महंगाई बनी सरकार का सिरदर्द... इस साल 2 लाख करोड़ अतिरिक्त खर्च करेगी सरकार
नई दिल्ली, कोरोना से उबरी अर्थव्यवस्था के लिए इंफ्लेशन यानी महंगाई नई चुनौती बन गई है। सरकार इसे रोकने के लिए के लिए नए-नए उपाय कर रही है। इसी कड़ी में शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा की।
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दो शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि सरकार इंफ्लेशन यानी महंगाई को रोकने के लिए वर्तमान वित्त वर्ष में अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी. ताकि बढ़ती उपभोक्ता कीमतों और मल्टी ईयर इंफ्लेशन से लड़ा जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती की घोषणा से सरकार के रेवेन्यू पर सीधे-सीधे 1 लाख करोड़ रुपए की चोट होगी। भारत का रिटेल इंफ्लेशन अप्रैल में आठ सालों के उच्च स्तर पर था। वहीं, थोक मुद्रास्फीति 17 सालों के उच्च स्तर पर चली गई है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए मोदी सरकार के लिए महंगाई सिरदर्द बन गई है।
नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि हमारा पूरा फोकस महंगाई को रोकने और इंफ्लेशन को नीचे लाने पर है. रूस-यूक्रेन युद्ध का असर किसी के भी अनुमान से ज्यादा खराब है। किसी ने कल्पना नहीं की थी यह संकट इतना बढ़ जाएगा और इसका दुष्प्रभाव इतना बहुस्तरीय होगा।
सरकार को 50,000 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फंड खाद की सब्सिडी के लिए चाहिए, जो वर्तमान अनुमान 2.15 लाख करोड़ रुपए के अलावा है. युद्ध की वजह से खाद की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि यूक्रेन से बड़ी मात्रा में ये प्रोडक्ट आयात होता है।
अधिकारियों ने कहा कि अगर क्रूड की कीमते कम नहीं होती हैं तो सरकार को एक राउंड और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कट करना पड़ेगा। लिहाजा सरकार को और ज्यादा रेवेन्यू का नुकसान होगा। इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ऑलरेडी सरकार को 1.50 लाख करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है।
अधिकारियों में से एक ने कहा कि सरकार को इन उपायों के लिए बाजार से अतिरिक्त रकम उधार लेने की आवश्यकता हो सकती है। इसका मतलब 2022-23 में सरकार का राकोषीय घाटा बढ़ेगा। हालांकि अधिकारियों ने ये बताया कि इससे कितना घाटा बढ़ सकता है।
फरवरी में की गई बजट घोषणाओं के अनुसार, सरकार की चालू वित्त वर्ष में रिकॉर्ड ₹14.31 लाख करोड़ उधार लेने की योजना है। दूसरे अधिकारी ने कहा कि अतिरिक्त उधारी से अप्रैल-सितंबर में 8.45 लाख करोड़ रुपये की योजनाबद्ध उधारी प्रभावित नहीं होगी, और जनवरी-मार्च 2023 में ली जा सकती है।