शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. 10 thousand crores invested on security in Kashmir in 30 yrs
Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: जम्मू , शनिवार, 9 मार्च 2019 (14:08 IST)

कश्मीर में 30 सालों में सुरक्षा पर खर्च हुए 10 हजार करोड़

कश्मीर में 30 सालों में सुरक्षा पर खर्च हुए 10 हजार करोड़ - 10 thousand crores invested on security in Kashmir in 30 yrs
जम्मू। धरती के स्वर्ग कश्मीर में फैला पाक समर्थक आतंकवाद दिनोदिन भारत सरकार के लिए महंगा साबित हो रहा है। प्रतिदिन इस मद पर होने वाले खर्चों में बेतहाशा होती वृद्धि ने सुरक्षा संबंधी खर्चों को चार सौ करोड़ प्रति वर्ष के आंकड़े तक पहुंचा दिया है।
 
हालांकि आधिकारिक तौर पर पिछले 30 सालों में सुरक्षा मद पर केंद्र ने कश्मीर को 10 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया है, जिसमें सुरक्षाकर्मियों का वेतन, गोला-बारूद आदि का खर्चा अभी तक शामिल ही नहीं किया गया है।
 
आतंकवाद की शुरुआत में आतंकवाद से निपटने के लिए होने वाला सुरक्षा संबंधी खर्चा एक सौ करोड़ के आंकड़े तक ही सीमित था,  लेकिन जैसे-जैसे आतंकवाद का दायरा बढ़ा, लोगों ने पलायन करना आंरभ किया तथा राजनीतिज्ञों को असुरक्षा की भावना महसूस हुई खर्चा सुरसा के मुंह की भांति बढ़ता चला गया।
 
यह भी एक चौंकाने वाला तथ्य हो सकता है कि कुछ साल पूर्व तक राज्य सरकार सुरक्षा संबंधी मद पर प्रति वर्ष 253 करोड़ की राशि खर्च करती रही थी, लेकिन अब उसका अनुमान इस पर पांच सौ करोड़ का खर्चा होने का है। फिलहाल सरकार यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं कि क्या आतंकवाद तेजी से बढ़ा है तभी यह खर्चा अनुमानित किया जा रहा है?
 
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जो खर्चा राज्य सरकर द्वारा आतंकवाद से निपटने के लिए सुरक्षा मद पर किया जा रहा है उसका रोचक पहलू यह है कि उसमें सुरक्षाकर्मियों का वेतन तथा उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गोला-बारूद की कीमत शामिल नहीं है बल्कि यह खर्चा सुरक्षा उपलब्ध करवाने, सुरक्षाबलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने तथा राहत राशि आबंटित करने के मद पर ही खर्च हो रहा है।
 
अगर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए तैनात केंद्रीय सुरक्षाबलों के वेतनों तथा गोला-बारूद पर होने वाले अन्य सभी खर्चों को भी जोड़ लिया जाए तो जम्मू-कश्मीर में फैला आतंकवाद हजारों करोड़ की राशि प्रति वर्ष डकार रहा है।
 
राज्य सरकार द्वारा खर्च की जा रही धनराशि, जिसका बाद में केंद्र सरकार द्वारा लगातार भुगतान भी किया जा रहा है, में कुछ ऐसे खर्चे अभी तक नहीं जोड़े गए हैं जिनके प्रति राज्य सरकार का कहना है कि वे भी सुरक्षा संबंधी खर्चे हैं क्योंकि वे आतंकवाद के कारण हो रहे हैं।
 
ऐसे खर्चों में कश्मीर से पलायन कर देश के अन्य भागों में रहने वाले कश्मीरी पंडित विस्थापित समुदाय के सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाला वेतन, उनके स्थान पर जिन युवकों को नियुक्त किया गया है, उनका वेतन तथा आतंकवाद के कारण ठप पड़े हुए सरकारी निगमों के कर्मचारियों को दिए जाने वाले धन को अभी तक शामिल नहीं किया गया है जिन पर प्रति वर्ष 200 करोड़ की राशि खर्च हो रही है।
 
यही कारण है कि राज्य सरकार चाहती है कि सुरक्षा संबंधी मामलों पर होने वाले उन खर्चों की भरपाई भी केंद्र सरकार करे जिन्हें अभी तक सुरक्षा संबंधी खर्चों में शामिल नहीं किया गया है और अगर ऐसा हो जाता है तो राज्यों में सुरक्षा संबंधी मामलों पर होने वाले खर्चे में लगभग तीन सौ करोड़ की वृद्धि हो जाएगी।
 
हालांकि यह भी सभी जानते हैं कि पिछले कुछ सालों से इसी सुरक्षा मद पर होने वाले खर्चों को लेकर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के संबंधों में कड़वाहट कई सालों तक बनी रही थी। कारण यह था कि केंद्र सरकार सभी खर्चों का भुगतान करने को तैयार नहीं थी। नतीजतन अभी भी राज्य सरकार कई करोड़ की राशि केंद्र पर बकाया होने की बात कर रही है।