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Last Updated : रविवार, 3 अप्रैल 2022 (09:33 IST)

Meteorite Fall : आकाश में दिखा अद्धभुत नजारा, उल्कापिंड था या चीन के रॉकेट का मलबा

Meteorite Fall : आकाश में दिखा अद्धभुत नजारा, उल्कापिंड था या चीन के रॉकेट का मलबा - blazing streak of lights brighten up sky : Meteorite Fall or chinese rocket burns
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्‍ट्र समेत देश के कई इलाकों में लोग अनोखी खगोलीय घटना के साक्षी बने। आसमान से गिरते आग के गोलों को देख लोग हैरान हो गए। इस नजारे के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। कुछ लोगों ने इसे खगोलीय घटना बताया तो कई ने इसे चीन द्वारा गत वर्ष छोड़े गए रॉकेट का मलबा करार दिया।
 
रात करीब 8 बजे लोगों ने आसमान से उल्कापिंड जैसी वस्तु गिरते देख लोग हैरान हो गए। इन चमकिले पिंडों के उल्का के साथ किसी उपग्रह यह विमान के टुकड़े होने की बात भी कही जा रही है। हालांकि अब तक यह पता नहीं चल सका है कि ये क्या था और कहां गिरा।
इंडिया टुडे ने एक अमेरिकी वैज्ञानिक के हवाले से दावा किया कि उल्का बौछार की तरह दिखाई देने वाली लकीर वास्तव में पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने वाले एक चीनी रॉकेट के अवशेष थे। चांग झेंग 5B नामक यह राकेट फरवरी 2021 में लॉन्च किया गया था। शनिवार को यह पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया और भारत के ऊपर आसमान में जल गया। रॉकेट से अधिकांश मलबा फिर से प्रवेश करने पर जल जाएगा और इससे कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है।
 
हालां‍कि शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र गुप्त ने वेबदुनिया को बताया कि मेरे पास भी ये वीडियो आए हैं। यह एक सामान्य घटना थी जिसमें संभवतः उल्कापिंड शामिल थे। इन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह उल्कापिंड ही है। यह सामान्य तौर पर गिरते रहते हैं।
 
क्या होते हैं उल्कापिंड : उल्कापिंड पुच्छल तारे के रूप में होते है। ये जब गिरते हैं तो इनकी चमक इतनी अधिक होती है कि 200 से 300 किलोमीटर के दायरे के लोग भी आसमान में इसे देखा जा सकता है। छोटे-छोटे उल्कापिंड की उम्र 100 साल या उसके आसपास होती है।
 
ये सौर मंडल में चक्कर लगाते हुए किसी भी ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं। इसी तरह ये पृथ्वी के वायुमंडल में जब आते है तो वायुमंडल की अधिक सघनता के कारण घर्षण से जल जाते हैं। इस तरह यह जलकर धरती पर गिर जाते हैं। इनके गिरने से बड़ा सा गड्‍ढा भी बन जाता है।
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