर विपक्ष को अक्रामक तरीके से जवाब देने की रणनीति तैयार की जाएगी।
उत्तर प्रदेश में जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें पांच सीटें समाजवादी पार्टी के पास थी। यूपी में प्रयागराज जिले की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद की गाजियाबाद,मीरजापुरकी मझवां,मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अयोध्या की मिल्कीपुर, मैनपुरी की करहल, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी व कानपुर की सीसामऊ सीट शामिल है। इन सीसामऊ सीट छोड़कर बाकी 9 विधानसभा सीट के चुने गए विधायक अब सांसद बन चुके है, वहीं सीसामऊ सीट पर सपा विधायक ककोर्ट से सजा मिलने के बाद सदस्यता चली गई है।
अखिलेश ने भाजपा कसा तंज- उत्तरप्रदेश भाजपा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सिर फुटौव्वल की राजनीति पर अब समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने तंज कसा है। सोशल मीडिया से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि “भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोड़फोड़ की राजनीति को जो काम भाजपा दूसरे दूलों में करती थी। अब वहीं काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचने वाला भाजपा में कोई नहीं है।“