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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: बुधवार, 11 नवंबर 2020 (16:50 IST)

लद्दाख से 3 चरणों में हटेगी चीनी सेना, समेटेगा टैंक और तोपें

लद्दाख से 3 चरणों में हटेगी चीनी सेना, समेटेगा टैंक और तोपें - Chinese Army to be removed from Ladakh in 3 phases
जम्मू। पिछले आठ महीनों से लद्दाख में एलएसी पर डटी हुई चीनी फौज तीन चरणों में पीछे हटने को राजी हो गई है। अगले एक हफ्ते में वह 30 प्रतिशत जवानों को पीछे ले जाने पर सहमति जता चुकी है। पर भारतीय पक्ष अभी भी आशंकित है।
 
यह वापसी मई 2021 तक पूरी होने की संभावना है। दोनों पक्षों द्वारा फौज हटाने की सहमति 6 नवंबर को कोर कमांडर स्तर पर चुशूल में बातचीत के दौरान हुई थी।
 
अधिकारियों के मुताबिक, पहले दौर में दोनो देशों की आर्म्ड व्हीकल यानी कि तोप और टैंक एलओसी से पीछे जाएंगे। दूसरे दौर में पेंगांग लेक के उत्तरी किनारे से दोनों देश अपनी सेना को पीछे हटाएंगे। चीन अपनी सेना को फिंगर 8 के पीछे यानी अपनी पुरानी जगह पर ले जाएगा और भारत अपनी सेना को धान सिंह थापा पोस्ट तक लेकर आएगा।
तीसरे स्टेप में पैंगोंग के दक्षिणी इलाके से दोनों देशों की सेनाएं भी पीछे हटेंगी। इस एरिया में भारतीय सेना ने ऊंचाई वाले रणनीतिक पोजिशन पर कब्जा कर रखा है और चीन ने भी अपनी पोजिशन मजबूत कर ली थी। हालांकि दोनो पक्षों ने यह भी तय किया है वो मिलकर यूएवी के जरिए इसकी निगरानी करेंगे। पर भारतीय पक्ष आशंका से इसलिए भरा हुआ है क्योंकि चीनी सेना की कथनी और करनी हमेशा पाक सेना की तरह रही है। इसलिए भारतीय पक्ष इसको लेकर काफी सतर्क है।
 
दोनो पक्ष इसलिए भी इस योजना पर तैयार हुए हैं कि फिलहाल पूर्वी लद्दाख में चोटियों पर भारी बर्फबारी हो रही है। करीब 15-16 हजार की ऊंचाई पर तापमान -45 डिग्री तक चला जाता है। इससे दोनों देशों की सैनिको की परेशानी बढ़ सकती है अगर कुछ समाधान निकल जाता है तो सेना पहले की तरह अप्रैल-मई वाली अपनी पुरानी जगह पर चली जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, मई 2021 तक यथास्थिति बहाल हो जाएगी और चीन सीमा के अग्रिम मोर्चों पर तैनात अपने 400 टैंकों को वापस ले लेगा।

दोनों देशों के बीच पिछले हफ्ते 6 नवंबर को चुशूल में 8वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी। इसी बैठक में तीन चरणों में पीछे हटने की योजना पर चर्चा की गई थी। सूत्रों ने बताया कि योजना को पैंगोंग झील इलाके में हुई बातचीत से एक हफ्ते में पूरा किया जाएगा। इस योजना को तीन चरणों में बांटा गया है।
 
अधिकारियों की मानें तो योजना के पहले चरण में दोनों देशों की आर्म्ड वीकल यानी टैंक, तोपों और हथियारों से लैस सैन्य वाहनों को सीमा पर तैनाती से एलएसी से एक महत्वपूर्ण दूरी पर वापस ले जाया जाएगा। दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के अनुसार, टैंक और सैन्य वाहन एक दिन के अंदर-अंदर वापस अपने स्थानों को भेजे जाएंगे। बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव और सैन्य संचालन महानिदेशालय के ब्रिगेडियर घई ने हिस्सा लिया था।
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