नई दिल्ली, देश में धरना, प्रदर्शन और आंदोलन आम बात है। हर मुद्दे पर ऐसे दृश्य देखने को मिल जाते हैं। लेकिन संसद भवन परिसर में अब ऐसे प्रदर्शनों के मुद्दे को लेकर विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, अब संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिए नहीं किया जा सकेगा। राज्यसभा सचिवालय के बुलेटिन में यह बात कही गई है।
बता दें कि धरना और प्रदर्शन को लेकर यह बुलेटिन ऐसे समय में सामने आया है, जब एक दिन पहले ही गुरुवार को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा था।
मानसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी द्वारा जारी बुलेटिन में इस विषय पर सदस्यों से कहा है कि इस फैसले पर सहयोग करें। बुलेटिन के मुताबिक सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल अब धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों समेत किसी तरह के विरोध के लिए नहीं कर सकते।
फैसले पर राजनीति भी शुरू
इस पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस महासचिव एवं राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, विषगुरू का ताजा प्रहार... धरना मना है। उन्होंने इसके साथ 14 जुलाई का बुलेटिन भी साझा किया।'
एक दिन पहले ही, संसद में बहस आदि के दौरान सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले कुछ शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखे जाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा था कि सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब 'असंसदीय' माने जाएंगे। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया था कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें संदर्भ के आधार पर कार्यवाही से हटाया जाता है तथा सभी सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।
क्या है असंसदीय शब्द?
बता दें कि लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है, जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिट्ठू जैसे शब्द शामिल हैं।