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  4. 8 stories of Lord Parshuram from Ramayana to Mahabharata
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 23 अप्रैल 2025 (17:00 IST)

रामायण से लेकर महाभारत तक के भगवान परशुरामजी के 8 किस्से

Ramayana
Story of Lord Parshuram: परशुराम को चिरंजीवी माना गया है। वे आठ चिरंजीवियों में से एक हैं। वे रामायण काल में भी थे और महाभारत काल में भी थे। उन्होंने हजारों लोगों की शिक्षा और दीक्षा दी थी। हर काल में वे अलग अलग जगह पाए जाते हैं। अक्षय तृतीया पर उनका जन्म हुआ था। इस बार 30 अप्रैल 2025 को उनकी जयंती रहेगी। आओ जानते हैं उनके जीवन के 8 प्रमुख किस्से।
 
1. शिव और परशुराम: परशुराम को शास्त्रों की शिक्षा दादा ऋचीक, पिता जमदग्नि तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने पिता के मामा राजर्षि विश्वमित्र और भगवान शंकर से प्राप्त हुई। उन्हें भगवान शिव ने फरसा नामक शस्त्र प्रदान दिया था। पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने परशुरामजी को अधर्म को नष्‍ट करने के लिए एक दिव्य फरसा, भार्गवस्त्र प्रदान किया था। इसी फरसे से उन्होंने 36 बार हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का वध किया था। कहते हैं कि उन्होंने 21 अभियानों में हैहयवंशी 64 राजवंशों का नाश किया था।
 
2. परशुराम और गणेशजी: सतयुग में जब एक बार गणेशजी ने परशुराम को शिव दर्शन से रोक लिया तो, रुष्ट परशुराम ने उन पर परशु प्रहार कर दिया, जिससे गणेश का एक दांत नष्ट हो गया और वे एकदंत कहलाए।
 
3. परशुराम और हनुमान: एक बार अपनी शरण में आए एक निर्दोष क्षत्रिय को बचाने के लिए हनुमानजी ने परशुरामजी से भयंकर युद्ध किया था। तभी हनुमानजी ने परशुराम जी के सिर पर गदा से वार दिया और परशुरामजी बेहोश हो गए। यह देखकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने इस युद्ध को रोकने का कहा।
4. परशुराम और सहस्त्रबाहु: परशुराम राम के समय में हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार था। भार्गव और हैहयवंशियों की पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी। हैहयवंशियों का राजा सहस्रबाहु अर्जुन भार्गव आश्रमों के ऋषियों को सताया करता था। एक समय सहस्रबाहु के पुत्रों ने जमदग्नि के आश्रम की कामधेनु गाय को लेने तथा परशुराम से बदला लेने की भावना से परशुराम के पिता का वध कर दिया। परशुराम की मां रेणुका पति की हत्या से विचलित होकर उनकी चिताग्नि में प्रविष्ट हो सती हो गई। इस घोर घटना ने परशुराम को क्रोधित कर दिया और उन्होंने संकल्प लिया- मैं हैहय वंश के सभी क्षत्रियों का नाश कर दूंगा। इसी कसम के तहत उन्होंने इस वंश के लोगों से 21 बार युद्ध कर उनका समूल नाश कर दिया था। हैहयवंश का प्रमुख राजा सहस्त्रबाहु था इसका परशुराम ने किया था।
 
5. परशुराम और श्रीराम: जब प्रभु श्रीराम ने शिवजी का धनुष तोड़ दिया था तब परशुराम जी क्रोधित होकर वहां आ धमके थे। परंतु उन्होंने श्रीराम में विष्णुजी के दर्शन किए और उस समय विश्वामित्र ने भी उन्हें बताया था कि आपके अवतार रहने का समय समाप्त हो चुका है और अब विष्णुजी स्वयं प्रभु श्रीराम के रूप में हैं। तब परशुराम जी ने रामजी को कोदंड नाम का धनुष दिया।
 
6. परशुराम और भीष्म: सत्यवती के गर्भ से महाराज शांतनु को चित्रांगद और विचित्रवीर्य नाम के 2 पुत्र हुए। शांतनु की मृत्यु के बाद चित्रांगद भी एक युद्ध में मारा गया तब भीष्म बालक विचित्रवीर्य को सिंहासन पर बैठाकर खुद राजकार्य देखने लगे। विचित्रवीर्य के युवा होने पर भीष्म ने बलपूर्वक काशीराज की 3 पुत्रियों का हरण कर लिया। लेकिन उसमें से एक बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया गया, क्योंकि वह शाल्वराज को चाहती थी। अन्य दोनों (अम्बालिका और अम्बिका) का विवाह विचित्रवीर्य के साथ कर दिया गया। अम्बा को जब शाल्वराज ने नहीं अपनाया तो उसने परशुराम से शिकायत की। परशुराम ने भीष्म से युद्ध किया लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला और अंत में अम्बा ने आत्महत्या कर ली। बाद में अम्बा शिखंडी के रूप में जन्मी और उसने भीष्म से बदला लिया।
 
7. कर्ण और परशुराम: उस काल में द्रोणाचार्य, परशुराम और वेदव्यास को ही ब्रह्मास्त्र चलाना और किसी के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किए जाने पर उसे असफल कर देना याद था। जब द्रोणाचार्य ने कर्ण को ब्रह्मास्त्र विद्या सिखाने से इंकार कर दिया, तब वे परशुराम के पास पहुंच गए। परशुराम ने प्रण लिया था कि वे इस विद्या को किसी ब्राह्मण को ही सिखाएंगे, क्योंकि इस विद्या के दुरुपयोग का खतरा बढ़ गया था। कर्ण यह सीखना चाहता था तो उसने परशुराम के पास पहुंचकर खुद को ब्राह्मण का पुत्र बताया और उनसे यह विद्या सीख ली। बाद में इस छल का परशुरामजी को पता चला तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जब तुझे इस विद्या की सबसे ज्यादा जरूरत होगी तब तू इसे भूल जाएगा। 
 
8. परशुराम और श्रीकृष्ण: महाभारत के काल में परशुरामजी दक्षिण भारत में गोमांतक पर्वत के आगे कहीं आश्रम में रहती थे। जरासंध के आक्रमण के चलते एक बार श्रीकृष्‍ण दक्षिण में चले गए। उस काल में दक्षिण में यादवों के 4 राज्य थे। आदिपुरुष, पद्मावत, क्रौंचपुर और चौथा राज्य यदु पुत्र हरित ने पश्‍चिमी सागर तट पर बसाया था। पद्मावत राज्य में वेण्या नदी के तट पर भगवान परशुराम निवास करते थे। श्रीकृष्‍ण ने उनसे वहीं उनके आश्रम में मुलाकात की तो परशुराम ने उन्हें सुदर्शन चक्र भेंट करके कहा कि यह तुम्हारा ही अस्त्र है।