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Last Updated : मंगलवार, 7 मई 2024 (19:55 IST)

CJI चंद्रचूड़ ने बताया स्कूल में क्यों हुई थी पिटाई, आज भी याद है वो शर्मिंदगी

जुवेनाइल जस्टिस पर क्‍या बोले चीफ जस्‍टिस ऑफ इंडिया

DY Chandrachud
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने बचपन के दिनों का एक किस्सा सुनाया। यह किस्‍सा सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। सीजेआई ने कहा, जब मैं पांचवीं क्लास में था, तब एक छोटी सी गलती के लिए मेरे टीचर ने मुझे बेंत से पीटा था। हाथ पर चोट के निशान थे, लेकिन शर्म के मारे मैंने माता-पिता से ये बात 10 दिन तक छिपाए रखी। यह घटना आज तक मुझे याद है। दरअसल, वे जुवेनाइल जस्टिस पर बोल रहे थे।

दरअसल, CJI चंद्रचूड़ शनिवार को काठमांडू में सुप्रीम कोर्ट ऑफ नेपाल की ओर से आयोजित नेशनल सिम्पोजियम ऑन ज्यूवनाइल जस्टिस प्रोग्राम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- बचपन का वह किस्सा मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। बच्चों के साथ किए गए बर्ताव का असर जिंदगीभर उसके दिमाग पर रहता है।

कहां बोले सीजेआई: काठमांडू में आयोजित सेमीनार में बोल रहे CJI चंद्रचूड़ भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ काठमांडू में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की ओर से जुवेनाइल जस्टिस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान बोलते हुए उन्होंने घटना साझा की। उन्होंने कहा कि बच्चे मासूम होते हैं। लोग जिस तरह से बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, उसका उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे अभी भी याद है कि 5वीं क्लास में जब टीचर मुझे मार रहे थे तो मैंने उनसे कहा था कि वे मेरे हाथ पर नहीं बल्कि मेरे पीछे मारें। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया।

क्यों नहीं भूले स्कूल की वो पिटाई: सीजेआई चंद्रचूड़ बोले कि शारीरिक घाव तो भर गया, लेकिन मन और आत्मा पर वह घटना अमिट छाप छोड़ गई। जब मैं अपना काम करता हूं, तो यह आज भी मुझे याद आता है। बच्चों पर इस तरह के अपमान का प्रभाव बहुत गहरा होता है। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय पर चर्चा करते समय, हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और विशिष्ट जरूरतों को पहचानने की जरूरत है।

नाबालिग अपराधियों के लिए दया जरूरी:  CJI ने कहा कि नाबालिग न्याय पर चर्चा करते हुए हमें नाबालिग अपराधियों की परेशानियों और खास जरूरतों का ध्यान रखने की जरूरत है। साथ ही ये भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारा जस्टिस सिस्टम इन बच्चों के प्रति दया रखे। उन्हें सुधरने और समाज में वापस शामिल होने का मौका दे। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम किशोरावस्था के अलग-अलग स्वभाव को समझें और ये भी समझें कि ये समाज के अलग-अलग आयामों से कैसे जुड़ते हैं।
Edited by Navin Rangiyal