Happy mothers day shayari: एक माँ का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। वह हमारी पहली शिक्षक होती है, जो हमें बोलना, चलना और दुनिया को समझना सिखाती है। वह हमारी पहली दोस्त होती है, जिसके साथ हम अपने सुख-दुख साझा करते हैं। वह हमारी मार्गदर्शक होती है, जो हमें सही राह दिखाती है और मुश्किलों से लड़ने की प्रेरणा देती है। बचपन में हमारी हर छोटी सी ज़रूरत का ध्यान रखना हो या बड़े होकर हमारे सपनों को साकार करने में हमारा साथ देना हो, माँ हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती है। माँ का प्यार निस्वार्थ होता है। वह हमारी गलतियों को माफ करती है, हमारी कमजोरियों को स्वीकार करती है और हमेशा हम पर विश्वास करती है। उसकी ममता की छांव में हमें सुरक्षा और सुकून मिलता है। माँ का आशीर्वाद हमारे लिए किसी भी दौलत से बढ़कर होता है।
मां का आशीर्वाद हमारे जीवन में एक सुरक्षा कवच की तरह होता है, जो हमें हर बुराई से बचाता है। उनकी ममता की छांव में हमें वह सुकून मिलता है जो दुनिया के किसी और कोने में नहीं मिल सकता। लेकिन आज के व्यस्त जीवन में, हम अक्सर अपनी माँ को वह समय और ध्यान नहीं दे पाते जिसकी वह हकदार हैं। 'मदर्स डे' एक सुनहरा अवसर है जब हम थोड़ा रुककर, अपनी माँ के लिए कुछ खास करें। उन्हें प्यार से गले लगाएं, उनके लिए एक छोटा सा उपहार लाएं, या बस उनके साथ बैठकर कुछ बातें करें। उन्हें यह महसूस कराएं कि वे हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं। इस बार मदर्स डे 11 मई को मनाया जाएगा। आज इस मौके पर हम आपके लिए चुनिंदा शायरों के मां पर लिखे कुछ मशहूर शेर लेकर आए हैं। इन अशआरों के माध्यम से आप मदर्स डे पर अपनी मां के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं। साथ ही इन्हें आप अपने स्टेटस पर भी शेअर कर सकते हैं।
हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी,
हम गरीब थे, ये बस हमारी माँ जानती थी…
-मुनव्वर राना
स्याही खत्म हो गयी “माँ” लिखते-लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी
- अज्ञात
भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
-अख़्तर नज़्मी
मिरे चेहरे पे ममता की फ़रावानी चमकती है
मैं बूढ़ा हो रहा हूँ फिर भी पेशानी चमकती है
मुनव्वर राना
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
अब्बास ताबिश
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा
-आलोक श्रीवास्तव
न जाने क्यों आज अपना ही घर मुझे अनजान सा लगता है,
तेरे जाने के बाद ये घर-घर नहीं खाली मकान सा लगता है
- अज्ञात
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
- निदा फ़ाज़ली
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
- आलोक श्रीवास्तव
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
- मुनव्वर राना
मुद्दतों ब'अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों ब'अद हमें नींद सुहानी आई
- इक़बाल अशहर
बाप ज़ीना है जो ले जाता है ऊँचाई तक
माँ दुआ है जो सदा साया-फ़िगन रहती है
- सरफ़राज़ नवाज़
हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह
- अज्ञात
मैं इस से क़ीमती शय कोई खो नहीं सकता
'अदील' माँ की जगह कोई हो नहीं सकता
- अदील ज़ैदी
कहो क्या मेहरबाँ ना-मेहरबाँ तक़दीर होती है
कहा माँ की दुआओं में बड़ी तासीर होती है
- अंजुम ख़लीक़
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
- मुनव्वर राना
ऐ अंधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
- मुनव्वर राना
लबों पे उस के कभी बद-दु'आ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझ से ख़फ़ा नहीं होती
- मुनव्वर राना
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
- मुनव्वर राना
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
- मुनव्वर राना
हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ हम अपने साथ बस तेरी दु'आ ले जाएँगे
- मुनव्वर राना
'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
-मुनव्वर राना
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
- मुनव्वर राना
दु'आएँ माँ की पहुँचाने को मीलों-मील जाती हैं
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है
- मुनव्वर राना
बुज़ुर्गों का मिरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता
- मुनव्वर राना
बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है
- मुनव्वर राना