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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: शुक्रवार, 3 जुलाई 2020 (09:27 IST)

संख्या को लेकर शिवराज मंत्रिमंडल सवालों के घेरे में, कांग्रेस जाएगी सुप्रीम कोर्ट

15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाकर नियमों का उल्लंघन किया

संख्या को लेकर शिवराज मंत्रिमंडल सवालों के घेरे में, कांग्रेस जाएगी सुप्रीम कोर्ट - Madhya Pradesh : Congress qestion on Shivraj Cabinet,expansion
भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी उस पर विवाद जारी है। सूबे में विपक्षी दल कांग्रेस ने अब शिवराज सरकार को मंत्रियों की संख्या को लेकर घेरेने की तैयारी कर ली हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील विवेक तनखा ने शिवराज सरकार पर संविधान का उल्लंघन कर ज्यादा मंत्री बनाए जाने को लेकर सवाल उठाए है और वह आज इस मामले में कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा सकते है।  
 
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस सांसद विवेक तनखा ने ट्वीट करते लिखा कि ‘शिवराज जी ने फिर से कानून का उल्लंघन किया है। पहले बिना कैबिनेट के सरकार चलाई जब राष्ट्रपति से शिकायत की तो 5 मंत्री बनाए जो 12 से कम थे अब मंत्रिमंडल विस्तार में विधायकों की प्रभावी संख्या 206 के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाकर कानून को तोड़ा। कांग्रेस इस गैरकानूनी मंत्रिमंडल के खिलाफ कोर्ट जाएगी’। 
 
विवेक तनखा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 164(1a) के मुताबिक सदन के सदस्यों में से 15 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए दा सकते है, ऐसे में वर्तमान में विधानसभा में विधायकों की संख्या 206 है ऐसे में नियमानुसार 30 मंत्री ही बना जा सकते है। ऐसे में सरकार ने संविधान का उल्लंघन कर 34 मंत्री बना दिए हैं। 
 
इसके साथ कांग्रेस ने प्रोटेम स्पीकर जगदीश देवड़ा को मंत्री बनाए जाने को लेकर सवाल उठा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में विधानसभा का अध्यक्ष पद रिक्त नहीं हो सकता है। ऐसे में भाजपा ने प्रोटेम स्पीकर को मंत्री बनाकर संवैधनिक नियमों का उल्लंघन कियाहै। 

बचाव में भाजपा – वहीं कांग्रेस की तरफ से आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा को आगे किया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जारी बयान के मुताबिक मंत्रियों की संख्या को लेकर कांग्रेस के आरोप में कोई संवैधानिक दम नहीं है। भारत के संविधान के 91 वें संशोधन 2003 के अनुसार सदन की कुल संख्या के 15 फीसदी मंत्री बनाए जा सकते हैं। सदन की वर्तमान सदस्या संख्या का उससे कोई लेना देना नहीं है। 
 
 
 
 
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