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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के 7 रोचक मुकाबले

Maharashtra Election
7 popular seats of Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र की सत्ता पर महायुति और महाविकास अघाडी दोनों की नजर है। भाजपा नीत महायुति पर सत्ता बचाने का दबाव है, वहीं महाविकास अघाडी (एमवीए) सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है। हालांकि चुनाव में दोनों ही गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर बताई जा रही है। राज्य में कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला काफी रोचक है। राज्य ही नहीं देश की नजरें भी इन सीटों के परिणामों पर हैं। आइए जानते हैं उन्हीं सीटों के बारे में.... 
 
1. वर्ली में आदित्य बनाम मिलिंद : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट वर्ली मानी जा रही है, जहां राज्य के पूर्व मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे उम्मीदवार हैं, जबकि शिवसेना शिंदे ने कांग्रेस से आए मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतारा है। आदित्य उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री रह चुके हैं, जबकि मिलिंद देवड़ा राज्यसभा के सदस्य भी हैं। मिलिंद के पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के बड़े नेता रह चुके हैं। पिछले चुनाव में आदित्य भाजपा और शिवसेना के संयुक्त रूप से उम्मीदवार थे और 70 हजार रिकॉर्ड वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार भाजपा का साथ नहीं है। साथ ही शिवसेना भी दो भागों में बंट चुकी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस बार आदित्य की राह आसान नहीं होगी। न सिर्फ आदित्य बल्कि उद्धव ठाकरे के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। ALSO READ: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का संपूर्ण इतिहास, सबसे लंबे समय तक मुख्‍यमंत्री रहे वसंत नाईक
 
2. माहिम में तीनों सेनाओं का मुकाबला : माहिम विधानसभा सीट पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे की उम्मीदवारी से यह सीट काफी चर्चा में हैं। इस सीट पर तीनों सेनाओं के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। राज के अलावा इस सीट पर महेश बलिराम सावंत शिवसेना यूबीटी के उम्मीदवार हैं, जबकि सदा सरवणकर शिंदे की शिवसेना से उम्मीदार हैं। सरवणकर 2014 और 2019 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट पर राज ठाकरे की प्रतिष्ठा दांव पर है। हालांकि 2009 के विधानसभा चुनाव में यहां से एमएनएस पार्टी की ओर से नितिन सरदेसाई विधायक चुने गए थे।
 
3. शिंदे के सामने उस्ताद का भतीजा : इस चुनाव में कोपरी-पाचपाखाडी विधानसभा सीट भी सुर्खियों में बनी हुई है। यहां से राज्य के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे मैदान में हैं। शिवसेना यूबीटी ने खेल करते हुए शिंदे के गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को उम्मीदवार बनाया है। दिघे का राजनीतिक अनुभव शिंदे के मुकाबले नहीं के बराबर है। मुख्‍यमंत्री शिंदे के सामने खड़े होकर केदार दिघे सुर्खियां तो बटोर सकते हैं, लेकिन चुनाव जीतना लगभग मुश्किल है। शिंदे शिवसेना के दिग्गज नेता रहे आनंद दिघे को अपना गुरु और आदर्शन मानते हैं। ALSO READ: कितना अहम है मोदी-शाह के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024, भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इसी पर निर्भर
 
4. चाचा-भतीजा आमने-सामने : बारामती विधानसभा सीट पर इस बार बहुत ही मजेदार मुकाबला देखने को मिल रहा है। चाचा शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के सामने उनके (अजित के) सगे भतीजे युगेन्द्र पवार को मैदान में उतार दिया है। चाचा-भतीजे की इस जंग में अजित दादा पवार का पलड़ा भारी है। लोकसभा चुनाव में बारामती सीट पर ननद-भाभी का मुकाबला देखने को मिला था, लेकिन भाभी सुनेत्रा पवार चुनाव नहीं जीत पाई थीं। हालांकि बाद में सुनेत्रा राज्यसभा जाने में सफल रही थीं। 2019 का  विधानसभा चुनाव अजित पवार ने 1 लाख 65 से ज्यादा वोटों से जीता था। ऐसे में युगेन्द्र का जीतना तो लगभग नामुमकिन है, लेकिन वे अजित दादा की लीड जरूर कम कर सकते हैं। 
 
5. क्या दम दिखाएंगी शाइना? : भाजपा की मुखर प्रवक्ता रहीं शाइना एनसी मुंबादेवी विधानसभा सीट से शिवसेना की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक अमीन अमीर अली पटेल को उम्मीदवार बनाया है। अमीन ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना के संयुक्त उम्मीदवार पांडुरंग गणपत सकपाल को करीब 25 हजार वोटों से हराया था। हालांकि इस बार शाइनी को भाजपा के साथ एनसीपी का भी साथ मिला हुआ है। फिर उन्हें कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। अमीन इस सीट पर लगातार 3 बार से विधायक हैं। ऐसे में शाइना की राह आसान नहीं है। ALSO READ: क्या महाराष्ट्र में चुनाव के बाद बदलेंगे राजनीतिक समीकरण, फिर चाचा शरद के साथ आ सकते हैं अजित पवार
 
6. क्या बांद्रा में तीसरी बार मिलेगा 'आशीष' : भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार आशीष शेलार बांद्रा पश्चिम सीट से तीसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले 10 सालों से इस सीट पर भाजपा का दबदबा है। कांग्रेस ने इस सीट पर आसिफ जकारिया को उम्मीदवार बनाया है। 2009 में विधानसभा सीटों के पुनर्गठन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। किसी समय यह इलाका कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। बाबा सिद्दीकी इस सीट पर 1999, 2004 और 2009 में लगातार चुनाव जीत चुके थे। 2014 में वे बाबा शेलार से चुनाव हार गए थे। आशीष पिछले चुनाव में 26 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे। हालांकि जकारिया के समर्थन में प्रिया दत्त और वर्षा गायकवाड़ मोर्चा संभाल लिया है, लेकिन बावजूद इसके शेलार की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। 
 
7. चंद्रकांत पाटिल का पलड़ा भारी : महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को भाजपा ने कोथरूड सीट से चुनाव मैदान उतारा है। पाटिल को भाजपा का मराठा चेहरा माना जाता है। 2019 में इस सीट पर पाटिल ने ही जीत दर्ज की थी। शिवसेना यूबीटी के चंद्रकांत मोकाटे एमवीए उम्मीदवार हैं। चूंकि पाटिल वर्तमान में विधायक हैं और मंत्री भी हैं, इसलिए इस सीट पर उनका ही पलड़ा भारी माना जा रहा है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 
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