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Written By WD
Last Updated : मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 (16:49 IST)

भगवान महावीर का जन्मोत्सव

Mahavir Jayanti
महारानी त्रिशला का एक-एक क्षण बमु्श्किल से बीत रहा था। वे बेसब्री से शिशु-जन्म की प्रतीक्षा कर रही थीं। उनकी देखभाल के लिए देवराज इंद्र ने देव कन्याओं को नियुक्त कर रखा था। अत: उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा नहीं होती थी।
 
जैन मान्यता के अनुसार, तीर्थंकर के जन्म के समय उनकी माता को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती थी और ना ही उनके शरीर का रूपांतरण होता था।
 
अंतत: वह घड़ी आ गई। चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तद्‍नुसार सोमवार 27 मार्च, 599 वर्ष ई. पू. के दिन भगवान महावीर ने जन्म लिया। उनके जन्म के साथ ही तीनों लोकों में आनंद छा गया। देव लोक स्वयं वाद्य बजाकर मंगल ध्वनि करने लगे। इंद्र का सिंहासन डोलने लगा। वे समझ गए कि चौबीसवें तीर्थंकर महावीर ने जन्म ले लिया है।
 
वे अपनी पत्नी शचि के साथ महावीर का जन्म कल्याणक मनाने आए। क्षीरसागर के अमृत जल से महावीर का जलाभिषेक किया गया। कुंडलपुर में दो सप्ताह तक उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर महावीर का जन्मोत्सव मनाया गया।
 
तदंतर ज्योतिषियों ने उनकी जन्मकुंडली बनाई और घोषित किया कि यह बालक या तो चक्रवर्ती राजा बनेगा या जगतगुरु।