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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 18 सितम्बर 2020 (09:54 IST)

खास खबर: उपचुनाव की जंग में सिंधिया को घेरने के लिए कमलनाथ का ‘गद्दार’ पर भरोसा !

खास खबर: उपचुनाव की जंग में सिंधिया को घेरने के लिए कमलनाथ का ‘गद्दार’ पर भरोसा ! - Madhay Pradesh : Kamalnath trusts 'traitor' to surround Scindia in the by-election battle
मध्यप्रदेश की सियासत में इन दिनों ‘गद्दार’ शब्द की गूंज खूब सुनाई दे रही है। मार्च में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके समर्थक विधायकों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था तब कांग्रेस ने इसे सिंधिया और उनके समर्थकों की कांग्रेस और प्रदेश की जनता के प्रति गद्दारी बताया था। वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा गद्दार बता रहे है।   
 
अब जब प्रदेश में चुनावी रण सज चुका है,तारीखों का एलान होना बस बाकी है। कांग्रेस की पूरी चुनावी रणनीति ‘गद्दार’ के आस-पास ही आकर टिक गई है। चुनावी कैंपेन में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह,सज्जन सिंह वर्मा,जीतू पटवारी सहित तमाम नेता अपने बयानों के जरिए यह संदेश जनता में लगातार पहुंचा रहे हैं कि सिंधिया और उनके साथ कांग्रेस छोड़कर गए विधायकों ने उनके विश्वास के साथ ही प्रदेश और अपनी पार्टी के साथ गद्दारी की है।
एक ओर कांग्रेस ‘गद्दार’ को लेकर भाजपा पर अक्रामक हो रही है तो दूसरी ओर चुनावी रण में सिंधिया समर्थकों को चुनौती देने के लिए ‘गद्दारों’ पर ही भरोसा कर रही है। कांग्रेस ने अब तक जिन 15 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए है उनमें प्रेमचंद्र गुड्डू,कन्हैयालाल अग्रवाल, सुरेश राजे ऐसे नाम है जो कुछ दिन पहले ही टिकट के लिए भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके साथ सत्यप्रकाश सिकरवार और फूल सिंह बरैया सहित 4 नाम ऐसे है जो बसपा से होते ही कांग्रेस में शामिल हुए है। 
वहीं अब इस कड़ी में नया नाम सुरखी से पूर्व भाजपा विधायक पारूल साहू का भी जुड़ गया है। सागर की सियासत में भाजपा का बड़ा चेहरा माने जाने वाली पारूल साहू ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर पार्टी में शामिल हुई। पारूल साहू का सुरखी से शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री और सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत के सामने चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।    
अपने चुनावी कैंपेन में कांग्रेस पार्टी से बगावत करने वालों को ‘गद्दार’ कह रही है तो दूसरी पार्टी से गद्दारी कर कांग्रेस में आए नेताओं को टिकट दे रही है। दरअसल पीसीसी चीफ कमलनाथ कांटे से कांटा निकालने की रणनीति पर काम कर रहे है। कांग्रेस ने भाजपा से आए जिन लोगों को टिकट दिया है वह भाजपा के उम्मीदवारों की तुलना में किसी भी मायने में कमजोर नहीं है। ऐसे में अभी जब चुनाव की तारीखें भी नहीं घोषित हुई है तो देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस ‘गद्दारों’ पर कितना और भरोसा कर अपने चुनावी अभियान को घर देते है। 
 
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