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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 9 अप्रैल 2025 (14:28 IST)

महावीर जयंती 2025 पर निबंध: महावीर स्वामी के जीवन और शिक्षाओं से सीखें अहिंसा का पाठ

essay on mahavir jayanti in hindi
Essay on mahavir jayanti in hindi: भारत की महान धार्मिक परंपराओं में से एक जैन धर्म अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह का संदेश देता है। इस धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म दिवस को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। महावीर स्वामी ने अपने पूरे जीवन में शांति, करुणा और अहिंसा के सिद्धांतों का प्रचार किया। उनका जीवन न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणादायक है।
 
महावीर जयंती 2025 का पर्व 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन जैन समुदाय के लोग मंदिरों में जाकर भगवान महावीर के जीवन, शिक्षाओं और आदर्शों को याद करते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि मानवता, नैतिकता और आध्यात्मिक शुद्धि का संदेश देने वाला दिन भी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि महावीर जयंती क्यों मनाई जाती है, इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व क्या है, और इस दिन को कैसे मनाया जाता है।
 
भगवान महावीर का जीवन परिचय
भगवान महावीर का असली नाम वर्धमान था। वे राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र थे। बचपन से ही वे एक गंभीर और करुणामय स्वभाव के थे। उन्हें सांसारिक सुखों में कोई रुचि नहीं थी। 30 वर्ष की उम्र में, महावीर स्वामी ने राजसी जीवन का त्याग कर संन्यास धारण किया और आत्मज्ञान की खोज में जंगलों में चले गए। उन्होंने कठोर तपस्या की और 12 वर्षों के कठोर ध्यान और साधना के बाद कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद वे महावीर स्वामी के नाम से प्रसिद्ध हुए और पूरी दुनिया को अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (संपत्ति न रखना) का संदेश दिया।
 
महावीर जयंती का महत्व
महावीर जयंती का महत्व केवल जैन धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया को शांति, सह-अस्तित्व और अहिंसा का संदेश देती है। भगवान महावीर का मुख्य संदेश था कि "अहिंसा परमो धर्मः" यानी अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं। विशेष रूप से आज के समय में, जब दुनिया में हिंसा और अशांति बढ़ रही है, महावीर स्वामी के सिद्धांत और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
 
महावीर स्वामी के 5 प्रमुख सिद्धांत
महावीर स्वामी ने अपने अनुयायियों को 5 प्रमुख सिद्धांतों का पालन करने की सीख दी थी, जो इस प्रकार हैं:
 
1. अहिंसा (Non-violence): किसी भी जीव को किसी भी प्रकार से हानि न पहुंचना ही अहिंसा है। भगवान महावीर ने सिर्फ शारीरिक हिंसा ही नहीं, बल्कि वाणी और विचारों की हिंसा से भी बचने की सीख दी। हर जीव के प्रति करुणा और दयाभाव रखना सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।
 
2. सत्य (Truth): हमेशा सच बोलना और किसी भी परिस्थिति में झूठ से बचना। सत्य का पालन करने से आत्मा शुद्ध होती है और समाज में नैतिकता बनी रहती है। आज के समय में जब लोग छल-कपट का सहारा लेते हैं, सत्य का महत्व और भी बढ़ जाता है।
 
3. अस्तेय (चोरी न करना) (Non-stealing): बिना अनुमति किसी भी चीज़ को लेना चोरी माना जाता है। भगवान महावीर ने सिखाया कि हमें केवल उतना ही लेना चाहिए जितना हमारी आवश्यकता हो। अनैतिक तरीकों से संपत्ति अर्जित करना आत्मा को कलुषित करता है।
 
4. ब्रह्मचर्य (Celibacy): इंद्रियों पर संयम रखना और अनैतिक इच्छाओं से दूर रहना। आत्मसंयम ही आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है। मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखना चाहिए।
 
5. अपरिग्रह (Non-possessiveness): धन और वस्तुओं के प्रति मोह न रखना। ज्यादा संपत्ति और भौतिक चीजों का संग्रह मनुष्य को लालची बना देता है। संतोष ही सबसे बड़ी संपत्ति है।
 
महावीर जयंती का पर्व कैसे मनाया जाता है?
महावीर जयंती पर जैन समुदाय के लोग भगवान महावीर की प्रतिमा का अभिषेक (जल और दूध से स्नान) करते हैं। इस दिन जैन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचन होते हैं। कुछ स्थानों पर महावीर स्वामी की शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें श्रद्धालु भगवान के उपदेशों का प्रचार करते हैं। इस दिन जैन अनुयायी दान-पुण्य और सेवा कार्यों में भी भाग लेते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान की जाती हैं। जैन धर्म में इस दिन अहिंसा का विशेष पालन किया जाता है, इसलिए कई लोग इस दिन शाकाहार अपनाने का संकल्प लेते हैं।
 
महावीर स्वामी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक क्यों हैं?
भगवान महावीर द्वारा दिया गया अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह का संदेश आज के समय में भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हजारों साल पहले था। वर्तमान समय में जब दुनिया में हिंसा, लोभ और असहिष्णुता बढ़ रही है, महावीर स्वामी का संदेश हमें शांति और सद्भाव की ओर ले जाता है।
 
उन्होंने हमें सिखाया कि हर जीव का सम्मान करना चाहिए, बिना भेदभाव के सभी के साथ समानता और प्रेम का व्यवहार करना चाहिए। अगर हम उनके सिद्धांतों को अपनाएं, तो दुनिया अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध बन सकती है। 


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