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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 4 जुलाई 2020 (13:13 IST)

MP Board 10th Result 2020 : एमपी बोर्ड के 10वीं के नतीजों में 15 स्टूडेंट्स को 100 फीसदी अंक, मेरिट में टॉप पर, 62.84 फीसदी रहा रिजल्ट

रिजल्ट के बाद बच्चों के डिप्रेशन और तनाव से दूर करने के लिए काउंसलर के टिप्स

MP Board 10th Result 2020 : एमपी बोर्ड के 10वीं के नतीजों में 15 स्टूडेंट्स को 100 फीसदी   अंक, मेरिट में टॉप पर, 62.84 फीसदी रहा रिजल्ट - MP Board 10th Result 2020
भोपाल। मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं बोर्ड के नतीजों का ऐलान हो गया है। इस बार 10वीं बोर्ड का रिजल्ट 62.84 फीसदी रहा रिजल्ट। इस बार हाईस्कूल की परीक्षा में पहले स्थान पर 15 छात्र हैं। बोर्ड की ओर से जारी मेरिट लिस्ट में भिंड के अनुभव शर्मा, गुना के लक्ष्यदीप धाकड़ के साथ 15 छात्रों के नाम शामिल हैं। कोरोना के चलते इस बार बोर्ड के नतीजों का ऐलान ऑनलाइन किया गया है और इसको लेकर कोई कार्यक्रम नहीं किया गया।

 





हाईस्कूल का रिजल्ट इस बार 62.84 फीसदी रहा। रिजल्ट में छात्राओं ने फिर बाजी मारी व उनका परसेंट 65.87 फीसदी रहा, वहीं रिजल्ट में 60.09 फीसदी छात्र पास हुए हैं। बोर्ड की ओर से जारी मेरिट लिस्ट में इस बार 360 छात्रों में पहले 10 स्थान पर रहे हैं।
 
स्टूडेंट अपना रिजल्ट www.mpresults.nic.in, www.mpbse.mponline.gov.in, www.mpbse.nic.in, https://www.fastresult.in पर देखे सकते हैं। इसके साथ ही परीक्षा परिणाम मोबाइल ऐप पर भी देखे जा सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर पर एमपीबीएसई मोबाइल ऐप एम.पी. मोबाइल एवं फास्ट रिजल्ट ऐप पर एवं विंडो ऐप स्टोर पर एम.पी. मोबाइल ऐप पर परीक्षा परिणाम देखे जा सकते हैं।
 
एक्सपर्ट की पैरेंट्स को सलाह- हाईस्कूल के रिजल्ट का स्टूडेंट्स को बेसब्री से इंतजार होता है। मनोचिकित्सक और काउंसलर डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि हाईस्कूल बोर्ड सामान्य तौर पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है। इसकी वजह से पहली बार बच्चा अपने रिजल्ट को एक मनोवैज्ञानिक दबाव अपने आप पर महसूस करने लगता है। ऐसे में जब आज कोरोना काल में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पहले से बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है है, एमपी बोर्ड के रिजल्ट को लेकर माता-पिता को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
 
सामान्य तौर पर रिजल्ट को लेकर बच्चों के मन में एक अलग तरह की एंजाइटी होती है और वे अपने नंबरों और परसेंटेज को लेकर बहुत अधिक चिंतित होते हैं और अचानक से बच्चों में अनिद्रा और घबराहट की शिकायतें बहुत बढ़ जाती हैं। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है और उनको बच्चों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
 
परीक्षा परिणाम को लेकर स्टूडेंट में आमतौर पर तनाव बहुत देखा जाता है, ऐसे में जब मन-मुताबिक रिजल्ट नहीं मिलने से जब तनाव एक स्तर से ऊपर बढ़ जाता है, तब बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि रिजल्ट के बाद बच्चों के तनाव को कम किया जाए।
 
काउंसलर डॉक्टर सत्यकांत बच्चों को सलाह देते हुए कहते हैं कि रिजल्ट को लेकर दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं है। एग्जाम में आने वाले परसेंट या नंबर एक मानव निर्मित क्राइटेरिया है और जो रिजल्ट आया है, उसको एक्सेप्ट करें।
 
कोरोना काल में सामान्य तौर पर हम सभी किसी न किसी तरह के एक डिप्रेशन के वातावरण से घिरे हुए हैं, ऐसे में आज आ रहे कोरोना और लॉकडाउन के चलते बच्चे काफी लंबे समय से घरों में हैं और वे अपने दोस्तों से भी नहीं मिल पा रहे हैं, जहां कि वे खुलकर अपने मन की बात कहकर अपने को हल्का महसूस करते हैं। सामान्य तौर पर इस उम्र में बच्चे अपने माता-पिता से भी खुलकर अपनी बातें नहीं कह पाते या संकोच करते हैं। ऐसे में अब जब रिजल्ट आने शुरू हो गए तब माता-पिता की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है।