यह कहानी कई लोगों से हमने अलग-अलग तरह से सुनी है। यह बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है। इसे पढ़कर आप भी सोच में पड़ जाएंगे। यदि आप इस कहानी को अच्छे से समझते हैं तो यह आपके लिए प्रेरक सिद्ध होगी। तो आओ जानने हैं कि क्या है यह रोचक कहानी।
दर्शनशास्त्र की एक क्लास में प्रोफेसर ने एक शीशे का जार और एक थैले में कुछ पत्थर, कंकर और रेत आदि के रखे बाक्स को लेकर क्लास में प्रवेश किया और क्लास शुरू हुई। उन्होंने एक बड़े से जार में पहले पत्थर के बड़े-बड़े टूकड़े जार के मुंह तक भरकर छात्रों से पूछा कि क्या यह जार भर गया है? छात्रों ने जार को ध्यान से देखा और कहा कि हां सर अब यह जार भर चुका है।
फिर प्रोफेसर ने थैले में से छोटे-छोटे कंकर का बाक्स निकाला और वे उस जार में सभी कंकर को भरने लगे और हिला-हिलाकर सभी कंकरों को जार में सेटल कर दिया तब उन्होंने छात्रों से पूछा कि क्या अब जार भर गया है? छात्रों ने ध्यान से देखा और सभी ने कहां, हां सर अब तो पक्का भर गया है अब कोई गुंजाइश नहीं बची।
तभी प्रोफेसर ने थैले में से एक तीसरा बाक्स निकाला जिसमें रेत भरी हुई थी। उन्होंने वह रेत उस जार में डाल थी और जार को हिला-हिलकर सभी रेत को भी जार में सेटल्ड कर दिया। रेत ने बची-खुची जगह भी भर दी। एक बार फिर उन्होंने छात्रों से पूछा कि क्या अब जार भर गया है? सभी ने सकुचाते हुए कहा कि हां सर भर गया है।
फिर फ्रोफेसर ने एक बोतल पानी उस जार में डालकर कर पूछा, क्या अब यह भर गया है? छात्रों ने कहा, हां सर।
फिर प्रोफेसर ने समझाना शुरू किया और कहा कि इसके माध्यम से ये समझें कि आपकी जिंदगी में जो आपका परिवार, पत्नी, बच्चे और आपकी सेहत है वह बड़े-बड़े पत्थरों की तरह है। परिवार और सेहत के लिए ही हम सबकुछ करते हैं। ये ऐसी चीजें हैं कि अगर आपकी बाकी सारी चीजें खो भी जाएं और सिर्फ ये रहे तो भी आपकी जिन्दगी पूर्ण रहेगी।
अब ये जो छोटे-छोटे कंकड़ है यह आपकी नौकरी, आपका व्यापार और आपका घर या बैंक बैलेंस है। अब ये जो रेत और पानी हैं ये आपके जीवन में छोटी-मोटी चीजें हैं, इच्छाएं हैं और जिनमें से आप कुछ भी चुन सकते हैं। इनमें से कई गैर-जरूरी चीजें भी हैं।
अब अगर आप जार को पहले रेत या पानी से ही भर देंगे तो कंकड़ और बड़े पत्थरों के लिए कोई जगह ही नहीं बचेगी या आप पहले कंकड़ से ही जार को भर देंगे तो रेत पानी के लिए तो संभवत: जगह बचेगी लेकिन बड़े पत्थरों के लिए कोई जगह नहीं होगी।
यही आपकी जिंदगी के साथ भी होता है। अगर आप अपना सारा समय और ऊर्जा कंकड़ या रेत में ही लगा देंगे तो बड़े-बड़े पत्थर छूट जाएंगे। कहने का मतलब यह कि जीवन में जरूरी क्या है यह आपको तय करना होगा। सारा समय और उर्जा छोटी-छोटी चीजों में लगा देंगे तो आपके पास कभी उन चीजों के लिए समय नहीं होगा जो आपके लिए इंपोर्टेंट हैं। आप किसके लिए कार्य कर रहे हैं और किसके लिए छोटी-छोटी इच्छाओं को बंटोर रहे हैं?
कार्य पर जाने के लिए, घर साफ करने के लिए, पार्टी करने के लिए या यात्रा करने के लिए आपके पास हमेशा वक्त रहेगा परंतु परिवार और सेहत पर ध्यान नहीं दिया तो किसके लिए यह सब करेंगे? प्राचीन कहावत है कि पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में माया। बाकी चीजें बस रेत और पानी हैं।
प्रस्तुत : अनिरुद्ध जोशी