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Last Modified: पुरी , सोमवार, 15 जुलाई 2024 (22:42 IST)

हजारों भक्तों ने भगवान जगन्नाथ की बहुड़ा यात्रा के दौरान खींचे रथ

Jagannath Rath Yatra
Bahuda Yatra of Lord Jagannath : हजारों श्रद्धालुओं ने ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारों और झांझ-मंजीरों की ध्वनि के बीच सोमवार को जगत पालक भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की ‘बहुड़ा यात्रा’ या वापसी यात्रा में उनके रथों को खींचा। तय कार्यक्रम के अनुसार ‘बहुड़ा यात्रा’ अपराह्न 4 बजे शुरू होनी थी। लेकिन यह यात्रा कुछ समय पहले ही शुरू हुई। श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र के रथ ‘तालध्वज’ को अपराह्न 3 बजकर 25 मिनट पर खींचना शुरू किया।
 
तय कार्यक्रम के अनुसार ‘बहुड़ा यात्रा’ अपराह्न चार बजे शुरू होनी थी लेकिन यह यात्रा कुछ समय पहले ही ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारों और झांझ मंजीरों की आवाज के साथ शुरू हुई। श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र के रथ ‘तालध्वज’ को अपराह्न तीन बजकर 25 मिनट पर खींचना शुरू किया। देवी सुभद्रा का रथ ‘देवदलन’ अपराह्न चार बजे वापसी यात्रा पर निकला जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ ‘नंदीघोष’ की ‘बहुड़ा यात्रा’ अपराह्न चार बजकर 15 मिनट पर शुरू हुई।
 
पुरी के राजा ‘गजपति महाराज’ दिव्य सिंह देब द्वारा ‘छेरा पहरा’ अनुष्ठान करने के बाद रथ खींचने की शुरुआत हुई। इस दौरान उन्होंने पवित्र जल छिड़ककर सोने की झाड़ू से तीनों रथों को साफ किया। सात जुलाई को आराध्य देव जगन्नाथ मंदिर से रथ पर सवार होकर तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर गए थे।
भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ सात दिनों तक गुंडिचा मंदिर में रहे, जिसे उनका जन्मस्थान माना जाता है। तीन आराध्य सोमवार को जगन्नाथ मंदिर के लिए लौटे जिसे ‘बहुड़ा यात्रा’ के नाम से जाना जाता है। इससे पहले लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में तीनों देवताओें के विग्रह को गुंडिचा मंदिर से उनके संबंधित रथों पर ले जाया गया।
 
ओडिशा पुलिस ने ‘बहुड़ा यात्रा’ के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने तथा भीड़ के प्रबंधन के लिए 180 पलटन (एक पलटन में 30 जवान होते हैं) और 1,000 अधिकारी तैनात किए। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि ‘बहुड़ा यात्रा’ के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, पूरा शहर सीसीटीवी की निगरानी में है।
इस महोत्सव में लगभग पांच लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान है। एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार रात को भगवान 12वीं सदी के मंदिर के सिंह द्वार के सामने रथों पर विराजमान रहेंगे और 16 जुलाई को रथों पर ‘सुनाभेषा’ (स्वर्ण पोशाक) की रस्म निभाई जाएगी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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