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Last Modified: मंगलवार, 3 जून 2025 (18:31 IST)

पचमढ़ी अभयारण्य अब राजा भभूत सिंह पचमढ़ी अभयारण्य के नाम से जाना जाएगा

उज्जैन में हेल्थ एण्ड वेलनेस समिट का आयोजन 5 जून को

Pachmarhi Sanctuary will be known as Raja Bhabhut Singh Pachmarhi Sanctuary
पचमढ़ी अभयारण्य को राजा भभूत सिंह पचमढ़ी अभयारण्य के नाम से जाना जाएगा। आज पचमढ़ी मेंं हुई मोहन कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह निर्णय राजा भभूत सिंह के पर्यावरण प्रेम और पचमढ़ी को विदेशी ताकतों से संरक्षित रखने के आजीवन अथक प्रयासों को समर्पित है। अभयारण्य में राजा भभूत सिंह के जीवन, संघर्ष, वीरता और योगदान से संबंधित जानकारी को प्रदर्शित किया जाएगा। यह कदम न केवल स्थानीय गौरव को बढ़ावा देगा बल्कि अभयारण्य की पहचान को भी मजबूत करेगा। यह क्षेत्र के ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व का प्रतीक बनेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राजा भभूत सिंह का आदिवासी समाज पर बहुत अधिक प्रभाव रहा है। उनकी वीरता के किस्से आज भी लोकमानस की चेतना में जीवंत हैं। राजा भभूत सिंह के योगदान को स्मरण करने के लिए कैबिनेट की बैठक पचमढ़ी में आयोजित की गई है। यह राजा भभूत सिंह के योगदान को समाज के सामने लाने का एक प्रयास है।

राजा भभूत सिंह का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि राजा भभूत सिंह सन् 1857 में आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे के मुख्य सहयोगी थे। अपनी छापामार युद्ध नीति के कारण ही भभूत सिंह नर्मदांचल के शिवाजी कहलाते हैं। राजा भभूत सिंह को पकड़ने के लिए ही मद्रास इन्फेंट्री को बुलाना पड़ा था। राजा भभूत सिंह अपनी सेना के साथ 1860 तक लगातार अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष करते रहे, अंग्रेज पराजित होते रहे। अंग्रेज दो साल के बाद राजा भभूत सिंह को गिरफ्तार कर पाए और अंग्रेजो ने 1860 में उन्हें फांसी दे दी।

राजा भभूतसिंह की वीरता और बलिदान को कोरकू समाज ने लोकगीतों और भजनों के माध्यम से जीवित रखा है। पचमढ़ी क्षेत्र के गाँवों, मंदिरों और लोक संस्कृति में आज भी उनकी गाथाएँ सुनाई जाती हैं। राजा भभूतसिंह न केवल एक योद्धा थे, बल्कि वे जनजातीय चेतना और आत्मसम्मान के प्रतीक बन चुके हैं। राजा भभूतसिंह की वीरगाथा, अंग्रेज अधिकारी एलियट की 1865 की सेटलमेंट रिपोर्ट में भी दर्ज है। राजा भभूतसिंह एक ऐसा नाम हैं, जो केवल कोरकू समाज का नहीं, पूरे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का गौरव है। उनका जीवन आदिवासी अस्मिता, देशभक्ति, और आध्यात्मिक शक्ति का जीवंत उदाहरण है। राजा भभूत सिंह का जीवन अनुकरणीय है, उनके बलिदान और शौर्य की गाथा को राष्ट्रीय पटल पर लाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस माह जून में अनुसूचित जनजाति आधारित तीन सम्मेलन आयोजित किए जायेगे। डिण्डौरी के बजाग में 7 जून को बैगा सम्मेलन, बिरसा मुण्डा जन्म दिवस पर शहडोल के ब्यौहारी में 9 जून को कोल सम्मेलन और 18 जून को शिवपुरी के कोलारस में सहारिया सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन-कल्याणकारी कार्यकाल के 11 वर्ष पूर्ण होने पर पूरे प्रदेश में 9 जून से 21 जून तक कार्यक्रम आयोजित किए जायेगे। इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न श्री अटल बिहारी वायपेयी का जन्म शताब्दी वर्ष भी मनाया जाएगा। श्री वायपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा है।

मुख्यमंत्री को दी बधाई और व्यक्त किया आभार
लोकमाता अहिल्याबाई की 300वीं जन्मशती पर 31 मई को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में 2 लाख महिलाओं के जम्बूरी मैदान, भोपाल में आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव को मंत्रि-परिषद के सभी सदस्यों ने बधाई दी। मंत्रि-परिषद की महिला सदस्यों ने पुष्प गुच्छ भेंट कर प्रदेश की सभी महिलाओं की तरफ से मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार भी व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रि-परिषद को बताया कि खण्डवा जिले ने जल संचय करने में कीर्तिमान रचा है। देश में मध्यप्रदेश का मान बढ़ाया है। "जल संचय-जन भागीदारी अभियान” अंतर्गत 1 अप्रैल 2024 से 31 मई 2025 की अवधि में जल संचयन के आधार पर खंडवा जिला देशभर में पहले नंबर पर है। राज्यों की श्रेणी में पूरे देश में मध्यप्रदेश ने चौथा स्थान प्राप्त किया है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में जल गंगा संवर्द्धन अभियान 30 अप्रैल से 30 जून तक चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवधि में मंत्रि-परिषद के सभी सदस्यों का अपने अपने क्षेत्र में जन भागीदारी के माध्यम से जल संरक्षण और संचयन के कार्यक्रमों में भागीदारी करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी जन प्रतिनिधियों को जल संरक्षण और संचयन के प्रति आमजन को जागरूक करना चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 5 जून को उज्जैन में हेल्थ एण्ड वेलनेस समिट का आयोजन किया जा रहा है। समिट में योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, अध्यात्म और मानसिक स्वास्थ्य जैसे आयामों को केन्द्र में रखकर निवेश और सहयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। समिट में प्रमुख आध्यात्मिक संत, आयुष विशेषज्ञ, नीति निर्माता, वेलनेस टूरिज्म ऑपरेटर और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भाग लेंगें। इस समिट का उद्देश्य मध्यप्रदेश को वैश्विक वेलनेस हब के रूप में स्थापित करना तथा उज्जैन को वेलनेस सेक्टर की प्रमुख केंद्रस्थली के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाना है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिर्फ नर्मदा जल पर जीवन यापन करने वाले आध्यात्मिक संत दादा गुरु का स्मरण कर नमन किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक वंदे मातरम के गान के साथ प्रारंभ हुई। बैठक के दौरान मंत्रि-परिषद के सदस्यों को सतपुड़ा अंचल के गौरवशाली अतीत, सभ्यता, समृद्ध संस्कृति और राजा भभूत सिंह पर केंद्रित फिल्म दिखाई गई। 

 
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