स्पीकर बनना मेरे लिए ऐतिहासिक-मीरा
यह ऐतिहासिक घड़ी है। मेरे लिए बहुत भावुक क्षण हैं। इस गरिमापूर्ण संवैधानिक पद के लिए सभी दलों ने मेरे नाम का प्रस्ताव किया है। एक महिला के लिए यह ऐतिहासिक घड़ी है कि उसे इस महत्वपूर्ण और पवित्र पद का पात्र समझा गया। यह बात लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष बनने जा रहीं पूर्व केंद्रीय जल संसाधन मंत्री और पूर्व आईएफएस अधिकारी मीरा कुमार ने मंगलवार को नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद कही। 64
वर्षीय मीरा बुधवार को लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष बनने जा रही हैं। इस पद के लिए वे एकमात्र उम्मीदवार हैं, इसलिए कल उन्हें औपचारिक रूप से निर्विरोध चुन लिया जाएगा। सत्ताधारी संप्रग और विपक्षी राजग दोनों ने ही मीरा का समर्थन किया है।पाँच बार लोकसभा की सदस्य रह चुकीं मीरा के नाम की घोषणा अब औपचारिकता भर रह गई है। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी नेताओं ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया है।समर्थन के 13 सेट सौंपे : सदन के नेता प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में संप्रग के एक प्रतिनिधिमंडल ने मीरा कुमार के नाम का प्रस्ताव करने वाले नामांकन पत्र के 13 सेट लोकसभा महासचिव पीडीटी आचारी को सौंपे। संसद के सूत्रों ने बताया कि उन्हें संप्रग की ओर से 13 सेट के अलावा और कोई नामांकन पत्र नहीं मिला है।मुखर्जी ने संसद भवन परिसर में कहा पहले सेट पर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दस्तखत हैं, जिसका अनुमोदन मैंने किया है। नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने भी नामांकन पत्र के इन सेटों में से एक पर दस्तखत किए हैं।मीरा कुमार के नाम का प्रस्ताव करने वाले नामांकन पत्र के सेटों पर दस्तखत करने वाले अन्य लोगों में राकांपा प्रमुख शरद पवार और उन्हीं की पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, सपा प्रमुख मुलायमसिंह यादव और उनकी पार्टी के शैलेन्द्रसिंह यादव, बीजद के अर्जुन चरण सेठी और भृतुहरि महताब, राजद प्रमुख लालूप्रसाद, नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और आईयूएमएल नेता ई. अहमद शामिल हैं। 1985
में अपनाई राजनीति : राजनय से राजनीतिक बनीं कांग्रेस की दलित नेता मीरा पार्टी के पूर्व कद्दावर दलित नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री दिवंगत बाबू जगजीवन राम की सुपुत्री हैं। उन्होंने 1985 में भारतीय विदेश सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा। पीवी नरसिंहराव सरकार में वे उपमंत्री के रूप में शामिल हुईं और 2004 में संप्रग के सत्ता में आने पर बिहार के सासाराम से निर्वाचित मीरा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इस बार भी उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, लेकिन जल संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के दो दिन बाद ही उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाने का कांग्रेस आलाकमान ने फैसला किया। इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।नामांकन पत्र दाखिल किए जाते समय मीरा कुमार के साथ शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, टीआर बालू, पवन कुमार बंसल और वी. नारायण सामी मौजूद थे।मीरा और अंसारी में एक समानता : दिलचस्प यह है कि इस बार संसद के दोनों सदनों के शीर्ष पीठासीन अधिकारी हामिद अंसारी और मीरा कुमार भारतीय विदेश सेवा में रह चुके हैं।मुंडा होंगे उपाध्यक्ष : उधर, झारखंड के मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए करिया मुंडा का भी लोकसभा का उपाध्यक्ष बनना तय है। भाजपा ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की। सत्ताधारी गठबंधन ने संसदीय परंपरा के अनुसार उपाध्यक्ष का पद विपक्षी दलों के लिए छोड़ दिया है।मीरा कुमार का नाम अध्यक्ष पद के लिए अचानक सामने आया, क्योंकि उससे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी. किशोर चंद्र देव का नाम इस पद के लिए चल रहा था।खबर है कि पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने देव के संसद से जुड़े कामकाज को संभालने के लिहाज से उनके भारी भरकम अनुभव को देखते हुए उनके नाम का समर्थन किया था।