महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए बैठकों का दौर, उद्धव ने की सोनिया गांधी से बातचीत
मुंबई। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के ठीक अगले दिन बाद बुधवार को नई सरकार के गठन को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)-शिवसेना और कांग्रेस के बीच विभिन्न स्तरों पर कई बैठकों और चर्चाओं का दौर जारी रहा।
शिवसेना के एक नेता के मुताबिक सरकार के गठन को लेकर तीनों संभावित सहयोगियों के बीच मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल के विभागों के वितरण तथा सभी के लिए स्वीकार्य एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) जैसे मुद्दों पर टिका है। तीनों दलों की अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद अगले 5 वर्षों के लिए स्थिर और टिकाऊ सरकार देने के मसले पर इनके बीच बातचीत जारी है।
इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर 2 दिनों में दूसरी बार बातचीत की और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से भी मुलाकात की। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को अपने शीर्ष नेताओं और विधायकों के साथ बैठक की, जहां उन्होंने नवनिर्वाचित विधायकों की आशंकाओं को दूर किया।
पवार ने विश्वास दिलाया कि राष्ट्रपति शासन सरकार के गठन के प्रयासों में बाधा नहीं बनेगा, राज्य में मध्यावधि चुनाव नहीं होंगे और जल्द ही एक नई सरकार बनेगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को दोपहर के बाद ठाकरे से मुलाकात की। ठाकरे ने बाद में मीडियाकर्मियों से बातचीत में विस्तृत ब्योरा देने में असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस-राकांपा के साथ चर्चा सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
बुधवार शाम को कांग्रेस नेता फिर से पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के घर पर जमा हुए। इसी तरह राकांपा नेता पवार के घर पर बुधवार रात को दोनों दलों की निर्धारित बैठक की तैयारी के लिए एकत्र हुए।
एक प्रश्न का जवाब देते हुए चव्हाण ने स्पष्ट रूप से इंकार किया कि संभावित मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे के नाम पर किसी प्रकार का कोई मतभेद है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के पद को साझा करने के मुद्दे पर भाजपा के साथ शिवसेना का 30 वर्षों का लंबा गठबंधन टूट चुका है। इसी कारण सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा (105) ने सरकार बनाने का दावा पेश करने से इंकार कर दिया। अब शिवसेना (56), कांग्रेस (44) और राकांपा (54) के साथ सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है।
कांग्रेस-राकांपा भी इसीलिए शिवसेना से बातचीत में सीएमपी बनाने पर जोर दे रही है ताकि किसी प्रकार के विवाद से बचा जा सके। कांग्रेस-राकांपा ने शिवसेना से बातचीत के लिए सीएमपी बनाने के वास्ते 5 सदस्यीय अलग-अलग समितियों का गठन किया है। सीएमपी में तीनों दलों के चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल प्रमुख मुद्दों को रखा जाएगा।
राकांपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नई सरकार के 5 साल के कार्यकाल के दौरान तीनों संभावित सहयोगियों के बीच शक्ति का उचित संतुलन सुनिश्चित करने और किसी भी तरह के संकट को रोकने के लिए विस्तृत प्रयास एवं अभ्यास जारी है।