• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नायिका
  3. मातृ दिवस
  4. Happy mothers day
Written By WD

पंकज सुबीर की कविता : वसंत तुमसे अलग नहीं है

Mothers Day poem 2016
वसंत तुमसे सचमुच अलग नहीं है।
दूर कहीं कुहुक रही है कोयल,
मुझे ऐसा लग रहा है तुम आंगन में खड़ीं
अपनी मीठी आवाज में मुझे पुकार रही हो।
फाल्गुनी हवाएं मुझे छूकर जा रही हैं ठीक वैसे ही,
जैसे तुम प्यार से मुझे छूकर दूर कर देती हो, युगों की थकान। 
आम्र वृक्ष मंजरियों से लदे हैं,
तुम भी तो ऐसी ही हो ,
प्रेम और स्नेह से लदी हुई
हमेशा।
 
खेतों में फूल रही है सरसों
चटख़ पीली,
या कि तुमने फैलाई है 
अपनी हरे बूटों वाली 
पीली साड़ी 
धोकर सुखाने के लिए।
 
धरती अपनी संपूर्ण उर्वरा शक्ति 
समर्पित कर रही है,
खेतों में खड़ी फ़सलों के पोषण के लिए, 
तुम भी तो ऐसा ही करती हो। 
 
वसंत तुमसे अलग नहीं है
'मां' वसंत तुमसे सचमुच अलग नहीं है। 
ये भी पढ़ें
मदर्स डे : शर्मिली मुस्कान के साथ, मां को शुभकामनाएं