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शब्द पृथ्वी की पुत्रियां हैं : वेबदुनिया की पहल सराहनीय

शब्द पृथ्वी की पुत्रियां हैं : वेबदुनिया की पहल सराहनीय - shabd ullas opinion
शब्द उल्लास : वेबदुनिया का सुप्रयास
 
'अनुष्ठान' मात्र शब्द नहीं अर्थ से ज्यादा एक साधना है। और यही अनूठा अनुष्ठान "शब्द उल्लास" के रूप में गौरवमयी वेबदुनिया के 23 साल पूर्ण किए जाने पर शुरू किया। 'वेबदुनिया' किसी परिचय का मोहताज नहीं। इससे जुड़ा हर व्यक्ति प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपनी मां हिंदी की सेवासुख का पुण्य लाभ अर्जित कर धन्य हो रहा है।  आज जब दुनिया अपने मनोरथ सिद्ध करने के लिए स्वार्थ में लगी हुई है वहीँ वेबदुनिया ने एक अकल्पनीय शब्द साधना की राह चुनी। हमेशा की तरह हिंदी भाषियों के लिए यह "शब्द उल्लास" संजीवनी का कार्य करेगा। इसके लिए समस्त वेबदुनिया परिवार बधाई का पात्र है। साधुवाद का हकदार है। अन्य लोगों के लिए प्रेरणा पुंज है।
 
शब्दों की महत्ता को लेकर जानसन (ए डिक्शनरी आफ़ दि इंग्लिश लैंग्वेज, भूमिका) ने कहा है- “मैं अभी शब्दकोश-रचना में इतना अधिक खो नहीं गया हूं कि यह भूल जाऊं कि शब्द पृथ्वी की पुत्रियां हैं और अर्थ (वस्तुएं) स्वर्ग के पुत्र हैं.“ यदि ऐसा हम भी मानते हैं तो निश्चित ही उनकी सुरक्षा और आयुष्य को सहेजना हमारा परम धर्म और कर्तव्य बनता है जिसका आरम्भ शब्द उल्लास ने किया है। 
 
धरती के अमरत्व प्राप्त वस्तुओं में शब्द भी अमर होते हैं परन्तु यदि इन्हें चिरंजीवी बनाए रखने के लिए उन्हें गिराने की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। शब्द बड़ी साधना से उठ पाते हैं। काका हाथरसी ('शब्द-सामर्थ्य' कविता) ने कहा है-
 
“शब्दों का सामर्थ्य भी हो जाता है व्यर्थ, आगे-पीछे कीजिये, बदल जाएगा अर्थ”  
 
यदि शब्दों का उपयोग शुद्ध हृदय के साथ आदरपूर्ण भाव से न किया जाए तो वे “प्रेत” मात्र ही होते हैं। 
 
“इदमन्धं तमः कृत्स्नं जायेत भुवनत्रयम्। यदि शब्दाह,वयं ज्योतिरासंसारं न दीप्यते ॥“
 
-ये तीनों भुवन गाढ़ान्धकार से व्याप्त हो जाते, 'शब्द' नामक ज्योति सम्पूर्ण संसार को प्रकाशित करती। 
 
गुरु नानक जी कहते हैं- “शब्द को विचारने से भवसागर को पार किया सकता है।”
 
शब्दों में चमत्कार भरा होता है। शब्द भावना को देह देता है और भावना शब्द के सहारे साकार बनती है। ये जानते समझते भी शब्दों के साथ हो रहे खिलवाड़ सीधे हमारे दिलो-दिमाग को झकझोर रहे हैं। शब्दों के जप-तप की महिमा से हमारे ग्रंथ, इतिहास भरे पड़े हैं।  इनकी अवहेलना, दुरूपयोग और विभत्स प्रस्तुतिकरण खतरनाक बीमारी और हानिकारक प्रवृत्ति है जो आने वाली पीढ़ियों और संस्कृति को नष्ट, भ्रष्ट और पथ भ्रमित करने को उतारू हो चली है। इस प्रदूषित वातावरण में वेबदुनिया के इस अतुलनीय शब्द उल्लास के पर्यावरणीय प्रयासों का हम वंदन करते हैं अभिनन्दन करते हैं। बधाई और शुभकामनाएं हमारी अपनी दुनिया...वेबदुनिया...
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