नई दिल्ली। सीबीआई ने 787 करोड़ रुपए की कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में कांग्रेस नेता कमलनाथ के भानजे रतुल पुरी, उनके पिता और अन्य लोगों के कार्यालय तथा आवासीय परिसरों समेत 7 स्थानों पर शुक्रवार को तलाशी ली। अधिकारियों ने बताया कि मामला उनकी कंपनी मोजर बेयर सोलर लिमिटेड से जुड़ा हुआ है।
कंपनी के पूर्व स्वतंत्र निदेशक रतुल पुरी के अलावा एजेंसी ने उनकी मां नीता पुरी (कमलनाथ की बहन) और उनके पिता दीपक पुरी पर भी मामला दर्ज किया है, जो अलग-अलग समय पर कंपनी के निदेशक और स्वतंत्र निदेशक रहे।
उन्होंने बताया कि कंपनी का वित्त पोषण करने वाले कंसोर्टियम के सदस्य पंजाब नेशनल बैंक की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एजेंसी ने कार्रवाई करते हुए पुरी परिवार के राष्ट्रीय राजधानी में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में परिसरों सहित सात स्थानों पर छापेमारी की।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पुरी और अन्य आरोपी निदेशकों के दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और अन्नूपुर (मध्यप्रदेश) में सात स्थानों पर छापेमारी शुरू की। अधिकारियों ने बताया कि रतुल पुरी के पिता दीपक पुरी के कार्यालय और आवासीय परिसर पर भी तलाशी ली गई।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस कंपनी को दिए कर्ज में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को हुए 787 करोड़ रुपए के नुकसान के संबंध में गुरुवार को मामला दर्ज किया था। तलाशी लेने वाली एजेंसी की टीम ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर एहतियाती कदम के तौर पर निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का इस्तेमाल किया।
पुरी के अलावा एजेंसी ने कंपनी में निदेशक और स्वतंत्र निदेशक रहे सुनीता गुप्ता, दीपक खंडेलवाल, राजेश खंडेलवाल, सुनीता मुदगल, संजय जैन पर भी मामला दर्ज किया है। इसके अलावा स्पेन के निवासी बर्नर्ड हर्मन गैलुस पर भी मामला दर्ज किया गया है जो 2014 तक कंपनी में अतिरिक्त निदेशक रहे।
उन्होंने बताया कि रतुल पुरी 2012 में स्वतंत्र निदेशक पद से हट गए थे। वे मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड से जुड़े 354 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में भी सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं। रतुल पुरी के वकील ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
शिकायत के मुताबिक, नौ बैंकों ने 90 मेगावाट वार्षिक क्षमता वाले सोलर लाइन का निर्माण करने के लिए मोजर बेयर कंपनी को धन उपलब्ध कराया था। कंपनी ने भारतीय रिजर्व बैंक के कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन प्रणाली के तहत राहत की मांग की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया था। जब वह ऋण चुकाने में विफल रही तो बैंकों ने फोरेंसिक ऑडिट की, जिसकी रिपोर्ट पिछले वर्ष जून में सौंपी गई थी।
सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ ने कहा, यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी ने पंजाब नेशनल बैंक नीत कंसोर्टियम से अलग-अलग तरीके से करीब 787.25 करोड़ रुपए की ठगी की। इस कंसोर्टियम में एसबीआई, एक्जिम बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैं।
पीएनबी ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि 31 अगस्त 2019 तक उसका बकाया 236 करोड़ रुपए से अधिक, भारतीय स्टेट बैंक का 142 करोड़ रुपए से अधिक, एक्जिम बैंक का 128 करोड़ रुपए से अधिक, इंडियन ओवरसीज बैंक का 157 करोड़ रुपए से अधिक, बैंक ऑफ बड़ौदा का 7.42 करोड़ रुपए से अधिक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 36.59 करोड़ रुपए से अधिक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 78.53 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है।
शिकायत में कहा गया है, यह स्पष्ट है कि आरोपियों ने एक-दूसरे या अन्य लोगों की मिलीभगत से कई आपराधिक कृत्य किए हैं, जिससे उन्हें गलत तरीके से फायदा हुआ और 31 अगस्त 2019 तक ऋण देने वालों को 787.25 करोड़ रुपए का गलत तरीके से नुकसान हुआ। इस अवधि के पश्चात ब्याज का नुकसान अलग है।(भाषा)