What is E20 Petrol : केंद्र जहां इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (E20) को देश की ऊर्जा सुरक्षा और किसानों की कमाई बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम मानती है, वहीं लाखों वाहन मालिक इसे अपने लिए परेशानी मान रहे हैं। इस मामले पर दायर याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई की। इसके प्रयोग से माइलेज को लेकर भी डर है। इस पर इंडस्ट्री का कहना है कि असल में फर्क बहुत मामूली है और गाड़ी की माइलेज ड्राइविंग हैबिट्स और मेंटेनेंस पर ज्यादा निर्भर करती है। E20 पेट्रोल का इस्तेमाल भारत में सरकार द्वारा 2030 तक एथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देने की रणनीति का हिस्सा है। यह मिश्रण वाहनों के इंजन में बिना किसी बड़े बदलाव के इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या होता है E20 FUEL? कैसे होता है तैयार
एथेनॉल (Ethanol) एक अलग प्रकार का ईंधन है। इसके इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है। यानी, इससे वाहन भी चलाया जा सकता है और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा। चूंकी एथेनॉल का उत्पादन स्थानीय स्तर पर होता है, इसलिए E20 ईंधन भारतीय किसानों के लिए मददगार साबित होता है और आयातित तेल पर निर्भरता कम करता है। यह अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है। एथेनॉल, जो गन्ना, मक्का या अन्य कृषि उत्पादों से बनाया जाता है, एक नवीकरणीय संसाधन है और इसे पेट्रोल में मिलाकर वाहनों के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है।
क्या है लोगों की परेशानी की वजह
हाल ही में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया कि E20 से गाड़ियों के टैंक में पानी घुस सकता है और नुकसान हो सकता है। इस पर तेल कंपनियों और पेट्रोलियम डीलर्स ने साफ किया कि ऐसी कोई शिकायत आधिकारिक तौर पर नहीं मिली है और न ही ऐसी कोई वैज्ञानिक स्टडी मौजूद है।
किसने दायर की याचिका
अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) सभी गाड़ियों के लिए अनुकूल नहीं है। करोड़ों वाहन मालिकों को मजबूरी में ऐसा ईंधन इस्तेमाल करना पड़ रहा है जो उनकी गाड़ियों के इंजन के लिए उपयुक्त नहीं है। याचिका में मांग की गई है कि सभी पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल भी उपलब्ध कराया जाए, और हर पंप पर यह साफ-साफ लिखा जाए कि इसमें कितनी मात्रा में इथेनॉल मिला हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) को पूरे देश में लागू करने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि लाखों वाहन चालक ऐसे ईंधन का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं जो उनके वाहनों के लिए अनुकूल नहीं है। हालांकि, पीठ याचिका में उठाई गई दलीलों से सहमत नहीं थी। केंद्र सरकार ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए दावा किया कि E20 ईंधन गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद है। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता निहित स्वार्थों वाली एक 'बड़ी लॉबी' का 'नामधारी' है, और पूछा, "क्या देश के बाहर के लोग यह तय करेंगे कि भारत को किस प्रकार के ईंधन का उपयोग करना चाहिए?"
क्या था याचिकाकर्ता का तर्क
याचिकाकर्ता के अनुसार रिपोर्ट में पुराने वाहनों खासकर 2023 से पहले निर्मित, मिश्रित पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की ईंधन दक्षता में छह प्रतिशत की कमी पर चिंता व्यक्त की गई थी। पीठ के समक्ष तर्क दिया गया कि लोगों को एक विकल्प दिया जाना चाहिए, क्योंकि E20 केवल अप्रैल 2023 के बाद के वाहन में उपयोग के लिए उचित है। याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया कि वह E20 के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि यह ईंधन के संबंध में तार्किक प्रगति है, लेकिन कम से कम आपूर्तिकर्ताओं को लोगों को यह बताने देना चाहिए कि कुछ वाहन इसके अनुरूप नहीं हैं।
क्या है फायदा
इथेनॉल-मिश्रित ईंधन को बढ़ावा देने से भारत की वैश्विक तेल आयात पर निर्भरता कम हो गई है, जिससे देश अग्रणी स्थान पर आ गया है। इथेनॉल की कम उत्पादन लागत ईंधन की कीमतों को स्थिर रखने में मदद करती है, तब भी जब वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल मची हो। यदि आपकी कार अनुकूल है, तो E20 ईंधन इंजन के प्रदर्शन को बढ़ा सकता है, जिससे ड्राइव अधिक सुचारू हो जाती है और मशीन पर तनाव कम होता है। E20 पेट्रोल पर स्विच करने का मतलब है बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करना - यह इतना सरल है।
वाहन उद्योग ने ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि ई20 (20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित) पेट्रोल के इस्तेमाल से वाहनों की वारंटी पर कोई असर नहीं होगा। देश के वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के कार्यकारी निदेशक प्रशांत के बनर्जी ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि ई20 ईंधन के इस्तेमाल से 'वारंटी में किसी प्रकार का बदलाव नहीं आएगा। सभी वारंटी और बीमा का सम्मान किया जाएगा।”
सियाम और फिपी ने दूर की भ्रांतियां
सियाम और भारतीय पेट्रोलियम उद्योग महांसघ (फिपी) के साथ भारतीय वाहन अनुसंधान संघ (एआरएआई) के साथ द्वारा आयोजित इस संवाददाता सम्मेलन में तीनों संगठनों के अलावा तेल विपणन कंपनियों और वाहन निर्माता कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इसका उद्देश्य ई20 ईंधन पर आम लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर करना था।
प्रेस कॉन्फेंस में बताया गया कि साल 2010 में वाहनों ई10 और साल 2016 में ई20 ईंधनों के लिए वाहनों पर अध्ययन किए गए थे। इसके बाद साल 2023 में भी एक अध्ययन हुआ। इन अध्ययनों में पता चला कि ई10 ईंधन के लिए विनिर्मित वाहनों में ई20 ईंधन के इस्तेमाल से भी कोई 'प्रतिकूल प्रभाव' नहीं पड़ता है।
माइलेज पर पड़ेगा कितना असर
मंच पर मौजूद सभी वक्ताओं ने कहा कि माइलेज में कमी एक मात्र नुकसान है जबकि ई20 के कई फायदे होते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इससे वाहनों के माइलेज में ई10 की तुलना में 2-6 प्रतिशत की गिरावट आती है। इससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है क्योंकि इथेनॉल शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष ईंधन है। साथ ही, कच्चे तेल के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा में उसी हद तक बचत होती है। वहीं, पैसा देश के किसानों को जाता है जिससे उनकी माली हालत अच्छी होती है। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma