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Last Updated : मंगलवार, 31 जनवरी 2023 (08:45 IST)

आसाराम बापू शिष्या से बलात्कार मामले में दोषी करार, सजा पर फैसला आजऐलान

आसाराम बापू शिष्या से बलात्कार मामले में दोषी करार,  सजा पर फैसला आजऐलान - Asaram Bapu convicted of rape by Gandhinagar court
गांधीनगर। कथाकार आसाराम बापू बलात्कार के मामले में जेल में बंद हैं। इस बीच गांधी नगर की एक अदालत ने आसाराम बापू को दोषी ठहराया है। इस मामले में आज सजा का ऐलान हो सकता है। आसाराम बाबू जोधपुर की जेल में बंद हैं। महिला शिष्या से बलात्कार के आरोप में आसाराम बापू जोधपुर जेल में बंद हैं। 2013 में सूरत की 2 बहनों से रेप के मामले में गांधीनगर सेशन कोर्ट ने आसाराम को दोषी ठहराया है। 
 
कुल 7 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसमें सबूत के अभाव में आसाराम को छोड़कर 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। आसाराम को कल सजा सुनाई जाएगी।
 
आसाराम का बेटा नारायण साईं भी इस मामले में आरोपी था। मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती और चार महिला अनुयायियों- ध्रुवबेन, निर्मला, जस्सी और मीरा को भी आरोपी बनाया गया था। इन सभी को गांधीनगर कोर्ट ने बरी कर दिया था।
 
जेल में आसाराम बापू इस समय जोधपुर की एक जेल में बंद हैं। 
 
2018 में, जोधपुर की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें एक अलग यौन उत्पीड़न मामले में दोषी ठहराया और जेल की सजा सुनाई। उन्हें 2013 में अपने जोधपुर आश्रम में एक 16 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने का दोषी पाया गया था।
 
उस समय  77 वर्षीय धर्मगुरु को आईपीसी की धारा 376, यौन अपराधों के तहत बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था। आसाराम को अगस्त 2013 में इंदौर से गिरफ्तार किया गया था और सितंबर 2013 में जोधपुर लाया गया था।

कई बार किया बलात्कार : अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच महिला से कई बार बलात्कार किया, जब वह शहर के बाहरी इलाके में स्थित उसके आश्रम में रहती थी।
 
लोक अभियोजक आर सी कोडेकर ने सोमवार को कहा कि अदालत ने अभियोजन के मामले को स्वीकार कर लिया और आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (सी), 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और अवैध रूप से बंधक बनाने से जुड़ी धारा में दोषी ठहराया।
 
रत की रहने वाली एक महिला ने अक्टूबर 2013 में आसाराम और सात अन्य के खिलाफ बलात्कार और अवैध तरीके से कैद रखने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। एक आरोपी की मुकदमा लंबित रहने के दौरान मौत हो गई। जुलाई 2014 में मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था। Edited by : Sudhir Sharma एजेंसियां