भोपाल। मध्यप्रदेश में महापौर के टिकट को लेकर भाजपा में उम्मीदवारों का इंतजार लंबा खींचता जा रहा है। नामाकंन भरने के तीन दिन बीत चुके है लेकिन पार्टी अब तक अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं कर पाई है। महापौर टिकट को लेकर पार्टी के नेता बीते तीन दिनों में घंटों माथापच्ची कर चुके है लेकिन पार्टी 16 नगर निगमों से अब तक एक भी सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं कर पाई है।
दिल्ली से होगा टिकट पर फैसला?-महापौर चुनाव में टिकट का एलान भाजपा के गले ही हड्डी बन गया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भोपाल में बीते तीन दिनों में मैराथन बैठकों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उम्मीदवारों की सूची लेकर दिल्ली रवाना हो गए है जहां पर वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर अंतिम मंजूरी लेंगे।
दिल्ली रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और संगठन मंत्री हितानंद के साथ बंद कमरे में लंबी चर्चा की।
क्यों लेनी पड़ी दिल्ली की शरण?- लोकल चुनाव माने जाने वाले महापौर चुनाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली की शरण में जाने का बड़ा कारण उम्मीदवारों के नामों को लेकर भाजपा दिग्गज नेताओं को एकमत नहीं होना और पार्टी की परिवारवाद और एक व्यक्ति,एक पद का फॉर्मूला है।
पिछले दिनों भोपाल आए पार्टी के राष्ट्रीय जेपी नड्डा साफ कर चुके है कि पार्टी निकाय चुनाव में परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देगी। इसके साथ ही भाजपा में एक व्यक्ति-एक पद के फॉर्मूले के तहत महापौर पद के लिए विधायक दावेदारी से बाहर हो गए है।
ऐसे में जब इंदौर से कांग्रेस ने अपने विधायक संजय शुक्ला को महापौर पद के लिए मैदान में उतार दिया है तब पार्टी संगठन रमेश मेंदोला को मैदान में उतरना चाह रहा है। इसी तरह से भोपाल में महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल के चुनावी मैदान में आने के बाद भाजपा के पास महापौर के लिए बड़ा चेहरा गोविंदपुरा से भाजपा विधायक कृष्णा गौर है।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी महापौर पद के लिए एक व्यक्ति- एक पद के फॉर्मूलों में ढील देने के लिए पार्टी हाईकमान से चर्चा के लिए दिल्ली गए है। अगर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सहमित देता है तो पार्टी इंदौर से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला और भोपाल से कृष्णा गौर को मैदान में उतार सकती है।
भाजपा दिग्गजों के बीच दूरियां!-वहीं महापौर चुनाव ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच की दूरियों और पार्टी के अंदर धड़े की राजनीति को भी सबके सामने ला दिया है। महापौर चुनाव ने ग्वालियर-चंबल में भाजपा के दिग्गज नेताओं को आमने-सामने ला दिया है। इसका नजारा शनिवार को भाजपा दफ्तर में उस वक्त दिखाई दिया जब महापौर के उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर भाजपा चुनाव समिति की बैठक में पहली बार दिग्गज नेता साथ बैठे।शाम 6.30 बजे शुरु हुई बैठक रात 11 बजे तक चली लेकिन पार्टी उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर सकी।
चुनाव समिति की बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पहुंचते ही नरेंद्र सिंह तोमर का बैठक से निकल जाना भी सियासी गलियारों में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके साथ महापौर उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए पार्टी की बैठकों से दिग्गज नेताओं की दूरियां भी खासी चर्चा के केंद्र में है।
टिकटों के एलान से पहले भितरघात का डर-दरअसल नगरीय निकाय चुनाव में एक अदद प्रत्याशी चयन में भाजपा दिग्गजों को पसीना छूट गया है। महापौर उम्मीदवारों के लिए दावेदारों की संख्या और टिकट बंटवारों के बाद होने वाले भितरघात के डर ने भाजपा दिग्गजों के पसापेश में डाल दिया है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर औ जबलपुर प्रदेश के चार बड़े नगर निगम है और इन चारों निगमों में भाजपा के उम्मीदवारों के एलान से पहले पार्टी को भितरघात का डर सताने लगा है।
भोपाल से महापौर उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल भाजपा विधायक कृष्णा गौर को टिकट देने की मांग को लेकर उनके समर्थको ने रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यलाय के बाहर नारेबाजी की। ऐसे में अगर भोपाल से कृष्णा गौर को टिकट नहीं दिया जाता है तो पार्टी को भितरघात का खतरा मंडराने लगा है।
इसी तरह सतना नगर निगम से भाजपा के संभावित नाम योगेश ताम्रकार को लेकर पार्टी में आतंरिक कलह सामने आ गई है। सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह के भाई उमेश सिंह ने बसपा से महापौर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। सतना से योगेश ताम्रकार का नाम सामने आते ही भाजपा सांसद के भाई ने सोशल मीडिया के जरिए बगावती तेवर दिखाते हुए लिखा कि "मेरी व्यक्तिगत राजनीति को परिवारवाद की राजनीति मान कर भारतीय जनता पार्टी करती है, उपेक्षा और अनदेखी इसलिए बहुजन समाज पार्टी से लड़ूंगा चुनाव।"