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Written By Author सुनील चौरसिया
Last Modified: शनिवार, 13 अप्रैल 2019 (18:45 IST)

विकास और प्रलोभन का चुनावी दंगल

विकास और प्रलोभन का चुनावी दंगल - Lok Sabha Elections 2019 election
इस वर्ष 17वीं लोकसभा के गठन के लिए 7 चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक मतदान हो रहा है जिसकी मतगणना 23 मई को होगी। भारत में लोकसभा चुनाव का बहुत ही खास महत्व है और देश की जनता इस चुनावी दंगल में बड़े उत्साह के साथ बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है।
 
इस चुनाव से अगले 5 साल का भविष्य देश के लिए तय होता है। यह देश के लिए बहुत ही निर्णायक स्थिति होती है, क्योंकि जो भी पार्टी बहुमत में आती है उसी की सरकार बनती है और अगले 5 वर्षों तक उसी के हाथ में देश की बागडोर होती है।
 
चुनाव का समय जनता के लिए बहुत कठिन वक्त होता है, क्योंकि वह कनफ्यूज रहती है कि किसे वोट दे और किसे नहीं। कई बार जनता इनके झूठे लुभावने वादों के झांसे में आकर गलत निर्णय ले लेती है और बाद में ठगा हुआ महसूस करती है। जनता-जनार्दन के लिए यह समय बहुत ही सूझ-बूझ वाला होना चाहिए ताकि देश के लिए उपयुक्त नेतृत्व का चयन हो सके।
 
भारतीय राजनीति में फिलहाल ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विकास और प्रलोभन के बीच चुनावी दंगल है। कोई विकास की रूपरेखा बनाकर तो कोई लंबे-चौड़े प्रलोभन देकर जनता को लुभाना चाहता है। यह सर्वविदित है कि चुनावी वादे को चुनाव जीतने के बाद दरकिनार कर दिया जाता है। देखना यह है कि जनता-जनार्दन विकास को पसंद करती है या प्रलोभनों के झांसे में आकर फिर से देश को गर्त में ढकेल देती है?
 
अब सवाल यह उठता है कि देश का शीर्षतम नेता कैसा हो? तो इस पर गहन चिंतन करने की आवश्यकता है। देश का नेता वैसा हो जिसमें देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छाशक्ति हो, साथ ही उसमें नेतृत्व करने की अद्भूत क्षमता हो और त्वरित एवं सटीक निर्णय लेने का गुण भी समाहित हो तथा जो देश के प्रत्येक नागरिक को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रेरित कर सकें। इसके साथ ही देश से अशिक्षा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के उन्मूलन हेतु कारगर कदम उठाने का साहस कर सके। जो समय के साथ सही दिशा में बदलाव लाने हेतु बेहतर कार्य करते हुए देश को विश्व में प्रगतिशील देश के रूप में स्थापित कर सके।
 
देश के नागरिकों को इस चुनाव के महाकुंभ से सशक्त और विवेकशील नेतृत्व वाले नेता को ही चुनना चाहिए। कारण कि यदि सही नेतृत्व सत्ता में नहीं आता है तो राष्ट्र के लिए यह बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि देश कोई बच्चों का झुनझुना नहीं है कि जो किसी के भी हाथों में दे दिया जाए। इसे योग्य व्यक्ति के हाथों में ही सौंपा जाना चाहिए ताकि देश में तरक्की के रास्ते खुल सके व जीवन के हर क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बन सके।
 
चुनाव में जनता का फैसला बहुत ही अहम होता है, क्योंकि इनके द्वारा ही देश के नेतृत्व का चयन होता है। यह शत-प्रतिशत सत्य है कि सही नेतृत्व ही देश को सही दिशा प्रदान कर सकता है। किसी ने सच ही कहा है कि 'पतझड़ हुए बिना पेड़ों पर नए पत्ते नहीं आते और कठिनाई और संघर्ष सहे बिना अच्छे दिन नहीं आते'। अत: देश की जनता कठिनाई और संघर्ष से डरे नहीं बल्कि उन्हें स्वीकार करे और देश को उच्च शिखर पर ले जाने हेतु योग्य नेता का चयन करे।
 
सन् 2019 के लोकसभा चुनाव में देश की जनता को तय करना है कि देश उन्नति की ओर अग्रसर हो या अवनति की ओर? यदि देशवासी सही नेतृत्व पर अपना विश्वास जताते हैं तो यकीनन आने वाले समय में देश विकास और खुशहाली की ओर अग्रसर होगा और गलती से देश की बागडोर कमजोर नेतृत्व के हाथों में जाती है तो यह बात भारतवर्ष के लिए बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण साबित होगी।