AAP की नजर अब गुजरात और हिमाचल पर, पंजाब की जीत ने बढ़ाया आत्मविश्वास
-हेतल करनाल
पंजाब में बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी अरविन्द केजरीवाल का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ नजर आ रहा है। पंजाब की जीत के बाद अब आप की नजर इस साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर टिक गई है। दोनों ही राज्यों में पार्टी अपनी चुनौती पेश कर सकती है।
2017 के विधानसभा चुनाव में पंजाब में दूसरे नंबर पर आई आप ने इस बार 92 सीटें जीती हैं। वहीं सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस 18 सीटों पर सिमटकर रह गई है। इतना ही नहीं आप की आंधी में बड़े-बड़े दिग्ग्ज धराशायी हो गए। इनमें चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर सिंह, प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल जैसे बड़े नेता अपनी सीटें नहीं बचा पाए।
इस जीत ने आप और उसके नेताओं के हौसले बुलंद कर दिए हैं साथ ही उनकी महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ गई हैं। पंजाब के नतीजों के बाद एक आप नेता कह भी चुके हैं 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी भाजपा के लिए चुनौती पेश करेगी।
वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, गुजरात और हिमाचल प्रदेश मुख्य रूप से आप के रडार पर हैं। पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि फिलहाल हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम गुजरात जीतेंगे, लेकिन मोदी के सत्ता में आने के बाद, राज्य में कुछ बदल गया है, जो पाटीदार आंदोलन, ऊना आंदोलन और 2017 में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन से दिखाई देता है। लेकिन अब कांग्रेस ने मैदान छोड़ दिया है। आप पहले ही स्थानीय निकाय चुनाव में सूरत के पटेल बेल्ट में 27 सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत कर चुकी है। सौराष्ट्र में भी पार्टी की जड़ें मजबूत बताई जा रही हैं।
आम आदमी पार्टी के एक नेता ने कहा कि पंजाब की जीत दूसरे राज्यों में हमारे लिए संभावनाओं के दरवाजे खोलती है। हिमाचल जैसे राज्य में हम एक शुरुआत देख रहे हैं क्योंकि पंजाब ने हमारे अभियान को और अधिक विश्वसनीय बना दिया है। इस नेता का मानना है कि हालांकि यह अभी शुरुआत और जमीनी स्तर पर काफी करना बाकी है।
खास बात यह है कि AAP की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं नई नहीं हैं। 2013 में दिल्ली में 28 सीटें जीतने के बाद, पार्टी ने 2014 में 400 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। पार्टी ने चार सीटें जीती थीं और ये सभी सीटें पंजाब में थीं। AAP ने तब दिल्ली पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया और 2015 में बहुमत के साथ जीत हासिल की। 2019 में, पार्टी ने केवल 100 लोकसभा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2014 के चुनावों के साथ, हमने अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट कर दिया, लेकिन इसे विपक्ष का समर्थन नहीं मिला। हमने लोगों को दिखाया कि आप जीत सकते हैं और काम कर सकते हैं। सबूत है कि लोग भरोसा करने को तैयार हैं।