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Last Modified: गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025 (14:20 IST)

मुख्‍यमंत्री के रूप में सटोरियों की पसंद केजरीवाल, सट्‍टा बाजार का ट्रेंड Exit Poll से अलग

kejriwal
Bookies choice is Kejriwal as CM: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Assembly Election 2025) का परिणाम क्या होगा यह तो 8 फरवरी को ही खुलासा होगा, लेकिन अभी एक्जिट पोल्स और सट्‍टा बाजार के ट्रेंड सुर्खियों में हैं। इस बार मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टी के बीच सीटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहने वाला है। जहां तक मुख्‍यमंत्री पद की बात है तो दिल्ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज भी पहली पसंद बने हुए हैं। दरअसल, सट्‍टा बाजार में मुख्‍यमंत्री के रूप में अरविन्द केजरीवाल का रेट सबसे कम है। सट्‍टा बाजार में जिसके रेट कम होते हैं, उसे ही फायदा मिलता है। 
 
केजरीवाल का रेट सबसे कम : विभिन्न रिपोर्ट्‍स के मुताबिक मुंबई सट्‍टा बाजार में अरविन्द केजरीवाल का रेट 11 पैसे है, जबकि भाजपा का 49 पैसे है। कांग्रेस इस दौड़ में दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। उसका रेट 3 रुपए है। चूंकि भाजपा ने मुख्‍यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा घोषित नहीं किया है, इसलिए यह रेट पार्टी का है। इससे यह भी साबित होता है कि आम आदमी पार्टी इस बार भी दिल्ली में सरकार बना सकती है, लेकिन उसे इस बार 20 से 25 सीटों का नुकसान होना तय है। ALSO READ: Delhi Election 2025: उंगली पर न लगवाएं स्याही, अरविंद केजरीवाल ने वोटर्स को क्यों किया आगाह, किसे बांटे स्पाई और बॉडी कैमरे
 
आसान नहीं केजरीवाल की राह : जहां तक नई दिल्ली सीट का सवाल है तो कई एक्जिट पोल में अरविन्द केजरीवाल का ही पलड़ा भारी बताया जा रहा है, जबकि ज्यादातर एक्जिट पोल दिल्ली में भाजपा की सरकार बना रहे हैं। ऐसे में इस बार केजरीवाल की राह आसान नहीं है। उनकी जीत का अंतर कम होने की पूरी संभावना है। साथ ही दिल्ली उनके हाथ से फिसल भी सकती है। इस सीट पर उनके खिलाफ 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे- प्रवेश वर्मा (भाजपा) और संदीप दीक्षित (कांग्रेस) मैदान में हैं। वर्मा और दीक्षित पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने दिल्ली की तत्कालीन मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। ALSO READ: Delhi Elections: केजरीवाल बोले- BJP को मिलेगी करारी हार, Aap जीतेगी चुनाव
 
बहुमत के लिए कितनी सीटें जरूरी : दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीटों की जरूरत होती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा मात्र 8 सीटें ही जीत पाई थी। वहीं, कांग्रेस का तो इस चुनाव में खाता भी नहीं खुल पाया था। दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें हैं। हालांकि यह सिर्फ ट्रेंड हैं, 8 फरवरी को इससे इतर भी परिणाम आ सकते हैं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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