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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 5 मई 2022 (13:54 IST)

मध्यप्रदेश में हवा में उगाई जा सकेगी आलू की फसल,ग्वालियर में लगेगी पहली यूनिट

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला और मध्यप्रदेश सरकार के बीच समझौता

मध्यप्रदेश में हवा में उगाई जा सकेगी आलू की फसल,ग्वालियर में लगेगी पहली यूनिट - Potato crop can be grown in the air in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में अब आलू की फसल हवा में भी उगाई जा सकेगी। यह मुमकिन होगा ग्वालियर में बनने वाली देश की पहली ऐरोपॉनिक लैब से। ऐरोपॉनिक एक ऐसी पद्धति है जिसका उपयोग करने वाले किसानों को आलू की फसल के लिए जमीन-मिट्टी की जरूरत नहीं होगी। ऐरोपॉनिक पद्धति से ग्वालियर में पहली लैब बनाने के लिए
दिल्ली में मध्यप्रदेश सरकार और केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान,शिमला के बीच एक अनुबंध पर समझौता हुआ है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मध्यप्रदेश के उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह की मौजूदगी में हुए समझौते के मुताबिक ग्वालियर में मध्यप्रदेश की पहली लैब स्थापित होगी। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने हवा में आलू के बीज उत्पादन की यह अनूठी तकनीक विकसित की है।
 
उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह कहते है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए संकल्पित है और उद्यानिकी विभाग किसानों को उच्च तकनीक से कृषि करने का प्रशिक्षण देकर उच्च क्वालिटी के बीज उपलब्ध करा रहा है। वह बताते हैं कि एरोपॉनिक तकनीक से ग्वालियर में बनने वाली पहली लैब आलू बीज की जरूरत को काफी हद तक पूरा करने के साथ उत्पादन में भी वृद्धि करेगी। वह कहते हैं कि प्रदेश के आलू की क्वालिटी अच्छी होने के चलते इसकी मांग विदेशों में बढ़ी है। 

दरअसल मध्यप्रदेश देश में छठा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। मालवा क्षेत्र आलू उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, देवास शाजापुर के साथ भोपाल तथा प्रदेश के अन्य छोटे क्षेत्र छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, राजगढ़, सागर, दमोह, जबलपुर पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, रतलाम एवं बैतूल में भी किसान बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं। एरोपोनिक पद्धति से प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों की काफी मदद मिलेगी।
 
क्या है एरोपॉनिक पद्धति?-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला ने हवा में आलू के बीज उत्पादन की यह अनूठी तकनीक विकसित की है। इसके तहत पॉली हाउस में खेती की जाती है। इसमें आलू के पौधे ऊपर की तरफ होते है और उनकी जड़े नीचे अंधेरे में टंगी रहती है। नीचे की तरफ पानी के फव्वारे लगे होते है जिससे पानी पौधों को दिया जाता है। इसमें पौधे को नीचे से पोषक तत्व दिया जाता है और उपर से धूप जिससे पौधे का विकास होता है। 
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