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Last Modified: शनिवार, 18 जून 2022 (13:18 IST)

गुजरात के कच्छ में देश की पहली 'बालिका पंचायत', जानिए क्या हैं इसके मायने

गुजरात के कच्छ में देश की पहली 'बालिका पंचायत', जानिए क्या हैं इसके मायने Balika Panchayat in 4 Villages of Gujrat all you need to know - Balika Panchayat in 4 Villages of Gujrat all you need to know
कच्छ। गुजरात के कच्छ जिले के आस -पास के गांवों में 'बालिका पंचायत' नामक एक अद्वितीय पंचायत मॉडल सामने आया है, जिसके माध्यम से इन गांवों की लडकियां अपनी सामाजिक भूमिका निभा रही हैं। ये पंचायत 11-21 साल की लड़कियों द्वारा संचालित की जाती हैं। इसमें लड़कियां सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के बारे में बात करने के लिए इकठ्ठा होकर बदलाव लाने की दिशा में काम करती हैं। 
 
बीते गुरूवार एक ऐसी ही पंचायत कच्छ जिले में हुई, जहां की 20 वर्षीय सरपंच उर्मी अहीर ने बताया कि मैं सरपंच हूं, लडकियां मेरे पास अपनी समस्याएं व मुद्दे लेकर आती हैं, और मैं सबकी सहमति से उन्हें हल करती हूं। हम कई छोटे-छोटे प्रयासों से बाल विवाह, दहेज प्रथा से लड़कर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। 
 
बालिका पंचायत की अनूठी पहल कच्छ जिले के चार गांवों कुनारिया, मस्का, मोटागुआ और वडसर में करीब एक साल पहले शुरू हुई थी। लेकिन, तब जागरूकता न होने के कारण इसमें ज्यादा लड़कियां हिस्सा नहीं लेती थी। इसकी अवधारणा 'लड़कयों द्वारा लड़कियों के लिए' की प्रेरणा के साथ गुजरात सरकार की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के अंतर्गत रखी गई थी। जिसके बाद इसे स्थानीय प्रशासन का सहयोग भी प्राप्त हुआ।  
 
ऐसे चुनी जाती है बालिका पंचायत - 
ग्राम पंचायत के समानांतर चलने वाली इस पंचायत के सदस्यों का चयन भी लंबी प्रक्रिया के बाद किया जाता है। पंचों तथा सदस्यों का फैसला मतदान से होता है। बालिका पंचायत की सदस्य बनने के लिए लड़कियां रैलियां निकालकर व घर-घर जाकर प्रचार भी करती हैं। 
 
अन्य राज्यों में भी लागू होगा बालिका पंचायत मॉडल - स्मृति ईरानी
बालिका पंचायत ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित किया है। उन्होंने कच्छ में बालिका पंचायत की सदस्यों के साथ वर्चुअल मीटिंग भी की थी। इस साल अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर स्मृति ईरानी ने बालिका पंचायत के मॉडल को देश के अन्य राज्यों में लागू करने की योजना बनाने की बात भी कही थी। ईरानी के अनुसार - बालिका पंचायत  को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने से लड़कियां भी सामाजिक मुद्दों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगी। 
 
 
 
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