नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल की बिक्री मई में उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। इसका कारण बढ़ती गर्मी और शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टियां पड़ने की वजह से लोगों का दूसरे शहरों की यात्रा पर निकलना है।
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के खुदरा ईंधन बिक्री के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, मई में पेट्रोल की बिक्री 28 लाख टन रही जो पिछले साल के इसी माह के मुकाबले 55.7 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा था। ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में सरकारी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी करीब 90 प्रतिशत है।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने की खपत मई, 2020 की मांग के मुकाबले 76 प्रतिशत जबकि कोविड-पूर्व स्तर मई, 2019 के 25 लाख टन की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है। मासिक आधार पर बिक्री 8.2 प्रतिशत बढ़ी।
देश में सर्वाधिक खपत वाले ईंधन डीजल की बिक्री मई में सालाना आधार पर 39.4 प्रतिशत उछलकर 68.2 लाख टन रही। यह इस साल अप्रैल के 67 लाख टन के मुकाबले 1.8 प्रतिशत अधिक है। हालांकि यह मई, 2019 के मुकाबले 2.3 प्रतिशत कम है।
उद्योग सूत्रों ने कहा कि पिछले महीने उच्च कीमतों के बाद दाम कम होने से मई में खपत बढ़ी है। इसके अलावा कमजोर तुलनात्मक आधार से भी बिक्री अधिक रही है। अप्रैल महीने में खपत में कमी का कारण पेट्रोल और डीजल के दामों में 10 रुपए लीटर की वृद्धि रही। चार महीने के अंतराल के बाद ईंधन के दाम बढ़ाए गए थे।
हालांकि मांग बढ़ने का एक बड़ा कारण गर्मी बढ़ने और स्कूलों में छुट्टी के साथ लोगों की यात्रा में उल्लेखनीय रूप से बढ़ोतरी है। रसोई गैस की बिक्री मामूली 1.48 प्रतिशत बढ़कर 21.9 लाख टन रही। यह मई, 2020 में हुई खपत के मुकाबले 4.8 प्रतिशत कम है।
इसका कारण यह है कि उस समय सरकार ने लॉकडाउन के प्रभाव से लोगों को राहत देने के लिए गरीब परिवारों कोएलपीजी सिलेंडर नि:शुल्क उपलब्ध कराया था। एलपीजी की खपत मई, 2019 के मुकाबले 7.6 प्रतिशत अधिक, लेकिन अप्रैल, 2022 के 22.1 लाख टन के मुकाबले मामूली रूप से कम है।
सरकार ने कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिए 25 मार्च, 2020 को देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था। इससे आवाजाही प्रभावित होने के साथ कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुईं। लॉकडाउन में दो महीने बाद धीरे-धीरे ढील दी गई। विमान ईंधन की बिक्री आलोच्य महीने में दोगुना से अधिक होकर 5,40,200 टन रही।
इसका कारण दो साल बाद विमानन क्षेत्र का पूरी से तरह से परिचालन में आना है। विमान ईंधन (एटीएफ) की खपत मई, 2020 के मुकाबले 401 प्रतिशत अधिक रही लेकिन कोविड-पूर्व स्तर मई, 2019 के 6,44,000 टन के मुकाबले 16.1 प्रतिशत कम है। मासिक आधार पर बिक्री 7.5 प्रतिशत बढ़ी।(भाषा)