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महावीर जयंती की शुभकामनाएं : 'जियो और जीने दो' का महान संदेश देने वाले 24वें तीर्थंकर की जयंती
गुरुवार,अप्रैल 14, 2022
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14 अप्रैल को भगवान महावीर स्वामी की जयंती (Mahveer Jayanti 2022) है। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर हैं। भगवान महावीर ने जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत/ मंत्रों पर अधिक जोर दिया, वे सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य हैं।
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महावीर मुक्तिपथ पर दृढ़ कदमों से बढ़े जा रहे थे। तभी पीछे से उन्हें एक करुण पुकार सुनाई दी। उनके कदम ठिठक गए। पीछे मुड़कर देखा तो एक दुर्बल ब्राह्मण लाठी के सहारे गिरता-पड़ता दौड़ा आ रहा था।
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आज भी पूरी दुनिया के लिए भगवान महावीर स्वामी के उपदेश बहुत जरूरी है। अहिंसा का मार्ग अपना कर दुनिया को बचाया जा सकता है।
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जब महारानी त्रिशला भी नगर में हो रही अद्भुत रत्नवर्षा के बारे में सोच रही थीं। यह सोचते-सोचते वे ही गहरी नींद में सो गई। उसी रात्रि को अंतिम प्रहर में महारानी ने आषाढ़ शुक्ल षष्ठी के दिन सोलह शुभ मंगलकारी स्वप्न देखे।
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Lord Mahavira जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती पर पढ़ें 3 खास आरतियां....aarti of mahaveer bhagwan
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वर्ष 2022 में गुरुवार, 14 अप्रैल को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती (Mahavir jayanti 2022) मनाई जा रही है। इसे महावीर जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है।
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महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हैं। महावीर जयंती के दिन महावीर चालीसा (Mahavira Chalisa) का पाठ करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। यहां पढ़ें सम्पूर्ण पाठ-
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प्राचीन जैन ग्रंथ 'उत्तर पुराण' में तीर्थंकरों का वर्णन मिलता है। इस ग्रंथ के अनुसार वैशाली के राजा चेटक के दस पुत्र और सात पुत्रियां थीं।
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शाकाहार 'अहिंसा' का प्रतिनिधित्व करता है: अ- अर्थात= मना, हिंसा अर्थात= किसी को मारना, चोट पहुंचाना। यह हिंसा मानसिक, शारीरिक, शाब्दिक या मौन द्वारा भी की जा सकती है। महावीर की बाकी बातें भूलकर मात्र अहिंसा पर ही बात करते हैं, जो जुड़ी है उनके मुख्य ...
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सबके मंगल के साथ हमारा अमंगल न हो, यही धर्म है। इसीलिए कहते हैं कि धर्म मंगल है। कौन-सा धर्म? जो न दूसरों पर और न ही स्वयं पर हिंसा होने दे, वही अहिंसक धर्म ही मंगल है।
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रविवार, 25 अप्रैल को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती है। महावीर जयंती पर जैन मंदिरों को झंडे से सजाया जाता हैं। इस दिन महावीर स्वामी की मूर्तियों का मंत्रोच्चार द्वारा
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चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को जैन समाज द्वारा पूरे भारत में भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप मे 'महावीर जयंती' मनाई जाती है।
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दिगंबर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र श्री भगवान महावीर स्वामी का भव्य विशाल राजस्थान में 'श्री महावीर जी' नाम से प्रसिद्ध है।
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वर्द्धमान, सन्मति, वीर, अतिवीर और महावीर ये जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के नाम हैं। उनके पिता सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला (प्रियकारिणी) था। जानिए 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का संक्षिप्त परिचय
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24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का चिह्न सिंह (वनराज) है। सिंह अपने बल पर जंगल का राजा होता है, अपने क्षेत्र में निर्भय होकर विचरण करता है। वह पराक्रम और शौर्य का प्रतीक है।
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जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर। शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
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यहां पढ़ें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की 3 खास आरतियां।
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अहिंसा के पालनकर्ता कौन? सामान्य-सा जवाब होगा महावीर को मानने वाले जैन मतावलंबी, गांधी के अनुयायी। लेकिन क्या वास्तव में मात्र जैन कुल में जन्म लेने वाला
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जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के संस्थापक नहीं प्रतिपादक थे। उन्होंने श्रमण संघ की परंपरा को एक व्यवस्थित रूप दिया। उन्होंने 'कैवल्य ज्ञान' की जिस ऊंचाई को छुआ था वह अतुलनीय है। उनके उपदेश हमारे जीवन में किसी भी तरह के ...
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