उत्तर भारत में मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल, पश्चिम भारत में लोहड़ी तो पूर्वोत्तर भारत में बिहू पर्व की धूम रहती है। झारखंड में इसी पर्व को टुसू पर्व के रूप में मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश और बिहार में यह खिचड़ी या माघी पर्व के नाम से प्रसिद्ध है। चारों ही त्योहार मकर संक्रांति के आसपास ही आते हैं। आओ जानते हैं कि क्या अंतर है इन त्योहारों में।
1. पूजा : मकर संक्रांति के दिन सूर्य और विष्णु पूजा का महत्व है जबकि पोंगल के दिन नंदी और गाय पूजा, सूर्य पूजा और लक्ष्मी पूजा का महत्व है। लोहड़ी पर्व में माता सती के साथ ही अग्नि पूजा का महत्व है। दूसरी ओर बीहू पर्व में मवेशी की पूजा, स्थानीय देवी की पूजा और तुलसी की पूजा की जाती है।
2. पकवान : मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, तिल गुडड़ के लड्डू खासतौर पर बनाए जाते हैं जबकि पोंगल पर खिचड़ी, नारियल के लड्डू, चावल का हलवा, पोंगलो पोंगल, मीठा पोंगल और वेन पोंगल बनाया जाता है। लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग बनाया जाता है जबकि बीहू में नारियल के लड्डू, तिल पीठा, घिला पीठा, मच्छी पीतिका और बेनगेना खार के अलावा विभिन्न प्रकार के पेय बनाए जाते हैं।
3. फसल और पशु : दक्षिण भारतीय पर्व पोंगल पर्व गोवर्धन पूजा, दिवाली और मकर संक्रांति का मिला-जुला रूप है। जबकि मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा के ही महत्व है। लोहड़ी अग्नि और फसल उत्सव है और बिहू फसल कटाई का उत्सव है। इस दिन मवेशियों को पूजा का प्रचलन है।
4. नववर्ष : जिस प्रकार उत्तर भारत में नववर्ष की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से होती है उसी प्रकार दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने वाले दिन पोंगल से ही नववर्ष का आरंभ माना जाता है। थाई तमिल पंचांग का पहला माह है जो पोंगल से प्रारंभ होता है। लोहड़ी ऋतु परिवर्तन का त्योहार है
5. सूर्य का उत्तरायण : चारों ही त्योहार में सूर्य पू्जा का और सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, सूर्य और विष्णु पूजा का महत्व है तो पोंगल, लोहड़ी और बिहू के दिन फसल उत्सव का महत्व है। लोहड़ी अनिवार्य रूप से अग्नि और सूर्य देव को समर्पित त्योहार है।
6. कथा : मकर संक्रांति की कथा सूर्य के उत्तरायण होने, भागिरथ के गंगा लाने और भीष्म पितामह के द्वारा शरीर त्यागने से जुड़ी है और पोंगल की कथा भगवान शिव के नंदी और फसल से जुड़ी हुई है। लोडड़ी की कथा माता सती और दुल्ला भट्टी के साथ ही फसल से जुड़ी हुई है। बिहू की कथा सूर्य के उत्तरायण होने और फसल से जुड़ी हुई है।