शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. webdunia blog

जवां बने रहने के प्रपंच

जवां बने रहने के प्रपंच - webdunia blog
ऐसा कौन होगा जो सदा युवा रहना या दिखना नहीं चाहता हो? चालीसी जब से पार हुई है तब से मेरे ह्रदय में भी युवा  दिखने की चाहत हिलोरें मार रही है। युवा रह नहीं सकते तो दिख तो सकते हैं वाले फार्मूले के तरकश वाले सारे तीर  चला लिए किन्तु जगह-जगह पर अंकलजी वाला सम्बोधन सुनाई दे ही जाता है। बालों पर मेहंदी रगड़ मारी, जितने  प्रकार की युवा बनाए रखने वाली क्रीम बाज़ार में उपलब्ध है सारी की सारी आजमा ली परन्तु अपेक्षित परिणामों से अभी  भी कोसों दूर हूं। प्रत्येक रविवार को आधा समय बालों को रंगने तथा आधा समय उन्हें धोने-सुखाने में गंवाने के बाद  मेरा भरोसा इन उपायों पर से उठ गया है। अब मैंने यह ठान लिया है कि युवा बने रहने के लिए मुझे कुछ दूसरे टाईप  के प्रपंच करने की आवश्यकता है। 
 
मेरे अचेतन मन में यही प्रश्न उमड़-घुमड़ रहा है कि आखिर क्या जतन करूं कि युवा दिखूं न दिखूं किन्तु जनता- जनार्दन मुझे युवा समझे। 
 
गूगल सर्च से लेकर लोकल समाचार-पत्रों में आने वाले तमाम विज्ञापनों पर दृष्टिपात करने के बाद मैं इस नतीजे पर  पंहुचा कि युवा दिखने और लगने हेतु इन सभी के पास क्रीम, व्यायाम और खान-पान में परहेज़ जैसे घिसे-पिटे तौर- तरीकों के  अलावा कुछ भी नहीं है। ऐसी घोर निराशावादी अवस्था में रद्दी बेचते समय मेरी नज़र पुराने समाचार-पत्रोंं  के भीतर वाले पृष्ठ पर चुनाव सम्बन्धी विज्ञापनों की तरफ बरबस ही चली गई। 
शहर के कई नेताओं और उनके अगल-बगल रहने वाले जिन छूटभैयों को मैं भली-भांति जानता हूं वे सब विज्ञापनों में  कृत्रिम हंसी के चित्र के साथ सजे हुए थे। मैंने ध्यान से देखा कि इन नेताओं में से अधिकांश (जिनकी उम्र 60 से ऊपर  होगी) के नीचे युवा नेता लिखा हुआ था। 
 
युवा शब्द वैसे भी कई दिनों से मेरी प्राथमिकता में दर्ज था सो इस शब्द को देखते ही मेरे कोमल मन के सारे तार  पंडित जी के सितार की तर्ज पर झनझना  उठे।
 
चुनावी विज्ञापनों तथा समाचारों को देखने के बाद मेरी स्थिति सतही तौर पर वैसी ही हो गई जैसी प्रभु की खोज करने  वालों की प्रभु-दर्शन के बाद हो जाती होगी। मैंने इस विषय को कोष्टक में लेकर सोचा तो मुझे अपने युवा दिखने का सीधा और सच्चा मार्ग प्रशस्त होता नज़र आने लगा। 
मैंने अपनी ठोड़ी पर हाथ रख कर मनन किया। मन के भीतर से आवाज़ आई कि आज क्रिकेट जैसे अति लोकप्रिय खेल में युवराज जैसे नाम और उम्र वाले खिलाड़ी प्रौढ़ कहलाने लगें हैं, विराट कोहली जैसे सितारे को सीनियर कहा जाने लगा है। सिनेमा जगत की और मुंह उठा कर देखें तो ऐश्वर्या ,काजोल ,रानी, और कैटरीना जैसी कमसिन बालाएं आज सनी लियोने जैसी अभिनेत्रियों (?) के चलते उम्र दराज़ कहलाने लगीं है तो अपने को कौन युवा मानेगा?
 
अब ऐसी तमाम विकट स्थितियों को मद्देनज़र रखते हुए अपनी युवा कहलवाने की चाहत यदि कहीं पूरी हो सकती है तो वो क्षेत्र सिर्फ और सिर्फ राजनीति  है। आज राजनीति में 60-70 पार कर चुके नेतागणों के पोस्टर,होर्डिंग चीख-चीख कर उन्हें युवा साबित कर रहे हैं। चुनावी रैलियों में किसी भी युवा से अधिक मेहनत कर चुके ये परम पूज्य नेता चिर काल से युवा बने हुए हैं। तमाम विरोधों के बावजूद अब यह तय है की यह मौका भले चुक गया पर अगले चुनावों में नामांकन भरना है और समूचे जग से अपने आपको युवा कहलवाना ही है।

 
 
ये भी पढ़ें
कविता : धरती का क्या होगा?