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Last Modified: शुक्रवार, 29 जून 2018 (22:27 IST)

स्विस बैंक में जमा धन पर बोले जेटली, सभी धन काला नहीं...

स्विस बैंक में जमा धन पर बोले जेटली, सभी धन काला नहीं... - Arun Jaitley, Black Money, Swiss Bank
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि यह अनुमान लगाना कि स्विस बैंक में जमा सभी धन कालाधन है, गलत है। स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा जमा राशि में वर्ष 2017 में 50 फीसदी की बढ़ोतरी होने और इसके सात हजार करोड़ रुपए पर पहुंचने को लेकर विपक्षी दलों सरकार पर कालेधन को लेकर हो रहे हमले के बीच जेटली ने एक ब्लॉग में विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वे सभी गलत सूचना आधारित अभियान चला रहे हैं।


उन्होंने कहा, यह अनुमान लगाना कि सभी जमा राशि कर चोरी की है स्विटजरलैंड में सिर्फ अवैध जमा होता है यह एक दशक पहले ऐसा होता था और अब इस तरह का अनुमान लगाना गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगले वर्ष जनवरी से स्विटजरलैंड रियल टाइम पर खाता के बारे में जानकारी साझा करेगा और इसके बाद स्विस बैंक में अवैध तरीके से धनराशि जमा करने वाले भारतीयों के विरुद्ध कालाधन कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।

जेटली ने कहा कि स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा राशि में बढ़ोतरी के संकेत वाली एक खबर आई है। इसको लेकर कुछ वर्गों ने गलत सूचना पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है जिससे यह सवाल उठा है कि सरकार के कालेधन विरोधी कदमों का परिणाम क्या हुआ।

उन्होंने कहा है कि स्विट्जरलैंड वित्तीय सूचनाएं साझा करने के विरूद्ध रहा है। बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से वह सूचनाएं साझा करने पर सहमत हुआ। इसके मद्देनजर वह कई देशों के साथ सूचनाएं साझा करने के लिए द्विपक्षीय संधि की है। इसके लिए उसने अपने कानूनों में संशोधन किए हैं और भारत के साथ एक संधि की है जिसके तहत वह भारतीयों द्वारा धनराशि जमा किए जाने पर जनवरी 2019 से रियल टाइम पर सूचनाएं साझा करेगा।

उन्होंने कहा कि किसी भी अवैध जमाकर्ताओं को यह जान लेना चाहिए कि कुछ ही महीने के बाद उसका नाम सार्वजनिक होगा और उसके विरुद्ध कालाधन कानून के तहत कठोर कार्रवाई होगी। जेटली ने पनामा पेपर लीक मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि पेपर में आए कुछ मामले अवैध खाताधारक के थे। देश के बाहर भारतीय धनराशि कई तरह से जाती है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की जांच में यह पता चला है कि कई भारतीय मूल के लोगों के पास विदेशी पासपोर्ट है। प्रवासी भारतीयों के धन के साथ ही कई भारतीय निवासी विदेशों के वैधानिक तरीके से निवेश किए हुए हैं या उदार रीमिटैंस स्कीम के तहत धनराशि हस्तातंरित की है। इनमें भारत में निवास करने वालों द्वारा उपरोक्त श्रेणी से अलग तरीके से विदेशों में धनराशि जमा करने पर ही कार्रवाई हो सकती है।

पहले दो श्रेणी उन देशों के न्याय क्षेत्र में आती है जहां का वह व्यक्ति निवासी है और तीसरी श्रेणी पर सरलता से भारत में निगरानी की जा सकती है। यदि जमा राशि इन तीनों श्रेणी में नहीं आती है तो इसे अवैध श्रेणी में आती है और उसके विरुद्ध जांच की जाती है। गिरफ्तारियां होती हैं और आपराधिक कार्रवाई की जाती है।

उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड ने 'टैक्स हैवन' देश की छवि को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। अब वह रियल टाइम में सूचनाएं साझा करने की स्थिति में है। इसलिए अब वह कर चोरी के लिए प्रमुख केन्द्र नहीं रहेगा। (वार्ता)
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